आकांक्षाओं के बोझ पालकर,क्यों हम इसे भारभूत बनायें ? हमें खुशियों के प्रवाह में बहते रहना है । आज हम …
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प्रभु भक्ति में रमना : धुव्र-2
में आर्थिक तरकी तो खूब कर रहा है पर धर्ममाचरण में पिछड़ रहा है। हम जब अतीत में देखते हैं …
प्रभु भक्ति में रमना : धुव्र-1
यह कर्मों का चित्र सचमुच ही विचित्र है, कितने – कितने जन्मों के साथ का जुड़ा हुआ हमारे इस वर्तमान …