जब जीवन जीने की बात आती है तो हर कोई कह देता है कि हम अच्छा जीवन जी रहे है । बोलने व करने को हर कोई सही से कहे व करे यह काम्य है ।
जीवन मे जब भी विचार, स्पंदन जो मन के स्तर पर पैदा करते हैं तब वो हमारे शरीर की केमेस्ट्री बदल देता है । हमेशा गुस्सा अकेला आता है मगर सारी अच्छाई ले जाता है ।
वही सब्र भी अकेला आता है मगर हमें सारी अच्छाई दे जाता है । जानते है हम की रात भर गहरी नींद आना इतना आसान नहीं, उसके लिए दिन भर ईमानदारी से जीना पड़ता है ।
वह ईमानदारी है – सबके लिए उत्तम भावना, उनकी पीड़ा नही मरहम की भावना, अपने किसी व्यवहार से, मन-वचन-काया से हृदय दुखी ना हो , किसी को खुशी दे ना दे पर अपने द्वारा किसी को गम ना मिले यह स्पंदन सदैव खुशी देगा वह खुद के जमीर को जिंदा रखेगा आदि – आदि ।
जीवन का भरपूर आनंद हर हाल में हर जगह में होगा यदि उत्साह की गाड़ी में सवार है। कहने को तो स्वर्ग भी हताश से भरा है पर जहाँ जोश है हौंसला है वह धरा भी स्वर्ग से कम नही तभी तो टूटते नहीं मुसीबतों में यही अपनी पहचान है।
हिलते नहीं हवाओं से हम तो एक चट्टान है। बर्फ नहीं जो दो पल में पिघलने कि हमें आदत है। जज्बे से हर वक्त को बदलने कि हमें आदत है।
हम ख़ुद को मजबूत माने और विकट परिस्थिति में भी नहीं हारे बल्कि और ताकत से लड़ते हुए जीत जाए । बस यही उत्साह सदा बना रहे ।
कोई महलों में भी करता है गिला, कोई कुटिया में भी कहता मुझे बहुत मिला। यानि हर वक्त गीत गा जो ख़ुशी से रहता है वह हर हाल में खुशनुमा जीवन जीता है ।
सारांश में कह सकते है कि हम सदा सकारात्मक रहे , कभी न सोचें नकारात्मक। अतः गीत ख़ुशी के वही गाता है जो हर हाल में खुश है और जीवन सही से जीना उसी को आता है।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )
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