जन्म से शैशव,बचपन, किशोर, युवा, प्रौढ़,और वृद्धावस्था ये सभी तो परिवर्तन की एक से एक घटित होने वाली अवस्था है …
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समाज में शिक्षित और जागरूक होना पहला कदम
हमारे समाज में अधिकारों और कर्तव्यों का संतुलन जरूरी एक समाज के सुचारू रूप से कार्य करने के लिए, अधिकारों …
प्रभु भक्ति में रमना : धुव्र-3
आकांक्षाओं के बोझ पालकर,क्यों हम इसे भारभूत बनायें ? हमें खुशियों के प्रवाह में बहते रहना है । आज हम …
प्रभु भक्ति में रमना : धुव्र-2
में आर्थिक तरकी तो खूब कर रहा है पर धर्ममाचरण में पिछड़ रहा है। हम जब अतीत में देखते हैं …
प्रभु भक्ति में रमना : धुव्र-1
यह कर्मों का चित्र सचमुच ही विचित्र है, कितने – कितने जन्मों के साथ का जुड़ा हुआ हमारे इस वर्तमान …
