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सब्जी बेचने वाले की बेटी बनी सिविल जज इस प्रकार हासिल किया की 5वीं रैंक

Civil judge Ankita Nagar ki safalta ki kahani
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कहा जाता है कि  जीवन में सफलता हासिल करने के लिए ‌ सबसे महत्वपूर्ण यह है कि आप अपने लक्ष्य को तय करें और उसके बाद उस दिशा में सही तरह से तैयारी करें अर्थात मेहनत और लगन के साथ प्रयास करने से सफलता आपके कदम चुनती है , हालांकि सफलता हासिल करने के लिए व्यक्ति को निरंतर प्रयास करना पड़ता है ।

इस प्रकार ही मेहनत और लगन के साथ अर्थात कड़ी मेहनत के बाद इंदौर की रहने वाली अंकिता नागर ने सिविल जज की परीक्षा में पांच वी रैंक हासिल करके सिविल जज बनकर कई युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन गई है , जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि अंकिता नागर ने यह स्थान एससी कोटे के तहत हासिल किया है ।

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जानकारी के लिए आप सभी को बता दें अंकिता नागर के माता-पिता सब्जी बेचने का कार्य करते हैं और इस व्यवसाय से ही उनके परिवार का घर चलता है , परंतु अंकिता ने इस बात को साबित कर दिया है कि आर्थिक स्थिति ऊंचाइयों को छूने के लिए मायने नहीं रखती है मायने रखता है तो मेहनत और लगन के साथ किया गया कार्य , और इसी के बल पर महज 25 वर्ष की आयु में अंकिता नागर ने एमपीएचसी (MPHC) की परीक्षा को पास करके सिविल जज का स्थान हासिल किया है । आइए जानते हैं अंकिता नागर की सफलता की कहानी –

जानकारी के लिए आप सभी को बता दे  अंकिता नागर को बचपन से ही पढ़ाई लिखाई का काफी शौक था और वह पढ़ाई में काफी अच्छी हुई थी परंतु परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण उन्हें निरंतर अपने माता-पिता का हाथ बढ़ाना पड़ता था और कई बार तो उन्हें अपने माता पिता के साथ सब्जी बेचने के लिए भी जाना पड़ता था ।

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परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए और सभी परिस्थितियों को नजर में रखते हुए अंकिता नागर ने कभी हार नहीं मानी और अपनी पढ़ाई की ललक को जागरूक रखा और आज किसी के बल पर वह सिविल जज की परीक्षा में हिस्सा लेकर उस में सफलता हासिल कर पाई है और एक सिविल जज बनकर अपने माता-पिता का नाम रोशन कर रही है ।

बातचीत के दौरान अंकिता बताती है कि परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण उन्हें निरंतर अपने माता की काम में मदद करनी पड़ती थी परंतु अपनी पढ़ाई के लिए समय निकाल ही लेती थी।

वह कहती हैं कि जब हमारी दुकान में कोई ग्राहक नहीं आता था तब वह उस थोड़े समय में अपनी पढ़ाई कर लेती , अंकिता नागर कहती है कि भले ही परिस्थितियां खराब थी परंतु मैंने पढ़ाई को नजरअंदाज नहीं किया लगातार अपनी पढ़ाई को जारी रखा ।

जानकर आपको काफी हैरानी होगी कि अंकिता के बड़े भाई रेत की मंडी में मजदूरी करते हैं और उनकी छोटी बहन की शादी हो गई है हालांकि अंकिता आगे बढ़ना चाहती इसलिए वह लगातार 10 घंटे पढ़ाई करती थी।

जिस वक्त अंकिता ने अपने परिवार वालों को सिविल जज बनने के उनके सपने के बारे में बताया तो उनके माता-पिता ने उनका पूरा सहयोग दिया और यही कारण है कि आज आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद भी अंकिता नागर सिविल जज बनने के सपने को पूरा कर पाई है।

जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि सिविल जज की परीक्षा में सफलता हासिल करने के लिए अंकिता नागर लगातार 3 सालों से प्रयास कर रही थी इसके लिए उन्होंने सबसे पहले वर्ष 2017 में इंदौर के वैष्णव कॉलेज से एल एल बी (LLB) की पढ़ाई पूरी की थी।

इसके बाद वर्ष 2021 में एल एल एम (LLM) की परीक्षा को पास करने के बाद सिविल जज की परीक्षा में सफलता हासिल करने में जुट गई थी परंतु दो प्रयासों में उन्हें सफलता नहीं हासिल हो पाई थी ।

दो प्रयासों में अंकिता नागर सिविल जज की परीक्षा में असफल रही परंतु इसके बावजूद उनके माता-पिता ने लगातार उनका हौसला बुलंद करने का प्रयास किया, इस दौरान अंकिता नागर ने अपने अगले प्रयास में ही सफलता को हासिल कर दिखाया ।

अपनी सफलता के बारे में बताते हुए अंकिता नागर कहती है कि जैसे ही सिविल जज का रिजल्ट आया उन्होंने सबसे पहले यह खुशखबरी अपनी मम्मी को ठेले पर जा कर दि।

आज अंकिता नागर ने यह साबित कर दिखाया है कि अगर लगन के साथ कड़ी मेहनत से की जाने वाली कोशिश सफलता अवश्य दिलाती है ।

 

लेखिका : अमरजीत कौर

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