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आइए जानते हैं बुरहानपुर के किसान की सफलता की कहानी, 20 हजार की लागत लगाकर कमा रहे हैं 2 लाख का मुनाफा

Burhanpur farmer Prashant Chaudhary ki safalta ki kahani
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आज हम बात करने वाले हैं बुरहानपुर के किसान प्रशांत चौधरी के बारे में , देश के प्रमुख केला उत्पादक क्षेत्र बुरहानपुर के किसान प्रशांत चौधरी काफी समय से रासायनिक खेती करते थे परंतु अब वह रासायनिक खेती को छोड़कर जैविक खेती में रुख कर के लाखों का मुनाफा अर्जित कर रहे हैं ।

आमतौर पर देखा जाता है कि सभी किसानों के मन में यह विचार बैठ गया है कि जैविक खेती से फसल का उत्पादन अच्छा नहीं होता है परंतु मध्यप्रदेश के बुरहानपुर के रहने वाले प्रशांत चौधरी ने जैविक खेती करके और लाखों का मुनाफा अर्जित करके एक नई कहानी लिख दी है ।

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जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि आज के समय में जलवायु परिवर्तन मौसम की बेरुखी की वजह से किसानों की खेती की लागत बढ़ रही है और मुनाफा कम हो रहा है ।

आज हम आपको मध्यप्रदेश के बुरहानपुर के छोटे से गांव के रहने वाले प्रशांत चौधरी के बारे में बताने वाले हैं जो जैविक खेती करके ‌ अमरूद, सीताफल , टमाटर और मिर्च का उत्पादन करके लाखों रुपए की शुद्ध कमाई कर रहे हैं , प्रशांत चौधरी का कहना है कि उनकी इस सफलता को हासिल करने मैं बागवानी (Horticulture) और कृषि विभाग का महत्वपूर्ण योगदान है।

बातचीत के दौरान प्रशांत चौधरी बताते हैं कि उनके द्वारा उगाई गई सब्जियां बाजार में हाथों-हाथ अधिक दाम में व्यापारियों के द्वारा खरीद ली जाती है , इसके साथ-साथ प्रशांत बताते हैं कि अपने 1 एकड़ के खेत में 20 हजार से 25 हजार की लागत लगाते हैं और 2 लाख तक का मुनाफा कमाते हैं।

चौधरी कहते हैं कि मुनाफा इसलिए भी अच्छा मिलता है क्योंकि उन्होंने पारंपरिक खेती को छोड़कर जैविक खेती की ओर रुख कर लिया है। इसके साथ ही साथ प्रशांत चौधरी की सफलता भरी कहानी कई किसानों को इस बात का सबूत देती है कि जैविक खेती करने से लागत कम और मुनाफा अधिक प्राप्त होता है ।

रसायनिक खेती में लागत अधिक और मुनाफा कम

प्रशांत चौधरी कहते हैं कि वह भोसला मिलिटरी स्कूल नासिक में पढ़ाई किया करते थे , इस दौरान ही उनके पिता की तबियत बिगड़ गई इस दौरान उन्हें परिवार की सारी जिम्मेवारी अपने ऊपर लेनी पड़ी और उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ कर खेती करना शुरू कर दिया।

इस दौरान प्रशांत चौधरी कहते हैं कि वह अपने खेतों में रासायनिक खेती करते थे और फर्टिलाइजर और रसायनिक केमिकलों का भरपूर मात्रा में उपयोग करते थे ।

इस दौरान लागत अधिक लगती थी और मुनाफा कम होता था साथ ही साथ रसायन युक्त सब्जियों का सेवन करने से शरीर को हानि भी पहुंचती थी इसके कुछ समय बाद ही मैंने रासायनिक खेती को त्याग कर जैविक खेती को अपनाने का निश्चय किया ।

दूसरे किसानों के लिए बन गए हैं प्रेरणा स्रोत

प्रशांत चौधरी बताते हैं कि साल दर साल जब उनका मुनाफा बढ़ता गया तो जैविक खेती के प्रति उनका हौसला बढ़ता गया, और अब प्रशांत चौधरी 10 एकड़ खेतों में सीताफल और मिर्ची की खेती करते हैं ।

प्रशांत कहते हैं कि जब उन्होंने जैविक खेती करने की शुरुआत की तो उन्हें शुरुआत में थोड़ा कम उत्पादन मिला परंतु उन्होंने हार नहीं मानी और आज जैविक खेती के बल पर बंपर उत्पादन और अधिक मुनाफा कमा रहे हैं ।

प्रशांत कहते हैं कि इसका लाभ तो आज मैं उठा ही रहा हूं परंतु मेरी सफलता को देखते हुए आसपास के कई किसान आकर आज जैविक खेती सीखने के लिए प्रेरक हो रहे हैं ।

इस प्रकार की खादों का करते हैं उत्पादन

प्रशांत चौधरी बताते हैं कि  वह अपनी फसलों के अवशेष और कूड़े को जलाते नहीं है बल्कि इसका उपयोग जैविक खाद और पेस्टिसाइड तैयार करते हैं , जिसका उपयोग खेतों में करने से तेजी से फसलों की बढ़ोतरी होती है ।

इसके साथ ही साथ वह अपने घर पर गोबर की खाद, वर्मी कंपोस्ट , जीवामृत, वेस्ट कंपोस्ट तैयार करके अपने खेतों में इसका उपयोग करते हैं, मिट्टी की उपजाऊ क्षमता बढ़ती रहती है , और फसलों में भी पूरी तरह से पोषक तत्व भरपूर मात्रा में मिलते हैं ।

आज मध्यप्रदेश के बुरहानपुर के ‌ एक छोटे से गांव के किसान प्रशांत चौधरी रासायनिक खेती को छोड़कर जैविक खेती की ओर रुख कर के लाखों का मुनाफा अर्जित कर रहे हैं और कई किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत भी बन गए हैं ।

 

लेखिका : अमरजीत कौर

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