किसी भी वस्तु को देखने का नजरिया हमारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण कारक है । जैसे – किसी को चाँद की चाँदनी रात सुहावनी लगती है तो किसी को चाँद में धब्बा नज़र आता है ।
किसान भाईयों को वर्षात बहुत अच्छी लगती है ताकि उनके खेतों में फसल अच्छी हो, वंहि दूसरी ओर शहर वासीयों को वर्षात बिलकुल अच्छी नहीं लगती, कारण रास्ते जाम और सड़कों पर पानी का भराव जो धूप स्नान करते हैं , उन्हें गर्मी बहुत अच्छी लगती है ।
वंहि जिसका गर्मी के मारे पसीना बहता है उन्हें गर्मी बहुत ख़राब लगती है , पर्वतारोहियों को पहाड़ बहुत अच्छे लगते हैं तो किसी को चढ़ाई होने के कारण पहाड़ पर बसना ख़राब लगता है ।
किसी को जंगल में शिकार करना या सफ़ारी यात्रा करना अच्छा लगता है तो किसी पैदल यात्री को काँटा चुभने के डर से जंगल ख़राब नज़र आता है आदि – आदि ।
यह संसार सब के लिए एक समान बिलकुल है यह सही बात देखने वाले की नज़र पर निर्भर करता है की वह गुलाब के पौधे में फूल देखे या काँटे ।
कोई भी मनुष्य किस बात को, किस प्रकार से समझता है। यह उसकी देखने की मानसिकता तय करती है। कोई दूसरों की थाली में से भी, छीन कर खाने में अपनी शान समझता है तो कोई अपनी थाली में से दूसरों को, निवाले खिला कर संतुष्ट होता है।
देखने का नजरिया सही होना चाहिए, ठीक वैसे ही जैसे स्कूल की पहली घंटी से नफरत होती है पर वही घंटी जब दिन की आखरी हो तो सबसे प्यारी लगती है ।
यह दृष्टिकोण की कमजोरी ही आगे चलकर चरित्र की कमजोरी बन जाती है । यदि दृष्टि सुन्दर है तो दुनिया अच्छी लगेगी और यदि वाणी सुन्दर है तो हम दुनिया को अच्छे लगेंगे ।
कपड़े से तो पर्दा होता है साहेब ! हिफाजत तो नजरों से होती है। इस संसार में हर किसी चीज़ को देखने के सकारात्मक और नकारात्मक नज़रिये होते हैं , जिसको उपयोगी लगता है वो उसे सकारात्मक नज़रिये से देखता है और जिसको किसी भी वस्तु में उपयोगिता नज़र नहीं आती या उसे परेशानी नज़र आती है वो उसे नकारात्मक नज़रिये से देखता है ।
इसलिए किसी भी वस्तु में अपने उपयोगिता से मत सोचो कि इसमें यह ख़राबी है। अपने सोचने का दृष्टिकोण बदलो कि कंहि तो यह किसी के लिये ज़रूर उपयोगी होगी।
वह उसमें कमी की जगह अच्छाईयां देखो। हमारे जीवन का सकारात्मक कोण इस जीवन के चिंतन का असली सार है, नकारात्मक सोच के साथ जी लेना निस्सार, बेकार व एक प्रकार का भार है ।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )
यह भी पढ़ें :