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बनारस का ‘बाइक एम्बुलेंस’: तंग गलियों में जान बचा रहा अमन यादव

बाइक को मिनी एंबुलेंस बना लोगो की मदद कर रहा यह युवा
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दुनिया में ऐसे बहुत कम ही लोग हैं जो दुख और पीड़ा के समय साथ देते हैं और मदद करते हैं। आज हम एक ऐसे युवक की कहानी बताने जा रहे हैं जो अपनी बाइक को ही अपनी मिनी एंबुलेंस बनाकर बनारस की तंग गलियों में लोगों को की मदद कर रहा है और उसने अपना जीवन उन जरूरतमंदों की सेवा के लिए समर्पित कर दिया है जिन्हें किसी न किसी वजह से चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पाती।

यह युवक दिन रात अपनी बाइक को ही एंबुलेंस बनाकर लोगों की सेवा करने में लगा हुआ है। हम बात कर रहे हैं बनारस के रहने वाले अमन यादव की, जो कई सालों से निस्वार्थ भाव से लोगों की मदद कर रहे हैं और मरीजों को प्राथमिक उपचार के लिए अस्पताल पहुंचा रहे हैं।

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अब तक उन्होंने हजारों मरीजों को प्राथमिक चिकित्सा के लिए अस्पताल पहुंचाया है साथ ही वह गुमशुदा लोगों को भी उनके घर पहुंचाने का काम करते हैं।

इस तरह हुई शुरुआत :-

अपनी शुरुआत के बारे में अमन बताते हैं कि एक बार वह किसी काम से सरकारी अस्पताल गए हुए थे और वहां की स्थिति देखकर वह बहुत दुखी हुए। यहां पर इंसानों की स्थिति उन्हें जानवरों से भी बदतर लगी।

उन्होंने देखा कि एक महिला अस्पताल के बाहर बेहोश पड़ी हुई थी और उसकी देखभाल करने के लिए कोई भी नही था। फिर उन्होंने किसी तरह उनके बेटे का नंबर पता किया उनके पास फोन किया तब पता चला कि उनके पास 5 बेटे हैं लेकिन उनमें से किसी ने भी अपनी मां को नही अपनाया यहां तक कि पहचानने से भी इंकार कर दिया।

तब उन्होंने उस बूढ़ी माता के उपचार की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली लेकिन उनकी जान नही बचाई जा सकी। लेकिन जब मरने के बाद उस महिला का पोस्टमार्टम किया गया तब उनके बेटे उनके हाथ की अंगूठी और सोने की चेन लेने के लिए अस्पताल पहुंच गए।

दुनिया का यह स्वार्थी रूप देखकर अमन को बहुत दुख हुआ और उसी वक्त उन्होंने तय किया कि वह अपना वक्त असहाय, गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद करने में लगाएंगे खास करके जिनकी मदद करने वाला कोई नहीं होगा।

पहले अमन पैदल घूम घूम कर लोगों की मदद करने की कोशिश करते थे। कभी भूखे लोगों को भोजन करवा देते थे तो कभी किसी दर्द से पीड़ित व्यक्ति को प्राथमिक उपचार दे देते थे या फिर किसी जरूरतमंद मरीज के लिए खून का प्रबंध कर देते थे।

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जब लोगो को उनके द्वारा किए जाने वाले इन कार्यों के बारे में पता चला तब लोग कॉल करके भी अमन को बुलाने लगे। इसके बाद शहर के एक व्यवसाई ने अमन को साल 2015 में एक सेकंड हैंड बाइक दे दी। अब अमन उस बाइक का प्रयोग मिनी एंबुलेंस की तरह कर रहे हैं।

यह एक ऐसी बाइक है जिसमें प्राथमिक उपचार के लिए फर्स्ट ऐड की दवाई, पट्टी, मलहम रहता है, जिससे कि मौके पर वो लोगों की मदद कर पाते हैं। इसके अलावा अपने बाइक एंबुलेंस के जरिए अमर ने कई मरीजों को समय पर अस्पताल पहुंचा कर उनकी जिंदगी बचाने का काम किया है।

अमन बताते हैं कि बाइक एंबुलेंस से बनारस की गली-गली में पहुंचकर लोगों की मदद करना आसान हो गया है। अब वह आधी रात को भी फोन आने पर अपनी बाइक लेकर निकल पड़ते हैं।

कोरोना वायरस महामारी के दौर में भी की मदद :-

कोरोना वायरस महामारी के चलते लोगों का जनजीवन अव्यवस्थित हो गया है। लेकिन इस समय में भी वह उन जरूरतमंद लोगों को घर तक दवाई पहुंचाने का काम किए हैं जो दवा नही ले पा रहे रहे।

अमन कहते हैं कि उन्हें असहाय और जरूरतमंदों की मदद करके आत्म संतुष्टि मिलती है और इसकी तुलना पैसों से नहीं की जा सकती है।

अमन की माँ को अपने बेटे पर है गर्व :-

अमन की मां बताती हैं कि 5 साल पहले अमन के पिता की कैंसर की बीमारी की वजह से निधन हो गया था। लेकिन इसके बाद भी उनका बेटा कमजोर नहीं बना और वह हमेशा लोगों की मदद करने के लिए तैयार रहता है।

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दूसरे लोगों की मदद करने का जुनून ही अमन की जिंदगी का मकसद बन गया है। अमन की मां को अपने बेटे की इस नेक काम पर गर्व है। बनारस के लोग हम उनको कबीर नाम से बुलाते हैं।

दरअसल लोगों की निस्वार्थ सेवा भाव की वजह से बनारस के एक थाने के प्रभारी आशुतोष तिवारी ने अमन को कबीर का नाम दिया था।

अमन का कहना है कि जरूरतमंदों की सहायता के लिए किसी भी बात का इंतजार नही करना चाहिए और जितना संभव हो सके दूसरे लोगों की मदद करनी चाहिए। इससे दुनिया को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी और इसके लिए सबको साथ में मिलकर काम करना होगा। बनारस में अमन की बाइक एंबुलेंस सेवा के लिए 8687553080 पर सम्पर्क किया जा सकता है।

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