जानकारी की आप सभी को बता दें कि नारियल एक ऐसा पेड़ है जिसे हरे-भरे आवरण के लिए जाना जाता है अर्थात इसके फल का हर एक भाग का उपयोग किसी ना किसी कार्य के लिए किया जाता है ।
कुछ इसी प्रकार इसके फल के भाग का उपयोग करके कोट्टाई के मूल निवासी के कुंचनकुट्टी और सी लक्ष्मी ( Kunchankutty and C Lakshmi ) सुंदर दैनिक रूप से उपयोग की जाने वाली वस्तुएं जैसे चाय के कप, प्लेट और चम्मच अर्थात अन्य कलाकृतियां नारियल के खोल से तैयार करते हैं ।
जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि 72 वर्षीय कुंचनकुट्टी एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं अर्थात उन्होंने काफी लंबे समय तक इसी व्यवसाय के साथ जुड़कर कार्य भी किया है।
कुंचनकुट्टी ने वर्ष 2004 तक खेती के व्यवसाय को किया है परंतु उसके बाद उनके घर के पास वाले खेत अदालत विवाद के कारण बंजर हो गए इसके बाद वह किसी और कार्य की तलाश में निकल गए ।
कुंचनकुट्टी जब किसी नए कार्य की तलाश में थे तब उनके भतीजे ने उन्हें कहा कि क्या आप नारियल के खोलो से एक आदर्श बंदर की मूर्ति को तराश सकते हैं ।
उस दौरान कुंचनकुट्टी बताते हैं कि मैं शुरू से ही नए-नए प्रयोगों को करने में काफी अधिक दिलचस्पी रखता हूं इसलिए मैंने इस कार्य को एक चुनौती के रूप में लिया और महज कुछ ही दिनों में मैंने नारियल के खोल से एक अद्भुत आदर्श बंदर की मूर्ति को तराश दिया अर्थात इसके बाद कुछ नए प्रयोगों के बाद मैंने यह निश्चित कर लिया कि अब इस कार्य को ही आय का स्रोत बनाया जाए ।
कुंचनकुट्टी कि 62 वर्षीय पत्नी का कहना है , मैं कुदुम्बश्री का हिस्सा रह चुकी हूं, और इस दौरान केंद्र सरकार ने गरीबी उन्मूलन चलाया था जिसके तहत हमें नारियल के खोलो से वस्तुओं को तैयार करने के लिए अथवा कच्चे माल की पूर्ति के लिए हमें 60 हजार का ऋण मिला था ।
इस दौरान सरकार ने हमें हमारी वस्तुओं का प्रदर्शन करने अर्थात केरला में होने वाले सारस मेले में अन्य जगहों में स्टॉल लगाने में भी हमारी काफी मदद की थी, लक्ष्मी कहती है कि इस मेले के साथ जुड़ने से हमें केला के साथ ही साथ बेंगलुरु कोलकाता दिल्ली जैसे शहरों में अपनी हस्तशिल्प कला का प्रदर्शन अर्थात आय का स्रोत उत्पन्न करने में काफी सहायता की है ।
चाबी की जंजीर से लेकर मूर्तियों तक करते हैं तैयार
जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि कुंचनकुट्टी और लक्ष्मी नारियल के खोलो से झुमके ,कटलरी ,चाबी का गुच्छा फूलदान, जानवरों की मूर्तियां, देवताओं की मूर्तियां अर्थात अन्य प्रकार की दैनिक उपयोग में आने वाली वस्तुओं को तैयार करते हैं ।
कुंचनकुट्टी का कहना है कटलरी और मछली की मूर्ति के लिए उन्हें सबसे अधिक आर्डर मिलते हैं , और यह ग्राहकों द्वारा सबसे अधिक पसंद किए जाते हैं अन्यथा यह सभी ऑर्डर कुदुम्बश्री के तहत लिए जाते हैं जिससे हमें डिलीवरी के लिए भुगतान नहीं देना पड़ता है ।
दोनों दंपत्ति कहते हैं कि भले ही अधिक आर्डर मिलते हैं परंतु उर्जा की कमी के कारण समय पर सभी ऑर्डर्स को पूरा करना हमारे लिए काफी मुश्किल होता है ।
इस दौरान लक्ष्मी बताती है कि एक दिन सारस के मेले में हमें 15 मछली की मूर्तियों के आर्डर मिले थे परंतु हम ऑर्डर देने में काफी देरी कर दी थी इस दौरान ग्राहक ने पूछताछ की और जब हमने उसे व्यक्तिगत रूप से मूर्तियों को तैयार करने की प्रक्रिया बताइए तो ग्राहक ने हमें स्वयं सुझाव दिया कि हम अपनी मशीनों को बदलकर नई मशीन को लेकर आए जिससे हमारा काम काफी आसान हो जाएगा ।
आज यह दोनों दंपत्ति नारियल के खोल से अन्य प्रकार की वस्तुएं अर्थात अद्भुत मूर्तियों को तैयार करके अपनी हस्तशिल्प की कला का प्रदर्शन दो विभिन्न क्षेत्रों में कर ही रहे हैं साथ ही साथ इसे अपनी आय का स्रोत बनाकर काफी अधिक मुनाफा भी अर्जित कर रहे हैं ।
आज कुदुम्बश्री के माध्यम से कुंचनकुट्टी और लक्ष्मी द्वारा तैयार की गई अद्भुत मूर्तियों एवं वस्तुओं का इस्तेमाल ना केवल केरला में बल्कि इसके साथ-साथ बेंगलुरु ,दिल्ली और कोलकाता में भी किया जा रहा है ।
लेखिका : अमरजीत कौर
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