आज हम बात करने वाले हैं मध्य प्रदेश के रहने वाले शिवकांत के बारे में , जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि शिवकांत एक सब्जी का ठेला लगाते हैं परंतु इन्होंने सिविल जज के लिए करीब नौ बार प्रयास किए हैं और दसवीं प्रयास में सफलता को हासिल किया है आइए जानते हैं शिवकांत की असफलताओं को पार करके सफलता हासिल करने की कहानी ।
शिवकांत मूल रूप से मध्यप्रदेश के सतना जिले के रहने वाले हैं , शिवकांत एक गरीब परिवार से संबंध रखते हैं, जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि शिवकांत के पिता सब्जी का ठेला लगाया करते थे और शिवकांत की माता काम किया करती थी ।
बातचीत के दौरान शिवकांत से पता चला कि शिवकांत तीन भाई बहन है और शिवकांत दूसरे नंबर पर आते हैं , अन्यथा लगातार घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के चलते शिवकांत को अपनी 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद आगे की पढ़ाई करने का मौका नहीं मिला ।
शिवकांत से अपनी पढ़ाई छोड़ कर अपने पिता के साथ काम करना शुरू कर दिया था । परंतु पढ़ाई में लगन होने के कारण शिवकांत ने थोड़ी बहुत पढ़ाई जारी रखी ।
परंतु आज शिवकांत ने कड़ी तपस्या और मेहनत के साथ साथ ही साथ अपने पिता के साथ सब्जी का ठेला भी संभाला और अपनी पढ़ाई को भी जारी रखा और सिविल जज के 9 प्रयासों में असफल होने के बावजूद भी सफलता हासिल करने का मुकाम नहीं छोड़ा ।
लगातार असफलताओं के बाद इन्होंने अपने 10 वें प्रयास में सिविल जज की परीक्षा को पास करके अपना सपना पूरा किया परंतु आज भी शिवकांत का पूरा परिवार कच्चे घर में ही रहता है ।
बातचीत के दौरान शिवकांत बताते हैं कि 12वीं की पढ़ाई छोड़ने के बाद भले ही उन्होंने अपने पिता के साथ घर की आर्थिक स्थितियों को संभालने के लिए काम करना शुरू कर दिया था परंतु सदैव उनके मन में पढ़ाई को लेकर लगन थी।
इसीलिए वे अपनी पढ़ाई को थोड़ा बहुत जारी रखते थे इस दौरान उन्हें किसी के द्वारा सिविल जज की सलाह दी गई थी और उसके बाद शिवकांत ने लगातार सिविल जज बनने का सपना देखा और अपने 9 प्रयासों में असफल होने के बाद दूसरे प्रयास में सफलता हासिल कर सिविल जज बनने का सपना पूरा किया ।
यह कहना है शिवकांत का
शिवकांत बताते हैं कि जब वह अपने पिता के साथ सब्जी का ठेला लगाया करते थे और लोगों को बताया करते थे कि वह जज बनना चाहते हैं तब लोग उन्हें पागल कहते थे क्योंकि लोगों का मानना था कि सब्जी बेचने वाला एक सिविल जज कैसे बन सकता है ।
शिवकांत कहते हैं कि मेरी अंतरात्मा कहती थी कि मुझे सफलता अवश्य मिलेगी और इसी कारण वश में अंतरात्मा की आवाज सुनते गया और मुझे सफलता हासिल हो गई ।
एक जज द्वारा दी गई थी वकालत पढ़ने की सलाह
शिवकांत बताते हैं कि वह वर्ष 2007 में एक गन्ने की जूस की दुकान पर काम करते थे जहां पर आने वाले एक जज ने उन्हें यह सलाह दी थी कि वह एलएलबी की पढ़ाई कर ले उसके बाद जज की तैयारी करके सिविल जज बने ।
उसके बाद से ही शिवकांत ने निश्चय कर लिया था कि वह सिविल जज बनकर रहेंगे इस दौरान शिवकांत ने रीवा के ठाकुर रमणनाथ सिंह महाविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई को पूरा किया ।
उसके बाद कोर्ट की प्रैक्टिस के साथ ही साथ उन्होंने सिविल जज की तैयारी शुरू कर दी परंतु 9 बार सिविल जज में असफलता हासिल करने के बाद उन्होंने अपने 10वें प्रयास में सिविल जज की परीक्षा में सफलता हासिल कर ली ।
शिवकांत की पत्नी भी करती थी पूरी सहायता
जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि शिवकांत की पत्नी पेशे से एक टीचर है अर्थात वह कहती है कि शुरुआत में तो वह शिवकांत की मदद नहीं कर पाती थी परंतु जब शिवकांत का अंतिम एग्जाम था उस वक्त वह शिवकांत की कॉपियों को चेक करके उनमें गलतियां ढूंढती थी जिससे शिवकांत को काफी अधिक मदद मिलती थी ।
आज शिवकांत उन लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बन कर उभर रहे हैं जो एक गरीब परिवार से संबंध रखते हैं और बड़े सपनों की ओर अग्रसर होना चाहते हैं।