और इन सब के कारण — एक सच्ची और मीठी मुस्कान भी कहाँ गुम हो रही है । इंसानियत दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण या यूँ कहें की दुनिया में चलने वाला शब्द और इसी पे दुनिया कायम है।
दुनिया का हर इंसान सुख चाहता है, दुःख कोई नहीं चाहता, वह दुःख से डरता हैं इसलिए दुःख से छुटकारा पाने के लिए तरह-तरह के प्रयत्न करता है, सुख और दुःख धूप-छाया की तरह सदा इंसान के साथ रहते हैं।
हमारे को लंबी जिन्दगी में खट्ठे-मीठे पदार्थों के समान दोनों का स्वाद चखना होता है, सुख-दुःख के सह-अस्तित्व को आज तक कोई मिटा नहीं सका है, जीवन की प्रतिमा को सुन्दर और सुसज्जित बनाने में सुख और दुःख आभूषण के समान है।
इस स्थिति में सुख से प्यार और दुःख से घृणा की मनोवृत्ति ही अनेक समस्याओं का कारण बनती है,और इसी से जीवन उलझन भरा प्रतीत होता है, अतः जरूरत है इन दोनों स्थितियों के बीच संतुलन स्थापित करने की, सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने की।
वह हमारे जीवन में साथ में शब्दों की नहीं कीमत भावना की भी होती है जैसे किसी भी भावी घटना की कीमत, उसके होने की निश्चितता की संभावना की होती है। एक और उदाहरण हाल पूछ लेने मात्र से कौनसा कोई हील ठीक हो जाता है ।
बस ! उसकी बात की कीमत इसलिए हो जाती है कि इस भीड़ भरी दुनिया में कोई तो है जो भावना से अपना लगता है। हम यह भी ध्यान में रखें कि कुछ लोग ज़ाहिर नहीं करते लेकिन वह परवाह बहुत करते हैं। वे सबसे ज्यादा अपने होते हैं।
( क्रमशः आगे)
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़)
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