अक्सर ऐसा देखा जाता है कि घर के पलंग हो या फिर टेबल और अलमारी इसे बनाने के लिए अक्सर बढ़ई भैया यानी कि कारपेंटर आते हैं परंतु आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि यदि लकड़ी के पलंग टेबल और अलमारी को एक कारपेंटर दीदी तैयार करें ।
आज हम आपको बताने वाले हैं नागपुर की एक ऐसी महिला के बारे में जिसने अपने पिता से कारपेंटर का कार्य सीखने के बाद अपना खुद का बिजनेस शुरू कर दिया और नागपुर के लोग इस कारपेंटर दीदी की कौशलता द्वारा तैयार किए गए लकड़ी के सामानों को देखकर आश्चर्यचकित हो जाते हैं ।
आज हम बात करने वाले हैं प्रीति हिंगे के बारे में , जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि प्रीति हिंगे मूल रूप से नागपुर, वाठोडा इलाके की रहने वाली है , 31 वर्षीय प्रीति हिंगे बड़ी कुशलता के साथ लकड़ी के फर्नीचरओं को तैयार करने का कार्य करती हैं ।
जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि नागपुर की रहने वाली प्रीति पिछले 8 सालों से लगातार “जय श्री गणेश” नाम से अपना फर्नीचर का बिजनेस चला रही है । इतना ही नहीं प्रीति अपनी तीन बेटियों की मां भी है और साथ ही साथ जब उनकी बेटियां छोटी थी तो वह अपनी बेटियों अपने काम पर साथ लेकर जाया करती थी ।
प्रीति हिंगे मैं बड़ी मेहनत और लगन के साथ अपने इस बिजनेस को आगे बढ़ाया है और आज एक सफल महिला उद्यम के रूप में सामने आ रही हैं , इतना ही नहीं प्रीति खुद तो एक सफल महिला उधम बनी है साथ ही साथ उन्होंने अपने इस काम के तहत 2 लोगों को रोजगार भी दिया है ।
बातचीत के दौरान प्रीति हिंगे बताती है कि उनके पिता एक कारपेंटर रहे हैं और पिता को देखकर ही प्रीति हमेशा से इस काम में आगे बढ़ना चाहती थी और बचपन से ही वह कुछ ना कुछ बनाया करती थी और उन्हें इस काम में काफी आनंद ही आता था और आज वह इसी के बदौलत अपनी तीन बेटियों का पालन पोषण काफी अच्छे से कर रही हैं और उन्हें पढ़ा-लिखा रही है ।
घर की हालत सुधारने के लिए चुना यह कार्य
जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि प्रीति हिंगे कारपेंटर दीदी के पति पेशे से एक ड्राइवर है , इस दौरान घर की जिम्मेदारी को उठाने के लिए प्रीति ने अपने पति का साथ देने का सोचा ।
इस दौरान प्रीति ने उसी काम को आगे बढ़ाने का सोचा जिसमें प्रीति का मन सबसे अधिक लगता था, इस दौरान प्रीति ने अपने काम की शुरुआत करने के लिए सबसे पहले अपने रिश्तेदार और आसपास के पड़ोसियों से फर्नीचर का आर्डर लेना शुरू किया था।
इस दौरान प्रीति ने अपने काम को बढ़ते हुए देखने के बाद 20/30 की किराए में एक दुकान ली जिसका भाड़ा महीने का 8000 देती है और अपने घर का दिन में सारा काम निपटा कर अपनी दुकान में जाकर काम को संभालती हैं इस दौरान उन्होंने दो मजदूरों को भी रखा है जो काम में उनका हाथ बताते हैं इस दौरान वह घर की जिम्मेदारियों को आसानी से उठा पाती हैं ।
जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि आसपास के इलाके में सबसे बड़ी कारपेंटर की दुकान प्रीति हिंगे की ही है , आसपास के ग्राहक काफी अधिक अपना फर्नीचर प्रीति की दुकान से बनवाते हैं क्योंकि इनकी कौशल का और पुराने तरीके का काम काफी अधिक बेहतर है ।
इस दौरान प्रीति बताती हैं कि उन्होंने सबसे पहले 20 वर्ष की उम्र में एक लकड़ी की अलमारी बनाई थी जिसे प्रीति ने बेचा भी था ।
जल्द शुरू करने वाली है खुद का शोरूम
अपने काम के सिलसिले में बातचीत के दौरान प्रीति कहती है कि शादियों के सीजन में उन्हें काफी अधिक ऑर्डर्स मिलते हैं, हालांकि उनका कहना यह भी है कि करोना महामारी के दौरान काम में थोड़े ही मंदी आई थी।
अपनी काम की बारीकियों को और अधिक से सीखने के लिए ‘द नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर आंत्रप्रेन्योरशिप एंड स्मॉल बिजनेस डेवलपमेंट (NIESBUD)’ द्वारा आयोजित किए गए वर्कशॉप में भाग लिया था अर्थात यह वर्कशॉप इंडियन मिशन के तहत पूरे देश भर में चलाया गया था।
प्रीति हिंगे कारपेंटर दीदी अपने काम से शादियों के सीजन में काफी अधिक मुनाफा कमा लेती हैं अर्थात उन्होंने होने वाले मुनाफे से गांव में एक जमीन भी खरीदी है जहां पर वह जल्द ही अपना एक शोरूम शुरू करने वाली हैं ।
सालों भर जिस काम को मर्दों का काम समझा जाता था उस काम में आज एक महिला ने आगे बढ़कर कई महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर बना दिए हैं, प्रीति बिना समाज की सोच की परवाह किए अपने काम को काफी लगन और मेहनत से कर रही हैं और काफी अधिक मुनाफा कमाकर अपने काम को और आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं ।
लेखिका : अमरजीत कौर
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