आज लगभग हर घर में एलईडी बल्ब का इस्तेमाल हो रहा ह LED Bulb खराब हो जाती है तो हम मे से सभी लोग इसे कूड़ेदान में फेंक देते हैं और नया ले आते है।
लेकिन त्रिपुरा के एक गांव में रहने वाले एक इंग्लिश ऑनॉर्स के छात्र रोहित भट्टाचार्जी कुछ अलग ही सोचते हैं, उनकी इस अलग सोच का नतीजा यह हुआ कि आज उनके पास अपनी LED Bulb Manufacturing Unit ( एलईडी बल्ब निर्माण की यूनिट ) है।
इस कंपनी को शुरू करने के लिए उन्होंने पूंजी न होने पर अपनी बाइक बेच दी और उससे जो पैसे मिले उसे इस बिजनेस को शुरू करने मे लगाया।
Rohit Bhattacharjee ने देश भर में लागू लॉक डाउन के पहले अपनी कंपनी “RB Illumination” (आरबी इल्युमिनेशन) को शुरू किया था।
रोहित बताते हैं कि आज वह प्रतिदिन 500 बल्ब बेच रहे हैं, जिससे उन्हें ढाई लाख की कमाई होती है। वह इसमें 7 लोगों को रोजगार पर भी रखे हैं।
रोहित भट्टाचार्जी बताते हैं जनवरी 2020 में उनके कमरे की एलईडी बल्ब खराब हो गई और दूसरी एलईडी लेने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान उनके गाँव से थोड़ा दूर थी।
तब उन्होंने जिज्ञासावश उस खराब LED Bulb को खोला और उसको कंपोनेंट को समझने लगे, जो उन्हें खास समझ नही आया, तब यूट्यूब पर सर्च करके वह इसकी बारीकियों को समझें।
इस तरह शुरू किया सफर :-
रोहित भट्टाचार्जी बताते हैं एलईडी बल्ब में ज्यादा कंपोनेंट नहीं थे, ऐसे में बल्ब को जलाने में उनकी भूमिका को समझना और भी ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो गया था।
ड्राइवर, कैब, चिप और बॉडी ही इसके प्रमुख तत्व थे और सब की अलग अलग भूमिका थी। किसी भी कंपोनेंट को प्रोसेस की जरूरत ही नही थी, लेकिन उनको असेंबल के दौरान काफी सावधानी बरतना जरूरी था।
इसी दौरान उनके मन में विचार आया कि क्यो न नया LED Bulb खरीदने के बजाय इसके निर्माण की एक यूनिट को ही शुरू कर दिया जाये।
लेकिन इस विचार पर काम करने के लिए पैसों की जरूरत थी और रोहित के माता पिता रिटायर्ड स्कूल टीचर थे और ज्यादा मदद करने में सक्षम नही थे।
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इस बारे में रोहित भट्टाचार्जी के पिता कहते हैं उन्हें अपने बेटे की योजनाओं के बारे में कोई खास अंदाजा नहीं था, क्योंकि उसने कभी भी खुलकर अपने विचार को उनसे साझा नही किया, बस उसने यही बताया कि वह बाइक बेच रहा है जिसे उन्होंने ₹65000 में गिफ्ट किया था।
वो कहते हैं ” रोहित ने हम से मदद मांगी और हमने भरोसा करते हुए उसे अपनी बचत में से ₹350000 दिये। रोहित भट्टाचार्जी घर के बगल छोटी सी जमीन पर इनको यूनिट लगाया।
गांव में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या थी और उनका बेटा रोहित इस दिशा में काम करना चाहता था। Rohit Bhattacharjee के पिता बताते हैं कि जब उन्हें पता चला कि उनका बेटा LED Bulb की यूनिट स्थापित करना चाहता है, तब एक पल के लिए वह लोग डर गए, क्योंकि उन्हे बिजनेस के बारे में जानकारी नही थी।
