आज हम एक ऐसी गृहिणी के बारे में बात करने वाले हैं जिन्होंने लगभग 15 साल से इलेक्ट्रिशियन का काम किया है हम बात कर रहे हैं बिहार के गया की रहने वाली सीता देवी के बारे में जो बल्ब से लेकर माइक्रोवेव तक सभी इलेक्ट्रॉनिक सामानों को आसानी से ठीक कर सकती है ।
जीवन मे सुख के साथ-साथ दुख की भी स्थितियों का आभास करना पड़ता है अर्थात पुराने जमाने के लोग कह कर गए हैं कि दुख की स्थिति जब भी आती है वह हमें कुछ ना कुछ सीख देकर जाती हैं ।
अर्थात कई बार ऐसा होता है कि वही सीख हमें एक काबिल इंसान बना देती है , कुछ इसी प्रकार हुआ बिहार के गया की रहने वाली सीता देवी के साथ जिन्होंने अपने दुखद वक्त में मिली सीख को अपनी पहचान बना ली अर्थात 15 साल पहले सीता देवी एक सामान्य ग्रहणी थी परंतु अब वह एक महिला इलेक्ट्रीशियन के तौर पर मशहूर है ।
जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि सीता देवी लगभग 15 सालों से गया के काशीनाथ मोड़ पर अपनी दुकान बिजली के उपकरणों को बनाने का कार्य करती है ।
सीता देवी बताती है कि भले ही उन्होंने यह काम मजबूरी में शुरू किया था परंतु आज वह काम खुशी से करती है क्योंकि इसी कार्य ने उन्हें घर को अच्छे से चलाने और उन्हें एक नई पहचान बनाने में मदद की है ।
बातचीत के दौरान महिला इलेक्ट्रीशियन सीता देवी बताती है कि वह बल्ब AC और माइक्रोवेव तक सभी इलेक्ट्रॉनिक सामानों को ठीक करने में कारगर है , वह बताती है कि मेरे दुकान पर कोई भी ग्राहक किसी भी मशीन को लेकर आता है मैं उसे आसानी से रिपेयर कर देती हूं और यही कारण है कि मुझे काम की कमी नहीं होती है ।
अपने पति से सीखा था बिजली का कार्य
जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि सीता देवी कभी भी स्कूल नहीं गई है परंतु फिर भी वह इलेक्ट्रॉनिक के सभी सामानों को आसानी से रिपेयर कर लेती हैं , दरअसल सीता देवी के पति जीतेंद्र मिस्त्री एक इलेक्ट्रिशियन है परंतु अपने स्वास्थ्य की स्थिति अच्छी न होने के कारण वह कार्य नहीं कर पा रहे हैं ।
इस दौरान सीता देवी कहती है कि उनके बच्चे काफी छोटे छोटे थे जब उनके पति के लिवर में सूजन की दिक्कत आ गई थी इस दौरान उनके पति उन्हें दुकान पर साथ ले जाते ।
जैसे जैसे उनके पति कहते वैसे-वैसे वह मशीनों को ठीक करती और इस दौरान ही सीता देवी ने मशीनों को रिपेयर करने का काम सीख लिया और धीरे धीरे पंखा, बल्ब , मिक्सर ग्राइंडर से लेकर AC तक को रिपेयर करने का पूर्ण रूप से कार्य कर लेती हैं ।
धीरे-धीरे सीता देवी इस काम में माहिर हो गई उसके बाद वह दुकान को पूरी तरह से खुद संभालने लगी वह बताती है कि जब उन्होंने इस कार्य की शुरुआत की थी तब उनके बच्चे बहुत छोटे थे अर्थात सीता देवी के चार बच्चे हैं दो लड़कियां और दो लड़के हैं।
1 साल के बच्चे को अपने साथ रख कर करती थी रिपेयरिंग का काम
सीता देवी का सबसे छोटा बेटा तो मात्र 1 साल का था जब वह अपने सारे बच्चों को दुकान पर ले जाकर कार्य करती थी , केवल दुकान का कार्य ही नहीं वह उस समय अपने चारों बच्चों की देखभाल भी करती थी , आज सीता देवी ने इस इलेक्ट्रीशियन के कार्य से ही अपने चारों बच्चों को पढ़ाया है और बड़ा किया है ।
आज सीता देवी के दोनों बेटे उनके साथ दुकान पर रिपेयरिंग का काम करते हैं अर्थात बड़ा बेटा मनोहर बताता है कि इलेक्ट्रिशियन का पूरा काम अपनी मां से सीख चुके हैं और अब मशीनों को रिपेयर करने में मां की मदद करते हैं , अर्थात छोटे बेटे का कहना है कि भले ही मां इलेक्ट्रीशियन का कार्य करती है परंतु वह इस कार्य से अपना ईमान बना चुकी है जिससे उन्हें अपनी मां पर काफी अधिक गर्व महसूस होता है।
समाज की परवाह किए बिना करती है शिद्दत से काम
हालांकि बात यह भी है कि महिला इलेक्ट्रीशियन सीता देवी के लिए इस कार्य से जुड़ना इतना आसान नहीं था , सीता देवी के इलेक्ट्रीशियन का हमसे जुड़ने के लिए न केवल उनके परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों ने बल्कि आसपास के पड़ोसियों ने भी काफी अधिक आपत्ति जताई थी ,और इस समय कोई भी महिला उनके क्षेत्र में दुकान नहीं चलाया करती थी ।
और सीता देवी के लिए ऐसा एक इलेक्ट्रिशियन मैकेनिक का कार्य करना एक बहुत बड़ी बात थी , और इसीलिए उनके कई ग्राहकों ने सीता देवी पर विश्वास जताया और सीता देवी अपने ग्राहकों के विश्वास पर खरी भी उतरी ।
सीता देवी ने समाज की सोच पर ना ध्यान देते हुए केवल अपने कार्य पर पूर्ण रुप से ध्यान केंद्रित रखा और आज इसी कारणवश वह अपने इलेक्ट्रीशियन के कार्य से अपनी पहचान बना पाई है और आसानी से प्रतिदिन 1000 से 1200 की कमाई कर लेती हैं ।
अर्थात सीता देवी ने आज यह साबित कर दिया है कि महिलाएं परिवार पर आने वाली समस्याएं और बच्चों की हर एक मुसीबतों से आसानी से लड़ सकती है, अर्थात ऐसा कहीं पर भी लिखा नहीं है कि यह कार्य महिला का है और यह पुरुष का , बल्कि हर एक काम अपनी जगह महत्वपूर्ण है और यह जीवन में आगे बढ़ने की स्थिति होती है ।
लेखिका : अमरजीत कौर
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