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बड़े काम की बात

बड़े काम की बात
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इन्सान को अपनी जीवनचर्या सदा सहज, सरल रखनी चाहिए । अगर उसके विचार और उसकी सोच संकुचित और तंग हो जाते हैं तो मान के चलें उसकी सहज, सरल और खूबसूरत जिन्दगी में जंग आना शुरू हो गया है ।

जिंदगी के बारे में एक और बात हैं कि इस दुनिया में जब हम आते है तो हम नहीं जानते कि क्या होते हैं गम आदि । इसलिए मानव की मूल प्रकृति सरल सहज से हमे विमुख नहीं होना चाहिए।

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हमारा मन संकल्प विकल्प की चादर बुनता है और उधेड़ता है, अच्छे विचारों को छोड़कर सदैव राग-द्वेषपूर्ण विचारों में रमण करता रहता है। परन्तु मन का ज्ञानवान और चेतना युक्त होना तथा मन का सदैव कर्मशील बने रहना ही मन की पवित्रता है।

यदि हम संसार में आए हैं तो इस संसार में रहकर अच्छे कार्यों को अंजाम देना चाहिए। एक संस्कारित जीवन के निर्माण के लिए पवित्र मन की आवाज को हमें अंतः प्रेरणा मानकर सुनना चाहिए ।

जन्म और मृत्यु तो नदी के दो किनारे है जो आपस में कभी नहीं मिलते जिंदगी इन दोनों के बीच में बहता हुआ पानी है।पानी स्वच्छ हो तो उसमें से सब साफ दर्पण की तरह झलकता है ।

हमारे गुण भी हमारे व्यवहार में ऐसे ही झलकने चाहिए।जब किताब के पन्ने को पलट जाए तो वो सदाचार से भरपूर हो जो पाठक के मन को सम्मोहित करलें।

तब हमारे जीवन की नोटबुक सार्थक है,सकारात्मक सोच से भरपूर , सहज ,सरल , कथनी करनी की समानता ,संतोष, परोपकार आदि विवेक की छलनी से छनी हुई हो हमारी जीवन की किताब।

अतः हमें सावधानी ऐसी रखनी है कि हमारा मन सदैव सहज , सरल बना रहे व हमारी प्रवृत्ति भी सरल बनी रहे ताकि सबके सामने सहज रूप से हमारी छाती तनी रहे ।

प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़)

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