स्वामी विवेकानंद एक ऐसा व्यक्तित्व जिन्होंने शिक्षा और अध्यात्म से अपने जीवन को बड़ा बनाया। हमे भी हमारा अस्तित्व विशाल बनाना हैं । यह विशालता ऐसी हो जो सभी के दिलों दिमाग के संग्रहालय में सज जायें।
यह सजावट ऐसी बने जिसकी किताब का हर पन्ना ऊंची सोच से सरोबार हो और जिसका हर वाक्य महत्वाकांक्षा की स्याही से लिखा हो । प्रत्येक शब्द मोतियों सी तेजस्वी विचारधारा के साथ पंक्ति – बद्ब हो ।
ऐसी उत्तम सोच के साथ सबका जीवन संवारना है, खुद को पढ़ अपने विचारों को और निखार जाना है । ऊंचे सिंहासन पर बैठ उत्तम भावनाओं के साथ दुनिया के कोने – कोने में हमको सही से पहुंचना है ।
स्वामी विवेकानंद जैसे महापुरुष सदियों में एक बार ही जन्म लेते हैं जो अपने जीवन के बाद भी लोगो को निरंतर प्रेरित करने का कार्य करते हैं। यदि हम उनके बताये गये बातों पर अमल करें, तो हम समाज से हर तरह की गलत चिन्तन और बुराई को दूर करने में सफल हो सकते हैं।
करूणा का सागर लहराता पर कष्ट किसी का देखा नहीं जाता हैं लेकिन ऐसा स्वभाव दुर्लभ होता है जो अपने जीवन में तमाम विपत्तियों के बावजूद भी प्रसन्न रहता हैं ।
स्वामी विवेकानंद कभी सत्य के मार्ग से हटे नही और अपने जीवन में लोगो को ज्ञान देने का कार्य किया। अपने इन्हीं विचारों से उन्होंने पूरे विश्व को प्रभावित किया तथा भारत का नाम रोशन किया।
पल में जी जाऊँ , मैं सफल ज़िंदगी गर जीने का सलीका आया ! नहीं तो तमाम उम्र भी कम पड़ जाती यदि जीने का सबब न आया । इस जीवन यात्रा में तमाम उत्तार-चढ़ाव के बावजूद भी हमें यह विदित रहें कि एक न एक दिन तो इस संसार से विदा होना ही है ।
अतः हम इस दुर्लभतम मनुष्य जीवन का पूरा सार निकालते हुए, इस भव को सार्थक करते हुए, अपनी आत्मा को उज्ज्वल करते हुए, हम अपने परम् धाम की और सही से अग्रसर हो । इन्ही शुभ भावों से आज उनकी जन्म जयंती पर उन्हें कोटिशः नमन ।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़)
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