कहते है कि जिसने खुशी को पा लिया वह सुखी है क्योंकि खुशी को वह पा सकता है जो हर परिस्थिति में सम्भाव से रह प्रसन्न रह सके और वास्तव में सबसे ज्यादा खुशी तब पाओगे जब किसी किसी दुखियारे की मदद करने दौड़ कर जाते हो और बदले में उसके दिल की दुआएँ पाते हो।
जिंदगी में कई बार बिना कुछ गहराई को जाने समझे , हर परिस्थिति का एकदम सही आकलन नहीं कर सकते। किसी को गलत समझने से पहले एक बार उसके हालात समझने की कोशिश जरूर करनी चाहिए। क्योंकि एक निर्णय बदल देता जीने का अंदाज, आपका आपके अपनों का घर संसार ।
जल्दबाजी में नहीं सोच विचार कर बढ़े जिससे पछताना ना पड़े ऐसा निर्णय सदा करें । आज व्यक्ति का जीवन इतना जटिल हो गया है कि तनाव के कारण खुशी के दो पल भी अपने लिए निकालना कठिन हो चुका है।
इसका एक कारण यह भी है कि हमने खुशी, सुरक्षा, आश्रय सबकी अपेक्षा दूसरों से या बाह्य जगत से कर रखी है । अतः अपेक्षाओं से मुक्त होने के लिए आवश्यक है अपने निर्णय का उत्तरदायित्व समझदारी से लेना होगा क्योंकि अहंकार अपेक्षाओं को जन्म देता है।
हम जिस भाव को लेकर जीते हैं यदि वह पूरा नहीं होता तो मन उदास हो जाता है। जो करना है, स्वयं करना है। इसके लिए दृढ़ प्रतिज्ञ हो जाएं, किसी अन्य के सहयोग की अपेक्षा न करें।
हम किसी से अपने समान किसी कार्य के प्रति समर्पण की अपेक्षा नहीं कर सकते। अपने को कमजोर न समझें, अपने आप को पहचानें। इस तरह ऐसे बहुत से अवसर है जहॉं ख़ुशी है ।
जरा ध्यान देते रहें तो खुशी मिलती ही रहती है । जब हमको किसी से मिल कर ख़ुशी होती है तो हमारी बाँछें खिलती हैं।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )
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