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प्रयास : Prayas

प्रयास
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मुझे शासन श्री मुनि श्री पृथ्वीराजजी स्वामी ( श्रीडुंगरगढ़ ) किसी बात के प्रसंग में बोलते थे कि कभी किसी प्रयास से सफल नहीं हो प्रदीप तो वहाँ रुको मत लगे रहो वहाँ कार्य पर कार्य होगा ही होगा ।

अपने कार्य पर किसी की परवाह किए बिना डटे रहो आगे निश्चित ही समय कम ज्यादा लग सकता है लेकिन अन्तिम परिणाम सही से मिलेगा ।

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हमको हमारे जीवन में कभी – कभी लगातार प्रयास के बाद भी सफलता नहीं मिलती है । उस स्तिथि में हम हताश न हों धैर्य समता रखें व सकारात्मकता से ओत – प्रोत रहे , साथ में हो सकता है आपको उस समय परिस्थितिवश निराशा के इर्द – गिर्द रहना पड़े आदि – आदि फिर भी अपना प्रयास जारी रखें क्योंकि थोड़े और प्रयास के बाद हो सकता है सफलता का फल चखें।

उदाहरणार्थ एक घटना प्रसंग कुछ समय पूर्व कुछ कारण से घर में किसी के पानी के नल का मुख्य कारक (वॉशर ) खराब हो गया । नल सही करने वाला आया और उसने इतने हथौड़े उस पर मारे की नल खुला ही नहीं वह जाम हो गया ।

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वह नल सही करने वाला वहाँ हताश होकर रुक गया तो उस समय उसको कहा गया की काम बहुत आगे है काम करोगे नहीं तो कैसे होगा प्रयास करो सफल होंगे यह शब्द सूनकर मानो उसकी सुप्त चेतना जागृत हुई और कुछ प्रयास में आगे उसको सफलता मिल गयी ।

ठीक इसी तरह हम जीवन में देख सकते है कि कोई भी सफल आदमी हुए है तो उसके पीछे उनकी कितनी लम्बी या वर्षों – वर्षों की मेहनत संघर्ष आदि लगे है ।

सीढ़ी चढ़ने में ताकत लगती है पर उतरने में कोई ताकत नहीं लगती उसी तरह हमारा जीवन हमेशा एक जैसा नहीं रहता है , सुख और दुख का आना-जाना लगा ही रहता है जिस प्रकार रात के बाद सुबह होती है उसी प्रकार दुख के बादल छँट जाते है और खुशी के दिन आते हैं ।

रात दुख का प्रतीक है और दिन सुख का, जिस तरह पानी दो किनारों के बीच बहते हुए आगे बढ़ता है, उसी तरह जीवन में सुख और दुख दो किनारे हैं जीवन इन्ही के बीच चलता है ।

अतः हमें विपदाओं से कठिनाईयो से हार से हताश हुवें बिना, बिना रुके दुगुने उत्साह से अपनी मंजिल की तरफ कदम बढ़ाते रहना चाहिए, फिर देखें मंजिल (विजय) जीत,सफलता हमारें क़दमो में होगी।

अतः हम हिम्मत ना हारें, सही दिशा में प्रयास जारी रखें, आत्मविश्वास ना खोएँ । आगे निश्चित ही प्रयासों से हमारी बगिया में सफलता निसंदेह मिलेगी और सफलता की बेल फलेगी ही फलेगी ।

प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )

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