आज हम बात करने वाले हैं केदार सैनी के बारे में , जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि केदार ने लोगों की थाली में एक बार फिर से देसी सब्जियों और फलों का स्वाद लौटाने के लिए सैकड़ों देशी बीजों को इकट्ठा किया है ।
खबरों से पता चला है कि केदार सैनी मूल रूप से मध्य प्रदेश कें रुठियाई गांव के रहने वाले हैं । जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि केदार अपने द्वारा इकट्ठे किए गए सैकड़ों देसी बीजों को केवल डाक खर्च के साथ देश के लगभग 17 राज्यों के हजारों लोगों को मुफ्त में देसी बीज पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं ।
मध्य प्रदेश के 40 वर्षीय केदार सैनी एक गरीब किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं , परंतु पर्यावरण के प्रति उनका लगाव उन्हें सबसे अलग बना देता है ।
जानकारी के लिए आप सभी को बता देंगे केदार एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं परिणाम स्वरूप उन्हें देसी बीज और उनसे जुड़ी जानकारियां काफी अच्छे से पता है अर्थात केदार अपनी कई प्रकार की जानकारियों का अच्छे से उपयोग करके पर्यावरण में हरियाली फैलाने का भी कार्य कर रहे हैं ।
जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि केदार वर्ष 2019 से गेल इंडिया और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पेड़ पौधे लगाने का भी काम कर रहे हैं।
केदार सैनी पेड़ पौधों के प्रति अपने लगाव के कारण कई प्रकार के फल सब्जियों के बीजों को इकट्ठे करने के शौकीन है अर्थात इन्होंने अभी तक सैकड़ों देसी बीजों को इकट्ठा किया है ।
यह बात जानकर आपको आश्चर्य होगा कि केदार देशी बीजों को वर्ष 2013 से जमा कर रहे हैं , और केवल इतना ही नहीं जरूरतमंद किसानों को देसी बीज मुफ्त में बांट रहे हैं ।
हालांकि करोना महामारी के वक्त केदार ने अपने बीजों को तो जरूरतमंद किसानों को मुफ्त में दिया परंतु इसके साथ वह केवल डाक शुल्क लेते थे , बातचीत के दौरान केदार सैनी बताते हैं कि उन्होंने 17 राज्यों के अलग अलग किसानों को देसी सब्जियों औषधियों के बीज केवल डाक शुल्क पर दिए हैं ।
इसके पीछे का उनका मकसद पैसे कमाना नहीं अर्थात वह चाहते हैं कि देसी सब्जियों की और औषधियों के बीजों की किस्में सालों साल सुरक्षित रहें अर्थात हमारे आने वाली पीढ़ी भी देसी खाने का स्वाद चख सके ।
बचपन से थे बीजों को जमा करने के शौकीन
जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि केदार सैनी ने हिंदी के विषय में अपनी एम ए की पढ़ाई को पूरा किया है , परंतु वह शुरू से ही अपने पिता के साथ खेतों में कार्य करते हैं ।
केदार बताते हैं कि उनकी मां के नाम पर केवल 4 बीघा जमीन थी और इसी कारण बस वह दूसरे के खेतों को किराए पर लेकर उसमें खेती किया करते थे , परंतु केदार का कहना है कि उन्हें पारंपरिक खेती से अधिक बागवानी में सबसे अधिक रुचि है , केदार हमेशा से ही अलग-अलग किस्म की सब्जियां उगाते तथा देसी किस्मों के बीजों को यहां वहां जमा करते रहते थे ।
केदार बताते हैं कि जब वह अपनी सातवीं आठवीं कक्षा में पढ़ते थे तब वह अपने दोस्तों के साथ मिलकर देसी बीजों को इकट्ठा करते थे तथा उनके छोटे छोटे पैकेट बनाकर उन्हें बाजार में बेचते थे इससे उनकी थोड़ी पॉकेट मनी जमा होती गई साथ ही साथ लगातार उनका यह शौक बढ़ता चला गया ।
केवल इतना ही नहीं केदार अपने दोस्तों के साथ मिलकर पौधारोपण का भी कार्य करते थे , अपने पेड़ पौधों के प्रति लगाव के कारण ही केदार सैनी को गेल इंडिया लिमिटेड के तहत विजयपुर नगर में पेड़ों को मेंटेनेंस करने का कार्य मिला था ।
फिलहाल केदार अपने द्वारा इकट्ठा किए गए सैकड़ों बीजों को किसानों तक मुफ्त में केवल डाक शुल्क के तहत पहुंचा रहे हैं इसके साथ ही साथ पौधारोपण का भी कार्य कर रहे हैं एवं वर्तमान में प्रधान निवास योजना के तहत समृद्धि पर्यावरण संरक्षण अभियान नाम से एक मिशन चला रहे हैं ।
इस अभियान के तहत केदार सैनी लोगों को मानसून के वक्त अधिक से अधिक पौध रोपण करने की सलाह दे रहे हैं अर्थात वह अपने अभियान से लोगों को जोड़ने के लिए सोशल मीडिया का भी पूरा इस्तेमाल करते हैं ।
लेखिका : अमरजीत कौर
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