ADVERTISEMENT

मानव की मानसिकता : Human Mentality

Human Mentality
ADVERTISEMENT

मानव गलत करेगा तो उसको भय होगा ही होगा। आज के दौर में दूसरों की सराहना प्रशंसा करने का रिवाज घटते जा रहा है।

दुसरो शब्दों में कहें तो दूसरे की तारीफ करने में स्वार्थ – वश ख़ुद की जुबान पर ताला लगने का रिवाज बढ़ते जा रहा है। वैसे में मिलनसारिता की मिसाल/ प्रमोद भावना व्यक्त करने वाले कूछ विरले ही होते हैं।

ADVERTISEMENT

ऐसे में अद्भुत है वो, जो मान और सम्मान , प्यार – अपनापन – प्रमोद भावना की एक साक्षात् मिसाल होते है। फिर चाहे फ़ासलें कितने ही लम्बे हो, विचारों का मेल, कथनी – करनी की समानता , अपनापन सारी दुरियाँ दूर कर देता है।

उनकी आत्मीयता नम्रता , भितर से बिना गाँठ आदि का नग़मा लिए प्यार की सुरीली मीठी बयांर के साथ जीवन में सतरंगी छटा बिखेरे एक नीले प्रांगण की ह्रदय विभोर की बरखा सी लगती हैं।

तभी तो अपनापन गर दिल में वह मानव मिसाल है जग में, प्रीति की सुर-सरिता निरन्तर बहे उसके तो रग-रग में।

जिस मनुष्य के हृदय में सच्ची मानवता हैं उसकी सोच हमेशा यही होगी कि मुझे मिला हुआ दुःख किसी को नही मिले और मुझे मिला हुआ सुख सबको मिले। उस का यही स्वभाव उसकी मानवता दर्शाता है ।

वह हर दम मस्त हाल में कंही महल कंही कुटिया खस्ताहाल में जीवन शैली अजब चेहरे पे मुस्कान गजब मानवता का पाठ पढ़ाता साथ चलते रहता है।

कभी भी वह नहीं थकता है मस्त होता उसका आलम जहां मिली जगह वहां जमा दी जाजम ।तभी तो कहा है कि बहुत से मानव है जिनकी जिन्दगी बिना किसी भी अपेक्षा के ही भगवद् गुणगान में ही बीत रही हैं ।

प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )

यह भी पढ़ें :-

देखो जी कर परहित भी : Dekho ji Kar Parahit Bhi

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *