आज हम आपको अक्षय श्रीवास्तव की कहानी बताने जा रहे हैं, अक्षत श्रीवास्तव के पिता यूपी के कुशीनगर जीले में एक किसान हैं। अक्षय श्रीवास्तव बताते हैं कि पिता ने एक किसान होते हुए अपने उत्पाद को बढ़ाने के लिए कई प्रकार से संघर्ष किया उन्होंने खेती-बाड़ी में खराब सिंचाई और बुनियादी ढांचा, उत्पादन एवं लागत में वृद्धि उर्वरक की अक्षमता जैसे कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
अक्षय श्रीवास्तव कहते हैं कि खेतों में रासायनिक उर्वरक के अधिक उपयोग करने से खेती करने वाली जमीन की उत्पादन क्षमता खत्म हो जाती है, इस प्रकार मिट्टी की उर्वरा क्षमता नष्ट हो जाती है और जल धारण करने की क्षमता खत्म हो जाती है, इसके परिणाम स्वरूप कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
अक्षय श्रीवास्तव बताते हैं कि, मेरे पिता के किसान के अनुभव ने मुझे समुदाय के लिए और पिता की समस्याओं को दूर करने के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित किया और यही कारण था कि मैंने खेती के विषय में सभी प्रकार की गहरी जानकारी प्राप्त करने के लिए सतत प्रयास किया , इस दौरान मुझे कृषि में इस्तेमाल किए जाने वाले केमिकल और कृषि समाधान युक्त कई जरूरी जानकारी प्राप्त हुई थी।
वह बताते हैं कि इसके बाद ही मैंने 23 वर्ष की उम्र में एक जैविक उर्वरक का अविष्कार किया , और वह इस जैविक उर्वरक के बारे में कहते हुए बताते हैं कि अगर खेतीबाड़ी करते समय इस उर्वरक का इस्तेमाल किया जाए तो मिट्टी की उर्वरा क्षमता भी बढ़ती रहेगी और खेती के उत्पादक में 35% का अधिक उत्पादन हो पाएग, और इस प्रकार देश के कई किसानों को अपने उत्पादन की क्षमता को बढ़ाने में मदद मिल पाएगी।
इस प्रकार तैयार किया जाविक उर्वरक
अक्षय श्रीवास्तव बताते हैं कि मैंने अपने ग्रेजुएशन के दूसरे वर्ष अपने शोध पर कार्य करना आरंभ कर दिया था, वह कहते हैं कि इस दौरान कॉलेज से तो सहायता मिली ही साथ में परिवार के द्वारा भी वित्तीय सहायता दी गई थी, इस दौरान वह कहते हैं कि कॉलेज में बुनियादी ढांचे की कमी होने के कारण मैंने उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों के संस्थाओं की यात्रा की थी।
वह आगे कहते हैं कि मैंने छुट्टियों के समय में अपने इस उद्योग को विकसित करने के लिए चीनी और शराब के उद्योगी की ओर से भी संपर्क किया था कि मैं अपने उद्योग को और अधिक विकसित कर सकूं।
वह कहते हैं कि जैसे ही मैंने अंतिम समय में अपने स्नातक को हासिल किया वैसे ही करोना महामारी ने अपना प्रकोप दिखा दिया, और इस दौरान करोना महामारी के दौरान में अपने सपने को छोड़ने के लिए मजबूर हुआ क्योंकि परिवार की आर्थिक स्थिति को संभालने के लिए मुझे अपने सपने को छोड़कर एक नौकरी का सहारा लेना पड़ गया था।
इस वक्त मैंने अपने सपने को लेकर जो भी गतिविधि की थी उस पर रोक लग गया था मानो ऐसा लग रहा था कि जितना भी विकास किया था सभी बंद हो गया है अब आगे कुछ भी नहीं किया जा सकता बाजार की स्थिति काफी ही निराशाजनक थी।
