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badshah masale ki kahani

आइए जानते हैं बादशाह मसाले की कहानी साइकिल पर मसाले बेचने से लेकर 154 करोड़ की कंपनी बनने तक का सफर

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“स्वाद सुगंध का राजा बादशाह मसाला” इस लाइन से तो आप सभी वाकिफ होंगे ही। यह भले ही हास्य की बात है परंतु हम भी आपको बता दें कि हम भी इस विज्ञापन को देखते हुए लालच में पड़े हुए हैं और दिखाएगा खाने के आइटम को देख कर मुंह में पानी आ जाता है।

इसके साथ ही साथ कई इंस्टाग्राम अकाउंट पर 90 के दशक में रेडियो और टेलीविजन पर आने वाले एडवर्टाइजमेंट की यादों को फिर से तरोताजा कर दिया है।

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बादशाह मसाला ब्रांड की स्थापना 1958 में हुई थी और इस ब्रांड ने लगातार अपने ग्राहकों का दिल जीता है। परंतु फिर भी भारत के कई व्यक्ति इस मसाले के ब्रांड की तरक्की के पीछे खड़े व्यक्ति को नहीं जानते हैं। आइए जानते हैं बादशाह मसाले ब्रांड के पीछे की तरक्की का राज क्या है।

छोटा व्यवसाय बन गया इस प्रकार बड़ी कंपनी

बादशाह मसाले की शुरुआत मुंबई में 1958 में जवाहरलाल जमनादास झावेरी ने की थी। और शुरुआत के समय में इन्होंने केवल गरम मसाले और चाय के मसाले के साथ अपने कारोबार को शुरू किया था।

जवाहरलाल जमनादास झावेरी कहते हैं कि मेरे पिता सिगरेट बेचने के लिए इस्तेमाल करने वाले टीन के डब्बो को इकट्ठा किया करते थे और इसका इस्तेमाल उन्हें साफ करके उनके लेबल को हटाकर उनमें मसालों को पैक करते थे।

और उन्हें अपने साइकिल पर सवार होकर अपने आसपास के क्षेत्रों में उसकी बिक्री कर देते थे। वह कहते हैं कि हमारा मसाले का प्रोडक्ट लोगों में जल्दी ही पसंद किया जाने लग गया था वह कहते हैं कि एक अच्छे ब्रांड को सफल होने के लिए समय नहीं लगता है।

जवाहरलाल जमनादास झावेरी बताते हैं कि इसके बाद उन्होंने मुंबई के एक उपनगर घाटकोपर में एक छोटी  इकाई को शुरू किया, और इसे गुजरात के उम्बर्गों में 6,000 वर्ग फुट के बड़े कारखाने में बदलने में बिल्कुल भी समय नहीं लगा। इसके बाद कंपनी ने पाव भाजी मसाला चाट मसाला चना मसाला बनाने के लिए हमें ऑफर किया।

हेमंत बताते हैं कि मैंने वर्ष 1994 में कारोबार में प्रवेश किया और मैंने अपना व्यवसाय कौशल अपने पिता के द्वारा ही हासिल किया था।

इस दौरान वह बताते हैं कि मैं केवल 29 वर्ष का था जब मेरे पिता का निधन हो गया परंतु उनकी पारंपरिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए मैं दृढ़ संकल्पित था।

हेमंत बताते हैं कि जैसे ही मैंने कारोबार को संभालने के लिए शुरूआत की तब मैंने यह सोचा कि सबसे महत्वपूर्ण यह होगा कि क्यों ना मैं कंपनी की पहचान को बढ़ाओ इस प्रकार उन्होंने अपनी मसालों की पहचान का विस्तार इस प्रकार किया कि आज उनके मसाले करीब 20 से अधिक देशों में निर्यात हो रहे हैं।

जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि बादशाह मसाले ब्रांड निर्यात नेटवर्क से लेकर अंतर्राष्ट्रीय बाजार सुपर मार्केट एवं किराना स्टोर पर अपनी खास पहुंच रखता है।

बादशाह मसाले का बाजार

जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि बादशाह मसाले 6 श्रेणियों में कार्य करता है और हर महीने 400 से 500 तक मसालों का उत्पादन करता है।

हेमंत बताते हैं कि बादशाह मसाले का मसाले के उद्योग में 35 % का योगदान है। इस दौरान वह यह भी बताते हैं कि करोना महामारी के दौरान उन्हें काफी नुकसान भी उठाना पड़ा था।

