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मूल्यवान शब्द सात

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जब हमारा मन पॉज़िटिव होगा तब हमें दिव्यता का अनुभव होगा क्योंकि सकारात्मकता निर्मलता की निशानी है और मन की निर्मलता, वही परम सुख है। भगवान महावीर ने कहा है कि जो पॉज़िटिव रहेगा वही मोक्ष की ओर आगे बढ़ सकता है इसलिए नेगेटिविटी से बाहर निकलना अत्यंत आवश्यक है।

अतः एक निराशावादी को हर अवसर में कठिनाई दिखाई देती है । एक आशावादी को हर कठिनाई में अवसर दिखाई देता है। हमारे
जीवन के इस जगत में सफर के दौरान कई दफ़ा कुछ बातों से हमारा मन व्यथित हो जाता है और आपसी रिश्तों में खटास भर जाती है।

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गलती किसी की भी हो उसे विस्मृत करके एक दूसरे से क्षमा-याचना करके रिश्ते वापिस जोड़ना सीखो। तोड़ना आसान है जोड़ना मुश्किल। हर इंसान को पराई थाली में घी अधिक लगता है पर वो अपने से नीचे वालों की तरफ़ नहीं देखता कि तुम्हें जो मिला है उतना तो तुम्हारे से नीचे वाले को तो कुछ भी नहीं मिला। इसलिये जो प्रभु ने दिया है उसमें ही ख़ुशियाँ ढूँढने का प्रयास करें।

आइना कहता है स्वागत सभी का संग्रह किसी का नही , जूते कहते जादूगरी क़दमों में हो तो नामुमकिन मंजिल मिले , छेनी कहे नफ़रत के विंध्याचल तोड़ों ,नन्ही वर्तिका तूफ़ान की वाचालता से लड़ना सीखाती , तस्वीर का उत्साह स्वयं के लिए प्रेरणा हैं ।

स्कूल का बैग ज़िंदगी का बोझ उठाना सीखाता हैं , किताब सीखाती हर ख़्वाब पूरा करो। पानी कहता हर रूप में , हर परिस्थिति में ढलों। नींव का पत्थर मज़बूती सिखायें।

कुँए से पानी निकालते समय केवल दो अंगुल रस्सी हाथ में रहती है तो भी पूरी रस्सी एवं पानी का डोल बाहर निकाला जा सकता है। पतंग आकाश में उड़ती है, उस समय हाथ मे डोर का थोड़ा सा हिस्सा रहता है उसी के बल पर वह नभ की ऊँचाइयों को छूती है।

जहाँ तक घड़ी की बात हैं तो कहना चाहूँगा कि तुम खुद पर विश्वास रखो एक दिन ऐसा आएगा कि घड़ी दूसरे की होगी
और समय आपका । इस तरह ये सात छोटे-छोटे शब्द कितने मूल्यवान व महनीय शब्द हैं कि जिसे चाहो उससे कभी कुछ मत चाहो |

प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )

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