वह कहते हैं कि मैंने इस दौरान अपने ड्रीम प्रोजेक्ट को चुना और आगे बढ़कर अपने इस प्रोजेक्ट पर काम करने की ठान ली, और मैं फिर से एक बार अपने जैविक उर्वरक को बनाने में प्रेरित हो गया था और इसलिए मैंने वर्ष 2020 में बाजार में निर्यात करने के लिए एक जैविक उर्वरक तैयार किया जिसमें मैंने 60 रोगाणु के ऊपर प्रयोग किया था।
वह आगे बताते हैं कि यह रोगाणु थे जैसे कि नाइट्रोजन पोटैशियम कार्बन जस्ता जैसे अन्य नौ प्रकार के पोषक तत्व जो उत्पादन क्षमता को बढ़ाने में अधिक सक्षम है वह बताते हैं कि मैंने शुरुआत में 2 किलो उत्पाद तैयार किया आधा उत्पाद मैंने नेशनल एक्रिडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लेबोरेटरीज (एनएबीएल) को लैब टेस्टिंग और बाकी आधा उत्पाद ग्राउंड ट्रायल के लिए भेज दिया था, इस दौरान वह कहते हैं कि परिणाम काफी सराहनीय था किसानों की पैदावार के उत्पाद में वृद्धि हुई ।
इस दौरान अक्षय ने एक सुपर दाना भी विकसित किया जो अपने वजन से 300 गुना अधिक पानी स्टोर करके रख सकता है और इसे धीरे-धीरे खेतों में छोड़ता है, इसके साथ ही साथ इसमें नैनो कर भी शामिल है जो बायोमास के अपघठन को विकसित करता है, और मिट्टी में काफी तेजी से माइक्रोबियल कि दर को काफी तेजी से बढ़ाता है।
वह कहते हैं कि मार्च 2021 में मैंने अपने जैविक उर्वरक को बेचने के लिए एक स्टार्टअप तैयार किया जिसका नाम मैंने नव्याकोश ब्रैंड रखा और स्टार्टअप एलसीबी फर्टिलाइजर्स ( LCB Fertilizers ) की स्थापना की।
आगे अक्षय बताते हैं कि मेरा नाम अखबार में प्रकाशित होने पर मुझे देशभर से कई किसानों से आर्डर मिलने लगे वह कहते हैं कि शुरुआत में तो 150 देशों से ही किसानों के आर्डर आते थे परंतु आगे बढ़कर अब 300 से अधिक देश के किसान हमारे बनाए गए जैविक उर्वरक के लिए आर्डर करते हैं।
इस प्रकार बनाया खेती को आसान
अक्षय श्रीवास्तव बताते हैं कि मेरा एक दोस्त था जो खेती करता था परंतु उसे भी खेती में कई प्रकार की समस्या उठानी पड़ती थी उसके बाद उसने मेरे जैविक उर्वरक के लिए ऑर्डर किया और उसके बाद उसने अपनी खेती में जैविक उर्वरक का इस्तेमाल किया और उसने बताया कि 40% उपज में वृद्धि हुई है।
इस दौरान अक्षय के दोस्त कहते हैं कि पहले मैं अपनी खेती के लिए डीडीटी जैसे कीटनाशकों का इस्तेमाल करता था परंतु उपज इतनी अधिक नहीं हो पाती थी इस दौरान मैंने अक्षय के जैविक उर्वरक का इस्तेमाल किया और मेरी उपज में 40% की वृद्धि हुई है।
इस प्रकार अक्षय आगे कहते हैं कि आज मेरी कंपनी 25 तक जैविक उर्वरक का उत्पादन करती है और निर्यात करती है और आज हम जैविक उर्वरक के उत्पादन से और उसे निर्यात करके काफी अधिक मुनाफा कमा ले रहे हैं अक्षय बताते हैं कि पैसों से कोई मतलब नहीं है शुरू से ही मेरा मकसद था कि मैं अपने पिता और अपने समुदाय की समस्या का हल करूं और इसी कारणवश मैंने जैविक उर्वरक को बनाया था।
अक्षय कहते हैं कि आज जैविक उर्वरक का इस्तेमाल करके कई किसानों की उत्पाद अच्छी हो रही है और अधिक से अधिक उत्पादन भी हो रहा है जिससे किसानों को अधिक मुनाफा प्राप्त हो रहा है और मेरे लिए यही काफी है कि मैंने कुछ ऐसा किया जिससे किसानों की मदद हो सके। आज अक्षय की यह सोच किसानों को काफी सहायता प्रदान कर रही है।
लेखिका : अमरजीत कौर
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