कहते है कि सूरज के साम्राज्य मे भी, कुछ बस्तियां अंधेरों को सहती है। जीन्दगी की किश्ती भी सुख दुःख के दरिया मे अनवरत बहती है।
उबङ-खाबङ, समतल रास्तो में जो मुसाफ़िर अनवरत चलता है , अपनी तकदीर के बागडोर की लगाम स्वयं उसी के हाथों मे रहती है। कौन कहता हैं कश्ती ने हमको सहारा दिया क्योंकि अगर हम ही ना होते तो कश्ती को किनारा भी कहाँ मिलता ।
हमारे जीवन में खुशियां संपत्ति और साधन से नहीं बल्कि संतोष,संतुष्टि , सकारात्मक सोच व प्रेम आदि से मिलती हैं।
हम देखते है कि जिस तरह चंदन का पेड़ अपनी सुगंध चारों और फैलाता है उसी तरह यदि हम सकारात्मक उर्जा और खुशी के साथ रहे तो सदैव हम अच्छा और खुशहाल जीवन जी सकते है ।
हमारा जीवन किसी न किसी प्रकार से दूसरे से जुड़ा हुआ है । संगम का हिंदी अर्थ दो धाराओं या नदियों के मिलने का स्थान , मिलन , संयोग , मिलाप , मेल , दो नदियों के मिलने की जगह, मुलाक़ात, इकट्ठे होना संग , साथ , दो वस्तुओं के मिलने की क्रिया या भाव आदि – आदि है ।
हमारा यह जीवन सफलता तथा असफलता का एक संगम स्थल है । हमारे जीवन में अगर समस्याओं से भरा आज है तो समाधान से परिपूर्ण कल है ।
यह जीवन संयोगों व वियोगों का एक मेला है पर इस मेले में भी आदमी सदा अकेला रहता है । अतः हमारे लिए जरूरी है कि हम सच्चाई का सम्यक साक्षात्कार करे जिससे इस जीवन के जंग में हमारी हार कभी नहीं होगी ।
कहते है कि मानव अपनी ख़ुद की अहमियत को नही जानता वह थोड़े से कष्ट या दुःख में निराश हो जाते है। मनुष्य जीवन तो दुख सुख का संगम है यह इतिहास बताता है । हमारे जीवन में कितना भी कठिन समय हो रात्रि अंत प्रकाश तो आता है ।
व्यक्ति के समाज की परिकल्पना परिवार के बगैर अधूरी है, सृष्टि की बुनियाद है परिवार और इसके बिना इंसान की कल्पना अधूरी है ।
हमारी महत्ता, नए संकल्पों, उसके प्रति जागरुकता और चुनौतियों को रेखांकित करने के लिए है और यही विश्वास हमको कठिन समय में ख़ुद से अन्त विजय पताका फहराता है।
संसारी जीवन सचमुच सुख और दुःख का संगम है। आत्मा और शरीर जब तक एक साथ है ,तब तक हर चीज का जोड़ा है , वह मोक्ष में कोई द्वंद नही है ।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )
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