दुनिया में सबसे अधिक बिना अस्त्र – शस्त्र के शक्तिशाली मनुष्य की वाणी है। यह इतनी शक्तिशाली होती है जो बिना हथियार उठाये ही क्रान्ति ला सकती है और भ्रम अशान्ति फैला सकती है और इसके विपरीत यह अमन और चैन भी ला सकती है ।
वाणी में भी अजीब शक्ति होती है, कड़वा बोलने वाले का शहद भी नहीं बिकता और मीठा बोलने वाली की मिर्ची भी बिक जाती है । बेहतरीन इंसान अपनी मीठी जुबान से ही जाना जाता है वरना अच्छी बातें तो दीवारों पर भी लिखी होती हैं ।
इंसान एक दुकान है और जुबान उसका ताला जब ताला खुलता है, तभी मालूम पड़ता है कि दुकान सोने की है या कोयले की, अतः हमें हमेशा मीठे बोल बोलने चाहिए ।
क्योंकि यह समंदर के वह मोती हैं, जिनसे इंसानों की पहचान होती है, नरम शब्दों से हमेशा सख्त दिलों को जीता जा सकता है। शब्द भावों की अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है ।
हमारे व्यवहार को दर्शाता है हमारे द्वारा बोले गए शब्द । सोच समझकर धैर्य और सहिष्णुतापूर्वक बोले गए शिष्ट शब्द जहां सम्मान दिलवाते हैं, वहीं मन मे आया वहीं बक दिया बिना सोचे तो हमें अपमानित भी होना पड़ता है।
और गाली को कोई एक्सेप्ट भी नहीं करता तो वापस हमारी झोली में ही आती है और हम उसे दूसरे को देना चाहते है, लेना नहीं,वो तो आ जाती है हमारे पास तो हम हमेशा सही से विवेकपूर्वक सोचसमझकर वहीं बोलेजो हम चाहते हैं ।
अमृतमय वाणी सबको चन्दन सी शीतलता देती है और हमको भी और कड़वे वचन जो हम नहीं चाहते हमारे पास फटके, उनके बोलने में भी विवेक की छलनी का सदुपयोग बरते।
अमृत और जहर कुछ औरनहीं बिना हाड़ की ये हमारी जुबान है जो हमें सम्मान और अपमान दोनों दिलवा सकती है तो हम हमेशा ऐसी वाणी बोले जो हमे भी शीतल करे चन्दन जैसे और सामने वाले को भी चन्दन की सुगंध घोल दे हमारे शब्द।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़)