“पैसा महज एक कागज का टुकड़ा होता है, लेकिन इस कागज के टुकड़े में बहुत ताकत होती है। इस कागज़ के टुकड़े यानी कि पैसे से हम अपनी जरूरत की हर चीज खरीद सकते हैं। इसकी एक कीमत निर्धारित होती है। ” मणि कृष्णन।
हम बात कर रहे हैं 66 साल के मणि कृष्णन की जो सालो पहले सिर्फ एक सूटकेस और अपने सपनों के साथ अमेरिका चले गए थे।
Mani Krishnan आम लोगों की तरह ही एक बेहतर अवसर पाने के लिए अमेरिका गए थे। हालांकि उनका परिवार पहले से ही अमेरिका में रहता था। लेकिन विदेशी धरती पर रोजी-रोटी का जुगाड़ करना अपने आप में काफी चुनौतीपूर्ण और बाधाओं से भरा काम होता है।
अगर नए सिरे से कोई बिजनेस शुरू करना हो तो यह काम और भी ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो जाता है। इसमें असफल हो जाने खुद के टूटने की भी चांस रहते हैं। लेकिन हर असफलता के बाद इंसान और अधिक मजबूती के साथ खड़ा होता है।
Mani Krishnan आज एक सफल फूड एंटरप्राइज के मालिक हैं और पिछले 17 सालों से अमेरिका के साथ कनाडा के ग्राहकों को डोसे बेच रहे हैं। वह बताते हैं कि अब तक उन्होंने 17 करोड़ से भी अधिक डोसे बेचे हैं।
मणि कृष्णन का परिचय :-
Mani Krishnan का परिवार सैन जॉन्स कैलिफोर्निया में 1965 में गया था। कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के लिए वह वहां पर रुक गए थे और 1977 में वह अपने पूरे परिवार के साथ कैलिफोर्निया में जा बसे।
उन्होंने कॉमर्स में ग्रेजुएशन किया है। ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने मुंबई में नौकरी की। जहां पर उन्होंने एकाउंटिंग का अनुभव मिला। वह एक टेक कंपनी में नौकरी किया करते थे।
9 साल तक कई कंपनियों में उन्होंने नौकरी की। लेकिन बाद में उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी। क्योंकि वह कुछ अपना करना चाहते थे जिसके बॉस वो खुद रहे।
घर गिरवी रख शुरू किया डोसा बेचने बिजनेस :-
1981 में उन्होंने एक्सपोर्ट इंपोर्ट का बिजनेस शुरू किया था। 20 साल से अधिक समय तक उन्होंने इस बिजनेस में काफी उतार-चढ़ाव देखा। अंत में उनका यह बिजनेस असफल हो गया और बंद हो गया।
Mani Krishnan बताते हैं कि एक्सपोर्ट इंपोर्ट बिजनेस के बंद होने के बाद उनके पास परिवार की मदद करने के लिए कोई भी आय का जरिया नहीं था।
तब उन्होंने अपने घर को गिरवी रखा और 2003 में Dosa batter बेचने का एक नया बिजनेस शुरू किया और Shastha Foods ( शास्ता फूड ) की थापना की ।
दरअसल उन्होंने देखा कि अमेरिका में इंडियन फ़ूड की मांग तेजी से बढ़ रही थी और डोसा बनाना आसान है और साथ ही इसकी लागत भी काम आती है। शुरू में उनके पास निवेश करने के लिए बहुत कम पैसे थे।
Mani Krishnan ने अपने इस बिजनेस की शुरुआत अपनी पत्नी की मदद से की। वह घर में ही फूड एंटरप्राइज खोल दिया। डोसा बैटर बनाने के लिए उन्होंने डिस्ट्रीब्यूशन से लेकर लेवलिंग तक हर चीज का ध्यान रखा।
