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अनहोनी घटनाएँ : Anhoni Ghatnayen

Anhoni Ghatnayen
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हमारे जन्म से लेकर मरण के बीच में बहुत सारी अनचाही घटनाएँ घट जाती है । कभी कभी तो यह 1 के बाद 1 घटती ही रहती है । उस समय हम इन घटनाओं से झल्ला जाते हैं । जरूरत है उस समय सही सकारात्मक चिन्तन की ।

जन्म और मरण के बीच की कला है जीवन जो सार्थक जीने पर निर्भर हैं। मानव अपने जन्म के साथ ही जीवन , मरण, यश अपयश, लाभ हानि, स्वास्थ बीमारी, देह रंग, परिवार समाज, देश स्थान आदि सब पहले से ही निर्धारित कर के आता है।

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साथ ही साथ अपने विशेष गुण धर्म, स्वभाव, और संस्कार सब पूर्व से लेकर आता है। जीवन में अनसोचा-अनचाहा, अक्सर घटित होता ही रहता है ,निराशा और मायूसी से मन फिर बोझिल हो जाता है ।

ऐसे में सही से सकारात्मक सोच एक चमकते सितारे की भाँति हमारे जीवन में उजाला कर देती है , उदासी से भरे मन को खुशियों से भर देती है । यह सोच हमेशा रखें कि आज नही तो कल समस्या का हल अवश्य निकलेगा , करें तो सही अर्जुन की तरह तीर साधना , मरुभूमि से भी नीर निकलेगा ।

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यदि सोच हमारी नकारात्मक है तो छोटी सी समस्या भी पहाड़ सी लगती है और विधेयक सोच से पहाड़ सी परेशानी भी राई सी बन जाती है । निषेधात्मक चिंतन से हम निराशा के कूप में गिर जाते हैं जबकि विधेय सोच हमारी ज़िंदगी का उजला सवेरा है ।

एक मकड़ी कितनी बार गिरती ,कितनी बार चढ़ती है ,लेकिन मन में सकारात्मकता का जज़्बा लिए पहाड़ पर चढ़ जाती है ।सकारात्मकता सफलता के उच्च शिखर पर चढ़ने का सोपान है ।

प्रगतिपथ पर बढ़ने का संगान है , तन-मन को ऊर्जस्वित करने का अभियान है । अपने-आप में ही एक पहचान है । हमारे विचार-वाणी और व्यवहार को सकारात्मकता से आप्लावित हमको सदैव करना है ।

प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़)

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