अक्सर रिटायरमेंट के बाद सभी लोग आराम भरी जिंदगी बिताना पसंद करते हैं परंतु आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने वाले हैं जिसने रिटायरमेंट के बाद आराम नहीं बल्कि लगातार काम किया है , हम बात कर रहे हैं आयकर विभाग से रिटायरमेंट होने आर के पालीवाल की।
जानकारी के लिए आप सभी को बता दें आर के पालीवाल अपने रिटायरमेंट के बाद 20 एकड़ के खेतों में कम्युनिटी फार्मिंग कर रहे हैं , इस दौरान वह जैविक खेती को बढ़ावा देना चाहते हैं और साथ ही साथ जब वह नौकरी पर थे उस दौरान भी वह गांव के मॉडल के लिए कार्य कर रहे हैं ।
जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि भोपाल से लगभग 40 किलोमीटर दूर ,आर के पालीवाल के 20 एकड़ के खेत है जिसमें सब्जियों के साथ-साथ मसाले फल और अन्य प्रकार की फसलें जैविक रूप से उगाई जाती है , केवल इतना ही नहीं इनके खेतों में कई किसान और अर्बन गार्डनर शिक्षा लेने के लिए भी आते हैं , जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि इस 20 एकड़ जमीन को लगभग डेढ़ साल पहले आठ रिटायरमेंट लोगों ने मिलकर थोड़ी-थोड़ी जमीन को खरीद कर इसे पूरी 20 एकड़ की जमीन में बदला है और इस पर आज सामूहिक रूप से जैविक खेती की जाती है ।
इस 20 एकड़ के खेतों में लगभग 8 परिवारों के उपयोग में आने वाली तकरीबन सभी प्रकार की सब्जियों फलों मसालों को उगाया जाता है साथ ही साथ पशुपालन दूध की सभी प्रकार की जरूरतें भी पूरी की जाती है , अर्थात इसके बाद 8 परिवारों के जरूरत की चीजें वितरण होने के बाद बची हुई सभी अनाज को बेच दिया जाता है ।
इस पूरे फार्म को एक मॉडल के रूप में तैयार किया है रिटायर आर के पालीवाल ने, रिटायरमेंट के बाद ही आर के पालीवाल ने खेतों में जैविक खेती करने की पूर्ण जिम्मेवारी अपने हाथ में ले ली थी ।
जानकारी के लिए आप सभी को बता देगी आर के पालीवाल मूल रूप से मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश के बरला गांव के रहने वाले हैं और एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं , जैविक खेती और गांव के जीवन को बढ़ावा देने के लिए आर के पालीवाल ने यह निश्चय कर लिया था कि वह अपने रिटायरमेंट के बाद पूरी तरह से खेती से जुड़ जाएंगे , इतना ही नहीं आर के पालीवाल हाल ही में राष्ट्रीय जैविक परिवार नाम की एक संस्था से भी जुड़े हैं जिसके तहत वह जैविक खेती को बढ़ावा देने में सहयोग कर रहे हैं ।
अब तक तैयार कर चुके हैं पांच आदर्श गांव
बातचीत के दौरान आर के पलीवाल बताते हैं कि जब उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की तो उनके घर की परिवारिक खेती उनके बड़े भाई संभाल रहे थे इस दौरान उन्होंने नौकरी करने का फैसला किया था , हालांकि फिर भी वह किसी न किसी रूप से अपने गांव और खेती से जुड़े हुए थे इसीलिए जब आदर्श गांव मॉडल के ऊपर कार्य करने की बात आई तो उन्हें ज्यादा दिक्कत नहीं हुई।
आर के पल्लीवाल बताते हैं कि केंद्र सरकार की नौकरी के कारण मेरा ट्रांसफर अलग-अलग शहरों में होता था हालांकि मैं जिस शहर में जाता हूं वहां एक गांव को चुनता , जो वर्तमान दृष्टि से पिछड़ा हुआ हो और इस दौरान गांव के चुनाव में मेरे कई गांधीवादी मित्र भी मेरी सहायता करते थे ।
अर्थात वह गांव के चुनाव के बाद छुट्टी वाले दिन गांव में रहकर काम करते थे हालांकि अभी तक उन्होंने वलसाड (गुजरात) के खोबा गांव,गांव, होशंगाबाद (मध्य प्रदेश) के छेड़का गांव, आगरा (उत्तर प्रदेश) का रटौती गांव सहित 5 गांव में कई प्रकार के बुनियादी कार्य कर चुके हैं , एवं गांधीवाद की विचारधारा को ध्यान में रखते हुए शिक्षा के लिए लाइब्रेरी , महिलाओं के लिए कई प्रकार के ग्राम उद्योग सफाई और पानी के मुद्दों में भी ध्यान दिया है ।
अर्थात यह सभी कार्य आर के पालीवाल अपनी जिम्मेदारी समझकर करते हैं उनका ऐसा मानना है कि इंसान को अपनी परिवारिक जिम्मेदारियों से समय निकालकर समाज में अपना योगदान देना चाहिए।
जहां भी रहे वही सब्जियां उगाते रहे
आर के पलीवाल को किसानी से लगाओ होने के कारण वह जहां में भी रहे हैं अपने आसपास सब्जियां और फल को उगाते रहे हैं , वह बताते हैं कि आयकर विभाग में कार्य करते समय उन्हें बड़ा घर और गार्डन बनाने की भी जगह मिलती है इस दौरान वह उसका उपयोग करते और कई प्रकार की सब्जी और फलों का उत्पादन करते थे।
आज आर के पलीवाल रिटायरमेंट के बाद 20 एकड़ की भूमि में खेती कर रहे हैं और साथ ही साथ गांधीवाद को महत्व देते हुए गांव को आदर्श और व्यवस्थित शहर की जैसी सभी सुविधाएं देने के लिए कई प्रकार के कार्य कर रहे हैं।