हमारे जीवन की यात्रा में सुख दुःख आदि सभी चलते रहते है हम दुःखों में कुंठित हो जाते है और दुःख का स्त्राव बहने लगता है व इसके विपरीत सुखो में आनंदित हो जाते हैं।
इसलिये जरूरी है हमें जानना कि कैसे रहें हम सदा स्वस्थ व तंदुरुस्त और सब तरह से दुरुस्त। हमारे गुरुजनों ने कहा है कि सोच का प्रभाव पड़ता है मन पर। मन का प्रभाव होता है तन पर। तन और मन दोनों का प्रभाव पड़ता है जीवन पर।
इसलिए सदा अच्छा सोचें और खुश रहें हँसते-मुसकुराते रहें। सकारात्मक सोच व मनोबल से ही हम जिंदगी में खुश रह सकते हैं, दूसरों से ज्यादा अपेक्षा नहीं रखते हुए छोटे-छोटे बातों में खुश रहेंगे तो जिंदगी आसानी से कट जाएगी।
जिंदगी में दुखी रहने के कारण अनेक हैं जैसे आजकल कोई बीमारी या किसी और का नाम सुनते ही तुरन्त दिमाग में नकारात्मकता सोच आ जाती है और हंसी खुशी सब गायब हो जाती है पर इसका डटकर सामना करना जरूरी है।
इसके लिये हम सभी रोकथाम और दिशा निर्देशों का पालन करते हुए अपने दिमाग में अच्छे और सकारात्मक विचारों को जगह देकर जिंदगी को खुशनुमा बना सकते हैं।
जिंदगी दुखी होकर या खुश होकर बिताऐं जिंदगी तो पूरी करनी ही है इसलिए अच्छा है कि क्यों ना हर पल को खुशी से जिया जाए। आवश्यक है इसके लिए हम सर्वांगीण स्वस्थता पर ध्यान दे उसके लिए हमें स्वस्थ दिनचर्या व सात्विक विचार-आहार का भान हो।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )
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