आज हम बात करने वाले हैं सारी चनगरमकुमारथ कि , जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि सारी चनगरमकुमारथ मूल रूप से केरला के त्रिशूर के रहने वाली है, आज यह महिला कई प्रकार के जानवरों के दूध से कई प्रकार के साबुन और सौंदर्य की वस्तुएं तैयार कर रही है, इतना ही नहीं काफी अधिक तारीफ और सम्मान बटोर रही है ।
खादी को बेचती है अपने बनाए हुए साबुन
बच्चों की जिद के आगे तो भगवान भी झुक जाते हैं तो माता-पिता क्या चीज है, केरला की रहने वाली सारी बताती है कि जब उसके घर में किसी भी प्रकार का नया साबुन आता था तो उनकी बेटी कनिष्का उससे नहाने की काफी अधिक जिद करती थी, इतना ही नहीं वह कहती है कि मेरी बेटी साबुन का इस्तेमाल करने के बाद उसके आकार और खुशबू के बारे में काफी बातचीत करती थी ।
सारी कहती है कि एक दिन मेरी बेटी कनिष्का ने कहा कि मां आप भी मेरे लिए सुंदर सुंदर साबुन तैयार कीजिए इतना ही नहीं कनिष्का का मन था कि उनकी मां कार्टून कैरेक्टर वाले साबुन तैयार करके उन्हें दे , कनिष्का की इच्छा थी कि उनकी माता उन्हें मिनी माउस मिकी माउस के कैरेक्टर के साबुन बना करके दे ।
सारी कहती है कि बेटी की जिद पूरी करने के लिए मैंने कॉस्मेटिक साइंस पढ़ना शुरू किया , धीरे-धीरे मैंने जानकारियां हासिल की और साबुन को बनाने में लग गई , इस दौरान मेरे तैयार किए गए साबुन को जो भी देखता वह तारीफ किए बिना नहीं रह पाता था, सारी बताती है कि धीरे-धीरे मेरी बेटी कनिष्का भी मेरे साथ इस काम में हाथ बताने लगी और कई तरह के खूबसूरत साबुन हम मिलकर तैयार करने लगे ।
गधी के दूध के साबुन की सबसे अधिक मांग
सारी साबुन को तैयार करने के लिए अलग-अलग जानवरों के दूध का इस्तेमाल करती है , वह बताती है कि वह अलग अलग जानवर का दूध राजस्थान और तमिलनाडु से मंगवाती है। सारी खुश होकर बताती है कि मेरी मेहनत उस दिन रंग लाई जब सरकार द्वारा लगाए गए एग्जिबिशन में मेरे द्वारा बनाए गए एक गधी के दूध के साबुन की खासियत सबको पता चली जिससे लोग हैरान हो गए थे ।
इतना ही नहीं सारी बताती है कि कई प्रकार के जानवरों के दूध से तैयार किए गए साबुनों में से गधी के दूध के साबुन की मांग सबसे अधिक है , सारी ना केवल साबुन तैयार करती है बल्कि सिर्फ जेल और अन्य प्रकार के कॉस्मेटिक पदार्थ भी तैयार करती है, वह अपने इन प्रोडक्ट्स को गधी , ऊंटनी और बकरी के दूध के अलावा विदेश से मंगाए गए क्ले का भी इस्तेमाल करती है यह क्ले फ्रांस, मैक्सिको और जॉर्डन से मंगाया जाता है ।
गधी के दूध के साबुन का नाम सुनकर कई लोगों ने मुंह भी बनाया
सारी बताती है कि शुरुआत में जब लोगों ने पहली बार गधी के दूध के साबुन के बारे में जाना तो उन्होंने मुंह बनाया उन्हें घिन महसूस हो रही थी परंतु फिर मैंने धीरे धीरे उन्हें गधी के दूध में मौजूद त्वचा के लिए पोषक तत्व के बारे में बताया इतना ही नहीं मैंने उन्हें बताया कि क्लियोपेट्र गधी के दूध से नहाती थी और उनके महल में 700 से अधिक गधी मौजूद थी जिनके दूध का इस्तेमाल वह नहाने में करती थी ।
सारी बताती है कि शुरुआत में दूध इकट्ठा करने में काफी परेशानी होती थी कभी-कभी तो दूध को तलाशना पड़ता था परंतु धीरे-धीरे हमने राजस्थान से और तमिलनाडु से दूध मंगवाना शुरू कर दिया, इतना ही नहीं सारी समाज सेवा के काम से भी जुड़ी हुई है इस तहत वे दिव्यांग बच्चों को पेंटिंग की पढ़ाई करवाती है और सारी ने अभी तक 19 पेंटिंग एग्जीबिशन लगाए हैं ।
तैयार साबुन में नहीं होती है किसी प्रकार की खुशबू
सारी बताती है कि वह अपने द्वारा तैयार किए गए साबुन में किसी भी प्रकार का एसेंस नहीं मिलाती क्योंकि उनका कहना है कि यह बच्चों के लिए तैयार किए जाते हैं और बच्चों की स्किन काफी नाजुक होती है, और कई बात तो सारी कस्टमर की पसंद से साबुन बनाती है इतना ही नहीं सारी कहती है कि उन्होंने अपनी बेटी कनिष्का के लिए सबसे पहला साबुन व्हेल मछली के आकार का बनाया था।
सारी अपने काम के लिए सरकार के द्वारा नवाजी भी गई है जानकारी के लिए आप सभी को बता दे की आज सारी 134 किस्मों के साबुन तैयार करती हैं और उनके साबुन की खासियत यह है कि वह साबुन को अलग-अलग आकार और जानवरों के दूध से तैयार करती हैं , सारी साबुन को तैयार करने में काफी एक्सपर्ट हो चुकी है ।
लेखिका : अमरजीत कौर
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