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180 किस्मों के 650 से ज्यादा पौधे लगा कर इस मरीन इंजीनियर ने एक सरकारी पार्क का कायाकल्प कर दिया

Navjeev Digra climate front foundation ki kahani
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आज हम बात करने वाले हैं जम्मू के रहने वाले 49 वर्षीय नवजीव डिगरा के बारे में, जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि नवजीव के पिता एक जियोलॉजिस्ट थे और इसी कारणवश बचपन से ही नवजीव को पेड़ पौधों से काफी अधिक लगाव था ।

बचपन में वह कई बार अपने पिता के साथ कई प्रकार के अलग-अलग जंगलों में गए और वहां प्राकृतिक के कई अलग-अलग रूप देखे परंतु जब नवजीव मरीन इंजीनियर बनने के बाद जब वह जहाज पर गए तो उन्हें प्राकृतिक का एक नया रूप देखने को मिला ।

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बातचीत के दौरान नवजीव ने बताया कि जब वह जहाज पर गए तो उन्होंने प्रकृति का एक नया रूप दिखा हालांकि उनके आसपास हरियाली कम होती गई परंतु उन्होंने जल प्रदूषण को काफी नजदीक से देखा ।

साथ ही साथ नवजीव बताते हैं कि आसपास के कई क्षेत्रों में हरियाली कम होती जा रही है और यह एक महत्वपूर्ण समस्या का विषय बन गया है ।

हालांकि नवजीव इस समस्या का हल करने के लिए जहां पर जाते वहां पर अधिक से अधिक पौधे लगाते साथ ही साथ आसपास के लोगों को पौधे लगाने और  हरियाली फैलाने के लिए  जागरूक करते हैं ।

साथ ही साथ नवजीव का मानना है कि अगर स्थानीय पौधों को अधिक से अधिक लगाया जाए तो हमारा इकोसिस्टम अधिक मजबूत होगा ।

वर्ष 2018 में नवजीव के दोस्त ने उन्हें शहर में एक सरकारी पार्क दिखाया था जो उनके दोस्त ने लीज पर लिया हुआ था इस पार्क को देखने के बाद नवजीव को इतना दुख हुआ कि इतनी बड़ी जगह में इतने कम पेड़-पौधे हैं इसके बाद नवजीव‌ ने सरकारी अनुमति से इस पार्क में पेड़ पौधे लगाने का काम शुरू किया ।

जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि नवजीव के घर से यह पार्क 9 किलोमीटर की दूरी पर था परंतु फिर भी नवजीव ने इस कार्य को एक मिशन के रूप में लिया और केवल कुछ ही सालों में इस जगह को एक खूबसूरत हरे भरा पार्क के रूप में बदल दिया ।

हर बार सूख जाते थे नवजीव द्वारा लगाए गए पौधे

जैसे की हम सभी जानते हैं कि पौधे लगाने का काम करना अधिक कठिन नहीं होता है परंतु फिर भी नवजीव को पौधे लगाने में काफी अधिक मुश्किलों का सामना करना पड़ा था।

नवजीव ने बताया कि शुरुआत में उन्होंने पास में हरियाली फैलाने के लिए जिन भी पौधों को लगाया सभी मर गए उसके बाद उन्होंने स्थानीय निवासियों से पूछा कि इस प्रकार पौधे क्यों मर जा रहे हैं तब उन्हें किसी स्थानीय निवासी ने बताया कि जिस जगह पर पार्क है उस जगह पर पहले चुना भट्टी हुआ करती थी और यही कारण है कि मिट्टी में अभी भी चुने के कण मौजूद है इसीलिए पौधे मर जाते हैं ।

इस दौरान नवजीव ने पार्क की सारी मिट्टी को अंदर तक  कुरेदकर नीचे की चूने की परत को हटाकर और इसके बाद उन्होंने मिट्टी को फिर से भरा और पौधे लगाने का काम फिर से शुरू कर दिया ।

धीरे-धीरे नवजीव ने पार्क में अमरूद ,सहजन, रीठा, रुद्राक्ष, आंवला, टिमरूं, पारिजात, कटहल, शम्मी जैसे 180 किस्मों के अधिक पौधे लगाना शुरू किया , अब नवजीव द्वारा लगाए गए पौधों के कारण पार्क में 50 से अधिक फलों की किस्में के पौधे हैं साथ ही साथ नवजीव ने कुछ औषधि के पौधे भी इस पार्क में लगवाए हैं हरियाली के कारण पार्क में पक्षियों का आना जाना लगा रहता है ।

लाखों रुपए लगाकर शहर को दिया है एक खूबसूरत हरा भरा पार्क

नवजीव ने अपने इस पूरे प्रोजेक्ट के तहत पार्क को हरा-भरा करने के लिए लगभग 6 से 7 लाख रुपए का खर्च किया है, जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि नवजीव एक पाठ को हरा भरा बनाने के बाद रुके नहीं है वह आस-पास के गांव और स्कूलों में जाकर खाली जगह पर पेड़ पौधे लगाकर हरियाली फैलाने की कोशिश कर रहे हैं ।

“क्लाइमेट फ्रंट” नाम से शुरू किया है एक फाउंडेशन

जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि नवजीव अपने हरा-भरा करने के मिशन को आगे बढ़ाने के लिए कुछ पर्यावरण प्रेमी के साथ मिलकर जगह-जगह पर पौधे लगाने का काम कर रहे हैं और इसके साथ ही साथ उन्होंने “क्लाइमेट फ्रंट” नाम से एक फाउंडेशन की भी शुरुआत की है ।

नवजीव अपने इस प्रयास से लोगों को यह संदेश दे रहे हैं कि अगर आप पर्यावरण के प्रति जागरूक हो तो हम सब मिलकर आसानी से पर्यावरण को एक में हरे भरे रूप में देख सकते हैं ।

 

लेखिका : अमरजीत कौर

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