आज हम बात कर रहे हैं भंवर पाल सिंह के बारे में , जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि भंवरपाल सिंह मूल रूप से कानपुर जिले के सरसौल ब्लॉक के महुआ गांव के रहने वाले हैं ।
भंवरपाल सिंह ने इलाहाबाद हाई कोर्ट से कुछ समय पहले ही वकालत छोड़ दी , इन्होंने वर्ष 2000 में अपने माता पिता के गुजरने के बाद वापस आकर गांव में खेती करना शुरू कर दिया।
जैसे कि हम सभी जानते हैं कि अगर किसी भी काम में मन लगाकर उस काम को पूर्ण रूप से किया जाए तो उस काम में सफलता अवश्य हासिल होती है कुछ इस प्रकार का नहीं कर के दिखाया हैं भंवरपाल सिंह ने जी हरपाल सिंह आलू की खेती करते हैं और दूसरे देश में बड़े स्तर पर निर्यात करके अधिक मुनाफा अर्जित करते हैं ।
वकालत छोड़ शुरू की है आलू की खेती
जानकारी दी और सभी को बता दें कि हरपाल सिंह इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकालत का कार्य किया करते थे परंतु अपने माता पिता की मौत हो जाने के बाद इन्होंने गांव वापस आकर खेती करने का निश्चय किया और उसके बाद से ही उन्होंने आलू की खेती करने शुरू कर दी थी ।
आलू की खेती से मिला बढ़िया मुनाफा
भंवरपाल सिंह बताते हैं कि मार्केट में आलू की मांग सबसे अधिक है इसलिए वह अपनी खुद की 22 एकड़ की जमीन के साथ साथ 11 एकड़ जमीन ठेके पर लेकर आलू की खेती करते हैं , अगर हम आपको भंवरसिंह के 1 एकड़ की पैदावार के बारे में बताएं तो उनके 1 एकड़ में 400 से 500 क्विंटल आलू उगते हैं , अर्थात या प्रति क्विंटल एक से डेढ़ लाख का मुनाफा कमा लेते हैं।
कई अवार्ड के द्वारा हो चुके हैं सम्मानित
भंवरपाल सिंह आलू की खेती का अधिक उत्पादन करने के लिए अर्थात अपनी तकनीकों के चलते कई अवार्ड के द्वारा सम्मानित किए जा चुके हैं , भंवरसिंह को वर्ष 2013 में पीएम मोदी द्वारा वैश्विक कृषि समिट में सम्मानित किया जा चुका है केवल इतना ही नहीं वर्ष 2020 में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा , गोबल पोटेटो कॉन्क्लेव गांधी नगर गुजरात में सर्वश्रेष्ठ आलू उत्पादन के लिए भंवरसिंह को सम्मानित किया गया था ।
भंवरसिंह बन गए हैं पूरे उत्तर प्रदेश की पहचान
जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि भवरसिंह ना केवल आलू के उत्पादन के लिए मशहूर है बल्कि यह आलू के बीज उत्पादन के लिए भी पूरे यूपी में जाने जाते हैं , अर्थात भंवर सिंह अपने आलू के बीजों को अलग अलग राज्य एवं देशों में निर्यात करके काफी अधिक मुनाफा एकत्र करते हैं ।
भंवरसिंह बताते हैं कि भले ही माता-पिता के गुजरने के बाद मैंने खेती करने का निश्चय किया परंतु मन में एक ख्याल था कि क्या इसमें सफलता मिलेगी परंतु उसके मन में काफी अधिक जज्बा और सदैव ही हर कार्य को मन लगाकर किया इसीलिए आज आलू की खेती ने मुझे इतना बड़ा मुनाफा दिया है और मैं कई अवार्ड के द्वारा सम्मानित भी हो चुका हूं आज यह खेती करना ही मेरी पहचान है ।