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मकर संक्रान्ति : Makar Sankranti

makar sankranti
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मकर संक्रान्ति का पर्व मंगलकारी हैं ।
आत्म रमण की सुखद सवारी है ।॥ध्रुव ॥
१)शान्त तरंगें बन मन की स्वस्थ भावना बनाती हैं ।
सोई सम्भावना को क्षण – क्षण मैं जागृत बनाती हैं ।
२)चिन्तन वाणी – मिठास में उतर – उतर कर आती है ।
सारा कृतिम तंत्र सहज बन जाता हैं ।
३)नव ऊर्जा का स्रोत कंचन बनती काया से संवरता है ।
मुख मंडल से पूरा तेज आत्मा से भरता है ।
४)आत्म निरीक्षण आत्म परीक्षण से ख़ुद को ख़ुद दिखता है ।
असली उल्लेखना ख़ुद से ख़ुद कर पाता हैं ।
५)आत्मा का प्रकाश काया में उभरता है ।
आत्मा की पवित्रता से मन आभा से भरता है ।
६)सुख दुख लाभ अलाभ प्रिय अप्रिय का प्रभाव नहीं होता हैं ।
ऐसे भाव प्रवाह में होते है कि अनन्त के घाव भर जाते हैं ।
७)निश दिन मन की भावना से सम का उच्चार होता है ।
समरसता से आत्मा भव सागर पार हो जाती हैं ।

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प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़)

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