उनके दिन की शुरुआत सुबह 7 बजे से होती थी। वह 2 लीटर ग्राइंडर में ताजे बैटर बनाते थे और 1 किलो के कंटेनर में पैक करते थे। जिसमें 16 होम डोसा बनाया जा सकता था।
फिर आसपास की दुकानों में इसे डिस्ट्रीब्यूशन के लिए ले जाते थे। वह बताते हैं घर के खाने के स्वाद के लिए तरस रहे प्रवासी भारतीयों की संख्या अमेरिका में ज्यादा थी।
ऐसे में शुरू होने उनका टारगेट यह प्रवासी भारतीय ही रहे। उन्होंने अपने घर के आस-पास किराने की दुकान में जाकर अपने Dosa batter को बेचने का अनुरोध किया। लगभग 10 दुकानदार इस शर्त पर तैयार हुए कि अगर दुकान में बैटर की बिक्री होगी तो तभी वह पैसे देंगे।
वह बताते हैं कि वहां पर बैटर बनाने की अन्य छोटे-मोटे बिजनेस थे। लेकिन वह अपना सामान बनाने में मशीनों का प्रयोग करते थे। और एफडीए के उचित दिशा निर्देशों का भी बखूबी पालन करते थे।
इसलिए लोगों का उनके प्रोडक्ट पर विश्वास बना रहा। वह दुकानदारों के पास जो पैकेट नही बिकते थे, उन्हें वह लेने भी जाते थे। शुरू में यह शाम काफी मुश्किल होता था।लेकिन बाद में यह मुश्किल भी दूर हो गई।
इस तरह पाई कामयाबी :-
शुरुआती दिक्कतों के बाद भी वह एक साल में लगभग 1000 कंटेनर Dosa batter बेचने में सफल रहे। 2005 तक कृष्णन को मुनाफा शुरू हो गया और वे अपने गिरवी रखे घर को भी वापस पा लिए। 2006 तक उनके प्रोडक्ट की मांग बड़ा गई थी।
10 दुकानों से शुरू हुआ डिस्ट्रीब्यूशन अब अमेरिका के 10 राज्यों के 350 स्टोर में डिसटीब्यूट होने लगा था। उन्होंने एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर लांच कर दिया जो Dosa batter और अन्य उत्पादों को अमेरिका के 28 राज्यों के साथ-साथ कनाडा के कई राज्यों में पहुंच जाता है।
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अपनी सफलता के बारे में वह बताते हैं कि उन्होंने कोई भी चीज हल्के में नही ली। उन्होंने सर्विस, क्वालिटी को प्राथमिकता दी।
कभी-कभी तापमान और स्टोरेज की समस्या की वजह से चीजें खराब हो जाती थी। तब इसकी जिम्मेदारी खुद लेते थे और दुकानदारों को पैसे वापस कर देते थे या फिर उन प्रोडक्ट को वापस कर दूसरे ताजे प्रोडक्ट देते।
ग्राहकों से शिकायत मिलने पर वह खुद ग्राहकों के घर जाते हैं। आधी खाली पैकेट को वापस लेते हैं और ताजे पैकेट देते हैं। वह अपने ग्राहकों को हमेशा अच्छी क्वालिटी के प्रोडक्ट खरीदने की सलाह देते हैं जिससे उनका पैसा न बर्बाद हो।
आज उनको यह प्रोडक्ट भारतीय लोगो में अपनी पहचान बना चुका है। यहां तक कि अमेरिकी सीनेटर कमला हैरिस जैसी हस्ती ने भी एक वीडियो में उनके प्रोडक्ट का जिक्र किया है।
उनके बिजनेस की खास बात यह है कि वह अपने ग्राहकों से मिलने वाले feedback को प्राथमिकता देते हैं। ग्राहकों द्वारा मिलने वाले नेगेटिव फीडबैक को वह एक पॉजिटिव फीडबैक की तरह लेते हैं और जरूरत के अनुसार बदलाव करते हैं।