लेकिन Rohit Bhattacharjee ने उन्हें भरोसा दिलाया कि उसका बिजनेस चलेगा और पैसा व्यर्थ नही जाएगा। तब उन्होंने अपने बेटे को निराश नही किया और उसे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया।
शुरुआत में रोहित के पास सभी संसाधन नही थे, स्थानीय स्तर पर उन्हें उपलब्ध कराने मे काफी चुनौतियां सामने आ रही थी। इसके लिए उन्होंने दिल्ली की कुछ विक्रेताओं से भी संपर्क किया और समस्या से निजात पा लिया।
फरवरी के अंत तक रोहित भट्टाचार्जी के पास लगभग सभी उपकरण आ गए थे और कुछ ही प्रयास के बाद वह एक एलईडी बल्ब बनाने में सफल हो गये और वह 50 एलईडी बल्ब बना लिये। लेकिन मार्च महीने में ही देशव्यापी लॉक डाउन कर दिया गया।
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तब रोहित भट्टाचार्जी ने अपने बल्ब को बेचने के लिए स्थानीय दुकानदारों से संपर्क किया। वह अपने उत्पाद एक एलईडी बल्ब की कीमत ₹90 रखी जोकि बाजार में उपलब्ध अन्य बल्ब के मुकाबले उनकी कीमत कम थी।
रोहित भट्टाचार्जी बताते हैं उनका बल्ब ब्रांडेड कंपनियों के मुकाबले काफी सस्ता था। लंबे समय तक चलने और अच्छी रोशनी के लिए उच्च गुणवत्ता वाले Component का उन्होंने इस्तेमाल किया था।
वह अपने बल्ब के साथ 2 साल की गारंटी दे रहे थे। ऐसे में कम लागत और बेहतर गुणवत्ता के कारण बाजार मे उन्हें जल्दी जगह मिल गई। धीरे-धीरे उनके उत्पाद की मांग बढ़ने लगी।
एक बार जब वह अच्छी कमाई को लेकर आश्वस्त हो गई, तब अपने आसपास के 7 अन्य लोगों को उन्होंने अपने यहां रोजगार दे दिया, जिसमें से तीन लोग बेंगलुरु के थे, जिनकी लॉकडाउन के दौरान अपनी नौकरी चली गई थी।
रोहित भट्टाचार्जी बताते है वह उन लोगों को काम सिखा कर ₹12000 प्रति महीने पर नौकरी पर रख लिया।
वह कहते है एक प्रशिक्षित व्यक्ति को एक एलइडी बल्ब बनाने में 10 मिनट का समय लगता है। ऐसे में 1 दिन में 100 बार आसानी से बनाया जा सकता है।
आज रोहित भट्टाचार्जी का यह एलईडी बल्ब का वेंचर RB Illumination नाम से रजिस्टर्ड हो गया है और उनकी बल्ब को RB LED के नाम से बेचा जा रहा है।
रोहित अधिक से अधिक साझेदारों और डीलरों की तलाश में है और अपने बल्ब की मांग को दूसरे जिलों तक भी बढ़ाना चाहते हैं।
रोहित भट्टाचार्जी कहते हैं कि लोग महंगी ब्रांडेड बल्ब के बजाय स्थानीय रूप से निर्मित बल्ब को ज्यादा पसंद कर रहे हैं।
Rohit Bhattacharjee के पिता कहते हैं कि उन्हें अपने बेटे पर गर्व है। रोहित को अपने प्रयास के लिए मंत्रालय स्तर पर भी सराहना मिल चुकी है और वह एक विश्वसनीय ब्रांड बनने की तरफ आगे बढ़ रहे हैं।
रोहित भट्टाचार्जी की कहानी से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हमें रोजगार के लिए किसी पर निर्भर रहने की जरूरत नही है। हमें अपने आसपास की चुनौतियों को देखकर ऐसे अवसर देखने की जरूरत है जिसमे रोजगार को संभावना हो।