छत्तीसगढ़ के कई किसान पारंपरिक खेती धान और दलहन के अलावा आज फल फसलों की आधुनिक खेती कर रहे हैं , क्योंकि पारंपरिक खेती दान और दलहन के मुकाबले फल की फसलों में मुनाफा काफी अधिक प्राप्त होता है ।
आज हम ऐसे ही एक किसान के बारे में बात करने वाले हैं, लोकेश ने प्रदेश में पहली बार जिरेनियम की खेती शुरू की अर्थात पहली बार में ही 5 लाख का मुनाफा कमा लिया ।
जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि जिरेनियम पौधे का तेल 11000 रुपए प्रति लीटर बिकता है इसके साथ ही साथ देश-विदेश में इसकी काफी अधिक मांग है इस पौधे से ब्यूटी प्रोडक्ट्स अन्य दवाएं तैयार की जाती है अर्थात अरोमा थिरेगी में भी इसका इस्तेमाल होता है ।
जयरामनगर के निवासी लोकेश पाताडे (Lokesh Patade ) का कहना है कि जिरेनियम की खेती करना काफी आसान है, एक बार अगर खेतों में जिरेनियम के पौधों को लगाया जाए तो 3 से 4 महीने में इसकी कटाई की जाती है , इसके साथ ही साथ लोकेश ने यह भी बताया कि जिरेनियम के एक पौधे से 3 से 4 साल तक उत्पादन किया जा सकता है ।
लोकेश का कहना है कि हमारी प्रदेश में पहले भी और औषधि और सुगंधित पौधों की व्यवसायिक रूप से खेती की जा चुकी है, परंतु लोकेश कहते हैं कि मैंने करीब 2 साल तक स्टडी और वातावरण पर रिसर्च करके जिरेनियम कि व्यावसायिक स्तर पर खेती करनी शुरू की है ।
लेमन ग्रास और पामारोजा की तरह रिफाइन किया जा सकता है
लोकेश का कहना है कि हमारे प्रदेश में लेमनग्रास अर्थात पामारोजा सहित कई औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती की जाती थी । परंतु लोकेश को यह जानकारी मिली कि देश-विदेश में जिरेनियम के पौधे की खेती की जाती है और इसे अन्य औषधीय और सुगंधित पौधों की तरह रिफाइंड भी किया जा सकता है अर्थात इसकी मांग भी काफी अधिक है ।
सौंदर्य प्रोडक्ट्स को तैयार करने में होता है इस्तेमाल
किसान लोकेश का कहना है कि जिरेनियम के पौधे की देश-विदेश में काफी मांग है इससे सौंदर्य प्रोडक्ट तैयार किए जाते हैं अर्थात जिरेनियम के फूलों को गरीबों का गुलाब भी कहा जाता है , एवं जिरेनियम के तेल की बाजार में काफी अधिक मांग है ।
देश विदेशों में जिरेनियम की अधिक मांग होने के कारण किसानों को इसकी खेती करने से काफी अधिक मुनाफा कमाने का अवसर प्राप्त होता है अर्थात इसकी तने पत्तियों और फूलों से आसानी से तेल निकाला जा सकता है ।
जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि आंकड़ों के अनुसार हमारे देश में हर साल 149 जिरेनियम की खपत होती है और उत्पादन केवल 5 टन ही होता है, इस दौरान अगर किसान जिरेनियम की खेती को बढ़ावा दे तो वह आसानी से काफी अधिक मुनाफा अर्जित कर सकते हैं ।
ना जानवर और ना ही कीड़ों का रहता है खतरा
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार जिरेनियम का पौधा एक औषधि युक्त और सुगंधित पौधों है, अन्यथा इसकी विशेषता यह है कि ना इसे जानवर खाते हैं और ना ही इस में कीड़ों के लगने का डर होता है इसीलिए इसकी खेती में कीटनाशक की आवश्यकता नहीं पड़ती है ।
लागत कम और मुनाफा ज्यादा
लोकेश का कहना है कि उन्होंने 3 एकड़ भूमि पर जिरेनियम की खेती की है और हर एकड़ खेत में 80 हजार की लागत लगी है अन्यथा 4 से 5 महीने में इसकी कटाई हो जाती है और मुनाफा चार से पांच गुना अर्जित हो जाता है, लोकेश
बताते हैं कि इसकी सबसे महत्वपूर्ण खासियत यह है कि इस की कटाई के कुछ समय बाद ही इस में हरी पत्तियां फिर से आनी शुरू हो जाती है, किसान आसानी से इसकी खेती करके तीन से चार सालों तक काफी अधिक मुनाफा अर्जित कर सकते हैं ।
किसानों के लिए फायदेमंद है जिरेनियम की खेती
रायपुर के औद्योगिक विकास के नीरज शाह का कहना है कि छत्तीसगढ़ में कई औषधीय पौधों की खेती की जा रही है परंतु बिलासपुर में पहली बार एक किसान ने जिरेनियम की खेती की है।
यह किसान एक बार जिरेनियम की खेती करके कटाई करने के बाद 10 लीटर जिरेनियम का तेल निकाल लेता है और 11000 प्रति 1 लीटर तेल की मांग बाजार में है , यह किसान साल भर में 40 से 44 लीटर तेल निकाल लेता है और काफी अधिक मुनाफा अर्जित कर लेता है इसकी खेती किसानों के लिए काफी लाभदायक है ।
लेखिका : अमरजीत कौर
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