आज हम बात करने वाले हैं अनुराग असाटी के बारे में , जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि अनुराग असाटी मध्य प्रदेश के दमोह से अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने घर भोपाल, मध्य प्रदेश वापस लौट आए थे।
Anurag Asati अपने घर में वापस लौटने के बाद एक दिन उन्हें घर के कबाड़ और पेपर को बेचने के लिए कबाड़ी वाले भैया की तलाश करनी पड़ी , हालांकि कई तलाश के बाद उन्हें कबाड़ी वाले भैया नहीं मिले और आसपास के लोगों से पता चला कि उन्हें अपने घर के कबाड़ को फेंकने के लिए कबाड़ वाले को खोजना पड़ता है अर्थात दिनों दिनों तक कबाड़ वाला यहां नहीं आता है ।
हालांकि इस दौरान अनुराग ने इस समस्या का हल निकालने के लिए अपने सीनियर दोस्त कविंद्र रघुवंशी से बात की इस दौरान अनुराग और कविंद्र दोनों ने मिलकर इस समस्या का हल करने के लिए इसे The Kabadiwala बिजनेस में बदलने का प्रयास किया ।
बातचीत के दौरान अनुराग बताते हैं कि यह क्षेत्र काफी अव्यवस्थित है यहां लोगों को अपना कबाड़ बेचने के लिए कबाड़ी वाले का दिनों दिनों तक इंतजार करना पड़ता है अर्थात इस समस्या का हल करने के लिए इस समस्या को एक प्रोफेशनल समस्या बनाकर प्रोफेशनल टीम के साथ कार्य करने से समस्या का हल काफी आसानी से हो सकेगा ।
हालांकि अनुराग की सोच तो सही थी परंतु अनुराग ने इसे किसी प्रकार का स्टार्टअप या फिर बिजनेस बनाने के बारे में नहीं सोचा था, साथ ही साथ कुछ समय बाद अनुराग ने वर्ष 2013 में अपने दोस्तों के साथ मिलकर एक ऐप लॉन्च किया और अपने आइडिया को लोगों तक पहुंचाना शुरू किया हालांकि अनुराग की इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी होने के बाद उन पर नौकरी करने का काफी अधिक दबाव बन गया था ।
नौकरी के दबाव के कारण अनुराग ने स्टार्टअप शुरू करने का ख्याल छोड़ दिया और और अपनी इंजीनियरिंग की नौकरी करना शुरू कर दी , हालांकि नौकरी के साथ ही साथ उनके जहन से स्टार्टअप का ख्याल नहीं उतरा था और इस दौरान उन्होंने वर्ष 2015 में अपनी नौकरी को छोड़ कर अपने आइडिया पर काम करना शुरू कर दिया था ।
शुरुआत में इस प्रकार की परेशानियों का करना पड़ा सामना
अनुराग बताते हैं कि शुरुआत में जब मैंने अपनी नौकरी छोड़ कर अपने स्टार्टअप को शुरू करने का प्रयास किया इस दौरान परिवार को समझाना काफी कठिन था साथ ही साथ आसपास के लोग पिता से पूछते थे कि आपका बेटा कबाड़ का काम कर रहा है हालांकि जब मेरे पिता ने देखा कि हम इससे कुछ हटकर बड़े स्तर पर कर रहे हैं तो पिता ने मेरा पूरा साथ दिया और हमारे (The Kabadiwala) स्टार्टअप के पहले निवेशक भी मेरे पिताजी रहे हैं ।
अनुराग और उसके दोस्त कविंद्र ने जब अपनी नौकरी को छोड़ने के बाद (The Kabadiwala) स्टार्टअप की शुरुआत की तो उन्हें केवल टेक्निकल ज्ञान था इसलिए उन्होंने वेबसाइट तो तुरंत तैयार कर ली परंतु उन्हें रीसाइक्लिंग कंपनियों के बारे में कुछ भी ज्ञान नहीं था ।
अनुराग अपने (The Kabadiwala) स्टार्टअप के पहले आर्डर के बारे में बताते हुए कहते हैं कि उन्हें अपने स्टार्टअप का पहला आर्डर अपने जूनियर से ही मिला था इस दौरान उन्हें कुछ ज्ञान नहीं था कि कबाड़ को कैसे लेकर आना है इस दौरान वह अपने दोस्त के साथ बाइक पर ही कबाड़ को लेने चले गए परंतु लेने के बाद उन्हें यह तो नहीं पता था कि इस कबाड़ का करना क्या है हालांकि उस दौरान उनके जूनियर ने कहा कि सर आप यह क्या कर रहे हैं कम से कम आप अपनी नौकरी को फिर से जॉइन कर ले परंतु अनुराग परिस्थितियों से सीख कर आगे बढ़ना चाहते थे ।
गलतियों से सीख कर इस प्रकार बड़े आगे
अनुराग ने शुरुआत में अपने स्टार्टअप के दौरान काफी गलतियां की और उन्होंने अपनी गलतियों से सीख भी हासिल की , हालांकि उनके द्वारा शुरू किया गया यह स्टार्टअप एक अव्यवस्थित कार्य था , और उन्हें इस काम को सिखाने वाला कोई भी नहीं था ।
अनुराग अपनी दूसरी समस्या के बारे में बात करते हुए कहते हैं कि सबसे बड़ी समस्या यह है कि लोग कबाड़ी वाले को इज्जत नहीं देते हैं अर्थात उन्हें और उनके काम को किसी भी प्रकार का सम्मान नहीं मिल पाता है इस दौरान हमने प्रोफेशनल टीम बनाई और लोगों को जागरुक किया अर्थात हमें लोगों को यह भी बताया कि कबाड़ को अलग-अलग जमा करें इस दौरान लोगों का हमारे प्रति नजरिया भी बदला ।
इस प्रकार काम करती है The Kabadiwala कंपनी
जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि कबाड़ी वाला कंपनी देश के 40 अलग-अलग शहरों से कबाड़ को इकट्ठा करती है , और स्टार्टअप के द्वारा इकट्ठे किए गए सभी कबाड़ को रीसाइकलिंग कंपनी में भेजा जाता है । अनुराग कहते हैं कि आज हमारे स्टार्टअप के दौरान 77% वेस्ट रीसायकल हो जा रहा है और लैंडफिल और प्रकृति की सुरक्षा काफी अधिक हो पा रही है।
इस प्रकार कर रहे हैं करोड़ों का टर्नओवर
जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि अनुराग का यह The Kabadiwala स्टार्टअप एक बड़ी कंपनी बन गई है साथ ही साथ हाल ही में इस कंपनी को 3 करोड़ का फंड भी मिला था आज यह कंपनी लोगों को जागरुक तो कर ही रही है साथ ही साथ इस कंपनी का सालाना टर्नओवर 10 करोड़ हो गया है ।
लेखिका : अमरजीत कौर
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