विपरीत परिस्थितियों में भी अदम्य साहस और आत्मविश्वास से हम अच्छा जीवन जी सकते है । मन की पवित्रता पर मनुष्य का व्यक्तित्व निर्भर है।
हम आत्मीय भाव का प्रकाश रखे जिससे नम्रता, शील, सत्य और साहस के दीप आदि से हमारी पवित्र मन की ज्योति जलती रहे ताकी जो बात दिल से निकले उन्हें शब्दो की जरूरत ना पड़े , नि:शब्द भाव ,नेक सरल साफगोई, और जिंदादिल आदि रहे।
वैसे भी चाहे कितने भी भारी – भारी शब्दों से सजावट कर के भावों की अभिव्यक्ति दे दे यदि …आंखों में स्नेह, होठों पर मुस्कान, और ह्रदय में सरलता और करुणा आदि नहीं तो सब कुछ व्यर्थ है ।
हमको अपने जीवन को सद्गुणो से भरना पड़ता है । प्राण जाये पर वचन न जाये,रखुकुल रीत पुरानी पर भी प्राण भी गवाने पड़ सकते है ।
बड़ी से बड़ी मुसीबत में भी हमको समता व साहस से इज्जत को बनाये रखने का जज़्बा रखना पड़ता है । सदभावना और निडरता के पानी मे इज्जत जिन्दा रह्ती है ।
जिन्दगी मे परोपकार और भलाई आदि इज्जत को अमर बना देती है । इन्सान मर जाता है पर उसकी इज्जत सदा जिन्दा रह्ती है ।
हर अच्छी सोच,कार्य,लक्ष्य का निर्धारण, विपत्ति का सामना,साहस -शौर्य,उम्र चाहे बचपन हो या पचपन सदैव एकाग्रता,सही दिशा, स्पष्ट लक्ष्य आदि जीत के सूत्र है ।
इन सबको इतनी गहराई से चाहे कि वह उसके लिए अपना सब कुछ दांव पर लगाने के लिए तैयार हो । संकल्पवान लोग जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है, साहस आदि है वो इतिहास की धारा को बदल सकते हैं ।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )
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