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छुट्टियों में दादा दादी के पास घूमने आई इस लड़की ने मात्र 50 दिन में गांव की तस्वीर बदल दी

छुट्टियों में दादा दादी के पास घूमने आई इस लड़की ने मात्र 50 दिन में गांव की तस्वीर बदल दी
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छुट्टियों के मौसम में बच्चे जब दादा दादी, नाना नानी के घर जाते हैं तो खेलने कूदने में ही मस्त रहते हैं और तरह तरह के फल और फूल का आनंद लेते हैं।

लेकिन आज हम एक ऐसी लड़की की कहानी बताएंगे जो छुट्टी बिताने अपने दादा दादी के घर आई थी लेकिन उसने गांव की तस्वीर बदल कर रख दी। 18 वर्ष यह लड़की चेन्नई की रहने वाली है। इसका नाम चेष्टा गोलेछा है।

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वह राजस्थान के खीचन गांव में अपने दादा दादी के पास छुट्टियों में घूमने अपने माता-पिता के साथ आई थी। वह अपने माता पिता के साथ चेन्नई में रहती है। जब चेष्ठा गांव में आई तो उसे हर जगह गंदगी ही देखने को मिली।

वह गाँव को साफ देखना चाहती थी लेकिन उसकी मदद करने वाला कोई भी नही था। तब उसने खुद ही साफ सफाई करना शुरू कर दिया और घूम घूम कर गांव की गंदगी साफ करने लगी।

उसे देखकर अन्य लोग भी प्रभावित हुए और उसकी मदद करने लगे। चेष्ठा के इस अभियान के चलते उसका गांव स्वच्छ बन गया।

चेष्ठा इस बारे में बताती हैं कि वह 5 सितंबर 2020 में अपने गांव पहुंची थी तब उन्हें हर जगह केवल कूड़े का ढेर ही दिखाई देता था।

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लेकिन सबसे आश्चर्य की बात किसी को इन कूड़े के ढेर से परेशानी नही होती थी। हर कोई अपने आप से और अपने काम से मतलब रखता था, जैसे उन्हें आसपास की गंदगी से कोई फर्क ही नही पड़ता हो।

चेष्ठा गांव को स्वच्छ बनाने का संकल्प लेकर खुद सफाई करने में जुड़ गई शुरू में उसके साथ कोई नही आया, लेकिन धीरे धीरे लोग उसके साथ आ गए।

लगातार पांच दिन तक जब चेष्ठा को लोगों ने सफाई करते देखा तब वह उस पर हंसते और मजाक बनाते यहां तक की ताने भी देते थे।

लेकिन छठे दिन से चेष्टा के साथ हर्षित कुमावत, रामनिवास बिश्नोई, भारत सिंह जैसे लोग शामिल हो गए फिर धीरे-धीरे अन्य लोगों भी मुहिम से जुड़ते गए।

चेष्टा बताती है कि पहली मीटिंग में लगभग 17 लोग आए और यहीं से क्लीनअप ड्राइव शुरू हुआ, जिससे वे लोग काफी खुश और उत्साहित थे।

मीटिंग के बाद चेष्टा और उसके अन्य साथियों ने मिलकर गांव की सफाई की। उसके बाद गांव के ही 4 कामगार लोगों को सामुदायिक सफाई के लिए भी रख दिया गया।

इसमें उनके दादा-दादी ने भी काफी सहयोग किया। अब ये लोग उन चार लोगों को मेहनताना के रूप में हर दिन ₹400 काम के लिए देने लगे हैं।

चेष्टा ने बताया कि मार्च में जब लॉकडाउन किया गया तब से कचरा इकट्ठा करने कोई आया ही नही। गांव मे जो डस्टबिन लगे थे वह कूड़े से भर गए थे।

हर कोई अपने घर को साफ करके कूड़ा एक जगह डाल देता और धीरे-धीरे देखते देखते कूड़े का ढेर लग गया। 4 कामगारों को रखकर चेष्टा की टीम ने मिलकर महीने भर गांव की सफाई की। अब उनका काम बिल्कुल साफ हो गया है।

चेष्टा ने यह टाइम पास के लिए नही शुरू किया था बल्कि उसे भरोसा था कि इससे लोगों की सोच में बदलाव होगा और इसी के साथ अब घर-घर से कूड़ा इकट्ठा करने की मुहिम शुरू हो गई है।

इसके लिए एक ट्रैक्टर भी काम पर रखा गया है और यह ट्रैक्टर सोमवार और गुरुवार को गांव में घूमकर कचरा इकट्ठा करता है।

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चेष्टा का कहना है कि यह सराहनीय पहल है और यह चलती रही तो गांव से 80% कचरे की समस्या इससे हल हो जाएगी।

चेष्टा इसके अलावा गांव के सौंदर्यीकरण पर भी ध्यान दिया और 50 से भी ज्यादा दीवारों पर खूबसूरत कलाकृतियां भी बनवाई है और स्वच्छता से जुड़े लगभग नारे भी 60 दीवारों पर लिखे गए है।

चेष्टा की इस मुहिम में गांव के तीन लोग विकास, जेठामल और कुलदीप में काफी सहायता की। चेष्टा बताती हैं कि गांव को सुंदर और स्वच्छ बनाने के लिए उनके परिवार ने लगभग ₹50000 खर्च कर दिए हैं। अब यह जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन के हवाले कर दिया गया है।

चेष्टा की कहानी से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि यदि हमें कोई बदलाव करना है तो उसकी शुरुआत करने के लिए हमें खुद आगे बढ़कर आना होगा, भले ही शुरू में लोगों का साथ मिले या न मिले, हमें अपने स्तर से शुरुआत करनी चाहिए और धीरे-धीरे लोग प्रेरित होकर जुड़ते चले जाएंगे।

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