आज की चुनौती भरे दौर में लाखों युवा अपनी जिंदगी में आंतरिक और बाहरी रूप से संघर्ष कर रहे हैं। लाखों युवाओं को आर्थिक तौर से चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
कई सारे ऐसे युवा भी होते हैं, जो इन चुनौतियों के सामने घुटने टेक देते हैं और जो भी मिलता है वही स्वीकार कर लेते हैं।
लेकिन कुछ युवा ऐसे भी होते हैं, जो चुनौतियों का डटकर सामना करते हैं और अपने सपने को हासिल करते हैं।
आज हम जानेंगे एक ऐसे शख्स के संघर्ष की कहानी जो हर किसी के लिए प्रेरणादायक हो सकती है। इस शख्स ने आईएएस बनने के लिए मजदूरी की और रेलवे स्टेशन पर भी सोया।
जी हां हम बात कर रहे हैं आईएस शिवा गुरु प्रभुकरण की। साल 2004 में एम शिवागुरु प्रभाकरण तमिलनाडु के एक जिले के तत्कालीन डीएम जयश्री राधाकृष्ण को देखा।
उन्हें देखकर ही उन्हें सिविल सर्विसेज में जाने का विचार आया। शिवगुरु प्रभाकरण के पिता बेहद शराब पीने वाले व्यक्ति थे।
जिसके कारण उनके घर की आर्थिक स्थिति खराब थी। उनकी मां और उनकी बहन नारियल पानी बेचकर किसी तरह गुजर बसर करते थे।
यूपीएससी परीक्षा में 101 रैंक हासिल करने वाले तमिलनाडु के प्रभाकरण की कहानी वाकई में हर किसी के लिए प्रेरणादायक है।
इन्हें पढ़कर हिम्मत जज्बे और लाखों मुश्किल के बाद भी कोई भी व्यक्ति तोड़ नहीं सकता है। साल 2004 में पैसे की कमी की वजह से उन्होंने अपने इंजीनियर की पढ़ाई बीच में छोड़ दी और इसी के बाद उन्हें आईएएस बनने की प्रेरणा मिली।
तमिलनाडु के Thanjavur के एक छोटे से गांव के रहने वाले प्रभाकरण की जिंदगी संघर्षों से भरी थी। वह आरा मशीन पर बतौर मजदूर काम किया करते थे।
वह खेती भी करते थे, जिससे अपने परिवार की आर्थिक मदद कर सके। संघर्ष के उन दिनों में उन्होंने किसी तरह पैसे जुटाकर अपने छोटे भाई को इंजीनियरिंग की पढ़ाई करवाई और अपनी बड़ी बहन की शादी की।
साल 2008 में प्रभाकरण ने Thanthai Periyar vellore Government technology institute में दाखिला लिया। एम शिवागुरु प्रभाकरण की शुरुआती पढ़ाई तमिल भाषा में हुए थी।
इसलिए यहां पर उन्हें अंग्रेजी भाषा में पढ़ने में काफी मुश्किल आ रही थी। इसके बाद प्रभाकरण ने चेन्नई जाकर आईआईटी मद्रास में प्रवेश परीक्षा दी।
उनके एक मित्र ने उन्हें अपने एक शिक्षक थामस माउंट से मिलवाया, जोकि चेन्नई में रहते थे। चेन्नई में एम शिवागुरु के पास रहने के लिए कोई जगह नहीं थी तो कई बार वह रातों में रेलवे स्टेशन पर सो कर ही अपनी राते गुजारते थे।
कड़ी मेहनत के बाद प्रभाकरण को आईआईटी मद्रास में प्रवेश मिल जाता है। साल 2014 के अंत में जब एमटेक का नतीजा आता है तो वह टॉप के रहते हैं।
इसके बाद प्रभाकरण में यूपीएससी की तैयारी शुरू की। यूपीएससी की परीक्षा में उन्हें शुरू के 3 प्रयास में असफलता का सामना करना पड़ा, लेकिन चौथे प्रयास में उन्होंने सफलता हासिल कर ली।
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