हेमंत कहते हैं कि लॉकडाउन के दौरान सभी लोग घर पर थे और घर पर रहकर खाना बना रहे थे और यही वक्त था जब बाजार बंद हो गया था और हमारा प्रोडक्शन होना भी काफी कम हो गया था यही वक्त था जब हेमंत कहते हैं कि हम ने यह महसूस किया कि पारंपरिक बिक्री को छोड़कर हमें ऑनलाइन बिक्री भी करनी आवश्यक है।

जानकारी के लिए और सभी को बता दें कि आईबीईएफ के अनुसार मसालों का उत्पादन करने मैं भारत का स्थान प्रथम है भारत सबसे अधिक मसालों का उत्पादन करता है।

इसके साथ ही साथ अंतरराष्ट्रीय द्वारा सूचीबद्ध किए गए 109 मसालों में से 75 किस्म के मसालों का उत्पादन केवल भारत में होता है।

और पूरे वैश्विक मसालों का उत्पादन का आधा हिस्सा भारत से होता है और सबसे अधिक मसालों का निर्यात अन्य देशों में भारत देश से ही किया जाता है।

हेमंत बताते हैं कि छोटे से व्यवसाय को इतना बड़ा करना इतना आसान तो नहीं था हमने कई मुश्किलों का सामना किया यहां तक कि इस व्यापार को इतना बड़ा करने में मेरे पिताजी ने काफी कुछ किया इसकी शुरुआत ही मेरे पिताजी के द्वारा हुई थी उन्होंने ही साइकिल पर मसालों को बेचकर बाजार में सबसे पहले बादशाह मसालों का नाम लाया था।

परंतु कुछ समय बाद जब मेरे पिता का निधन हो गया तब मैंने इस कारोबार को संभालने का निश्चय किया क्योंकि पिता के पारंपरिक कारोबार को आगे लेकर जाना मेरा कर्तव्य है और मैंने पूरी मेहनत की और बादशाह मसाले के छोटे से व्यवसाय को आज इतना बड़ा बनाया है।

इस दौरान हेमंत बताते हैं कि भले ही शुरुआत में जब मैंने इस कंपनी में कदम रखा तब मुझे कई परिस्थितियों से गुजर ना पढ़ा परंतु मैंने हिम्मत नहीं हारी और सभी परिस्थितियों से लड़कर आज मैंने अपने पिता के पारंपरिक बिजनेस को आगे अंतरराष्ट्रीय तक फैला दिया है।

बादशाह मसाले का आगे का रास्ता

हेमंत बताते हैं कि भले ही महामारी के दौरान उन्हें कई कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा और बाजार में उनके मसालों की गिरावट भी गिर गई।

परंतु अब वे भविष्य में अपने बादशाह मसाला  के ब्रैंड का विस्तार करने के लिए और मसाले के साम्राज्य की व्यवस्था को बढ़ाने के लिए  वह कई योजना को बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

इसके साथ ही वह बताते हैं कि वह बादशाह मसाले मैं कई मसालों का उत्पादन तो करते ही हैं परंतु अब वे अचार सेगमेंट को  लाने की भी सोच रहे हैं।

हेमंत बताते हैं कि इसके अलावा हम अपने बादशाह मसाला ब्रांड में आधुनिक प्रक्रियाओं को जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं और एक अच्छे और सुसंगत उत्पादन करने के लिए एवं मैन वर्क के बड़े हिस्से को कम करने के लिए ऑटो मशीन के द्वारा काम करने की योजनाएं बना रहे हैं।

इस तरह हेमंत बताते हैं कि भारतीय स्वादिष्ट व्यंजनों को लगातार लोकप्रिय बनाने की खोज पूरी गति से हमेशा जारी रहेगी।

हेमंत बताते हैं कि मैंने अपने पिता के पारंपरिक व्यवसाय में कदम रख के भले ही उसकी तरक्की कर दी है परंतु अभी भी मेरा एक लक्ष्य बाकी है मैं बादशाह मसाले के ब्रांड को केवल अंतर्राष्ट्रीय बाजार और अन्य मार्केट में नहीं बल्कि ऑनलाइन मार्केटिंग में भी शामिल करना चाहते हैं।

लेखिका : अमरजीत कौर

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