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परीक्षा पर चर्चा भाग-2

परीक्षा पर चर्चा भाग-2
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अपनी पढ़ाई अच्छी है अपने आप पर विश्वास है तो हमको कोई भी परिक्षा आए दे तो तनाव आयेगा ही नहीं । हम इसी तरह जीवन के अनेक प्रसंग में यह देख सकते है ।

समय और भाग्य दोनों परिवर्तनशील है इसलिए अच्छे समय में अभिमान और कठिन समय में चिंता न करें दोनों जरूर बदलेंगे ।

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आकस्मिक परीक्षा का नाम सुनते ही बचपन में घबरा जाते थे इसलिए हडबड़ाहट में फ़ेल हो जाते थे और जैसा की प्राध्यापक महोदय ने प्रश्नपत्र थमा दिया ।

जिसमें सिर्फ़ एक काला बिन्दु शायद सभी विद्यार्थी की तरह हम भी अपनी शक्ती उस बिन्दु के उत्तर को खोजने में लगा रहे जबकि 99% ख़ाली सफ़ेद पेपर पर ध्यान नही पर आज हम गहराई से सोचे तो यह सफ़ेद पेपर और कुछ नही ।

हमारी ज़िंदगी हैं और वह छोटा सा काला बिन्दु समस्या जो ज़िंदगी का एक छोटा सा हिस्सा होती हैं, लेकिन हम अपना पूरा ध्यान इसी पर लगा देते हैं , देखा जाए तो हर समस्या का समधान हैं , दिन रात परेशान रहना या चिंता कभी कोई पैसों का रोना रोता रहता है।

कोई दूसरे की छोटी सी गलती को अपने दिमाग में रखे रखता है।हम क्यों उस भगवान के अपार आशीर्वाद को भुल जाते ना कभी उसको धन्यवाद देते हैं , देंगे कैसे ?

क्योकि हम तो उस पेपर के एक काले बिन्दु की तरह समस्या पर अटक गए हैं जबकि ज़िंदगी की उन 99% चीजे की तरफ सचमुच हमारे जीवन को अच्छा बनाती हैं।

हम क्यों ना अपने मित्रों सम्बन्धियों की ग़लतियों को नज़रअन्दाज़ कर अपने रिश्तों को टूटने से बचा ले । हमारी ज़िंदगी में आए कोई से हर आकस्मिक टेस्ट का मुक़ाबला कर आगे बढ़ते रहे ।

हर आदमी अपनी-अपनी क्षमता व सही से योग्यतानुसार शिक्षा-दीक्षा पूरी करता है वह उसे जीवन की मुख्य धारा में प्रवेश , एक नया परिवेश मिलता है ।

उसे उसकी समीक्षा मन ही मन करनी पड़ती है वह एक प्रकार से यह उसके लिए नयी परीक्षा होती है । इस नव परीक्षा में अपने आपको समन्वित करने में उसे कई तरह की स्थितियों से सामना करना पड़ सकता है । एक नाविक की परीक्षा तभी है जब वह तूफ़ान में भी वो कश्ती किनारे लगा ले ।

व्यक्ति की परीक्षा तभी है जब संकट की घड़ियों को भी वो धीरता से खुद को पार लगा दे । हम मुश्किलों को न मानें व्यवधान ,वो ही तो है हमारे आने वाली हर चुनौती का आह्वान है।

हमे संघर्ष की हर घड़ी कुछ सिखाती है , दिक़्क़तों को पार लगाने की कला बताती है , काँटों में चलना सिखाती है , हमें तराशती है ,हमे अनुभवों व आत्मविश्वास से भर जाती है बस !

फिर क्या है विवेक और धैर्य का समागम प्रतिकूल को भी अनुकूल बनायेगा , हम कल पर न रखें, कार्य करते जायें हर कदम पर सफलता का फूल खिलेगा।

बस कुछ करना है – इस अटल सिद्धान्त पर रुकें न कभी कदम हमारे , हम फिर अड़िग बढ़ते रहेंगे ।यही हमारे लिए काम्य है ।

प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )

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