वर्ष का बितने का क्रम निरन्तर चलता आ रहा हैं । वर्ष जाते – जाते अन्तिम समय में हमें यह प्रेरणा भी देता है कि गया हुआ समय कभी भी वापिस नहीं आता हैं । इसलिये हम आने वाले समय व वर्तमान को सुनहरा करने को प्रयासरत रहे ।
कहते है कि वर्तमान को आध्यात्मिकता से ओत – प्रोत कर हम सुनहरा करेंगे तो निश्चित ही आने वाला समय सुनहरा होगा ।कुछ पंक्तियाँ – कहते है कि चलने के लिये जगह जरुरी हैं और जीने के लिए आदेश जरुरी हैं ।
वही व्यक्ति जीवन में आगे बढ़ सफलता को वरण कर सकता है जिसे अपने जीवन के अनुभव के निर्झर से झरता हुआ दिशादर्शन और आदेश मिलता हैं । समय बड़ा बलवान होता है।जो बीत गया वो वापिस लौट कर नहीं आता हैं ।
हम जन्म-लेते हैं जब कुछ समझ आती है तो उस समय उचित कार्य यह सोच कर टाल देते हैं कि भविष्य में कर लेंगे।पर समय अपनी गति से चलता रहता है। जो कार्य जिस समय करना चाहिये उसे नहीं करके हम नादानी में वह समय उजुल-फ़िज़ूल बातों में नष्ट कर देते हैं।
जब समय दस्तक देता है तब याद आता है कि जिस कार्य को हम्हें बहुत पहले करना था वो समय तो हमने नष्ट कर दिया।उस समय यह मुहावरा याद आता है कि अब पछताये तो क्या होगा,जब चिड़िया चुग गयी खेत ।
वो ही इंसान जीवन में सफल होगा जो सही समय सही काम को क्रियान्वित करेगा। जैसे दिन शुरू होता है तो समय पर ध्यान, योगासन, स्वाध्याय, धार्मिक क्रिया ,उचित समय पर व्यापार और पारिवारिक कार्य आदि ।
अगर इन सभी बातों में जो अमल कर लेगा उस इंसान का जीवन सफल बन जायेगा। आने वाले पल को,कब किसने देखा है? धूप-छांव के मध्य संधि की, कहाँ रेखा है? इस सच्चाई को समझ जो वर्तमान मे जीता है उसने ही भविष्य को वर्तमान मे देखा है।
हम इधर उधर की गपशप में या राग द्वेष व प्रमाद में कल पर काम छोड़ने की आदत का बहिष्कार करके वर्तमान को उज्ज्वल बनाएं । भगवान महावीर ने गौतम स्वामी के माध्यम से हमें बार बार प्रमाद से हर पल बचने का संदेश दिया है।
खणं जानेहि-क्षण को जाने और उस पर अमल करें। जागरूकता पूर्ण जीने का महत्वपूर्ण सूत्र है। समय को पकड़कर नहीं रख सकते चाहे कितना भी बलवान हो।समय और कर्म से ज्यादा बलवान शायद कुछ भी नहीं।
अनेकांत का दृष्टिकोण अपनाकर हम समय प्रबंधन और अच्छी आदतों के निर्माण का सुंदर संयोजन कर और कर्म के प्रति जागरूक रहकर जिंदगी बिताएं तो सफल जीवन जी सकते हैं अपनी आत्मा का कल्याण कर सकते हैं ।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़)