इंसान चाह ले तो कुछ भी कर सकता है, फिर वह चाहे नामुमकिन ही क्यों न हो। दिव्यांग अपने कामों के लिए अक्सर मोहताज देखे जाते हैं।
अक्सर देखा जाता है कि वह सक्षम लोगों पर निर्भर रहते हैं, लेकिन दिव्यांग समुदाय को सशक्त बनाने और उन्हें लाभ पहुंचाने के लिए उत्तर प्रदेश के मेरठ में एक ऐसा रेस्टोरेंट खोला गया है जिसमें खाना बनाना और उसे ग्राहकों तक पहुंचाना सब का सब काम दिव्यांग लोगों द्वारा ही किया जा रहा है।
मेरठ के इस रेस्टोरेंट का नाम है “पंडित जी किचन एंड डिलीवरी प्वाइंट” (Pandit ji Kitchen And Delivery Point)। इस रेस्टोरेंट के फाउंडर है अमित कुमार शर्मा, जिन्होंने एएनआई यूपी से बातचीत में बताया कि वह अपने क्षेत्र में दिव्यांग लोगों को सशक्त बनाना चाहते थे, जिससे वे उन्हें जीविकोपार्जन का अवसर दे और दिव्यांग समुदाय सशक्त बन सके।
कोरोना वायरस महामारी के जब शुरुआत हुई तब लगभग सभी लोग बेरोजगार थे। तब उन्होंने इसलिए प्लान बनाया और रेस्टोरेंट खोलने का फैसला किया।
इस बारे में अमित कुमार शर्मा का कहना है कि दिव्यांग लोगों को सशक्त बनाने के लिए सबसे जरूरी है उन्हें रोजगार दिया जाये, आज उनके इस रेस्टोरेंट में दिव्यांग दो महिलाएं है, जो खाना बनाती हैं और 5 दिव्यांग पुरुष हैं जो स्कूटर पर इस खाने की डिलीवरी करने जाते हैं और उन्हें किसी भी प्रकार की मुश्किलों का सामना नही करना पड़ रहा है।
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रेस्टोरेंट के दूसरे को-फाउंडर है गौतम, वे फूड डिलीवरी एप का उपयोग नही कर रहे हैं बल्कि इससे परहेज कर रहे हैं, क्योंकि अभी अपने मिशन को बदलना नही चाहते हैं, क्योंकि उनका मिशन है दिव्यांग लोगों को रोजगार देना और इसी के लिए उन्होंने रेस्टोरेंट खोला था।
वह बताते हैं वह अभी अपने इस बिजनेस के शुरुआती स्टेज में है और अभी अपने रेस्टोरेंट की स्थापना ही कर रहे हैं। एक नए वेंचर में जाने का उनका प्रमुख मकसद यही रहा है कि वह दिव्यांग लोगों के लिए एक ऐसा प्लेटफार्म उपलब्ध करा सके, जिससे दिव्यांग लोग भी आत्मनिर्भर हो सके और सशक्त बन सके।
उनका कहना है कि वह फूड डिलीवरी एप के साथ टाई अप नही करना चाह रहे हैं। इसके पीछे वजह यह है कि अगर वे फूड डिलीवरी एप से टाइ अप कर लेते हैं तब वह अपने मिशन से दूर हो जाएंगे। वह बताते हैं कि उनके इस नए वेंचर से कर्मचारी भी काफी खुश हैं।
उनके एक रेस्टोरेंट के एक कर्मचारी ने कहा हम लोगों को खुद को दया से दिखाते हुए थक गए हैं, वह लोगों को दया के रूप में खुद को नही दिखाना चाहते और इसमें यह रेस्टोरेंट मदद कर रहा है।
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यह रेस्टोरेंट दिव्यांगो को आत्मनिर्भर बनाने में मदद कर रहा है और अब वह खुद पर निर्भर है। वह बहुत कुछ करना चाहते हैं और इस तरह का अवसर पाकर वह काफी कृतज्ञ हैं।
रोजगार ही एक ऐसी चीज है जिससे लोगों को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है और उन्हें किसी की दया का पात्र नहीं बनना पड़ेगा अगर हम सक्षम है तो हमें आगे आ कर अपनी समर्थ के अनुसार अपने समाज की मदद जरूर करनी चाहिए।
इस कहानी से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हमें अपने आसपास के लोगों को देखकर उनके लिए उनकी क्षमता के अनुसार अगर संभव हो तो रोजगार उपलब्ध करवाना चाहिए ।