ADVERTISEMENT

नोएडा की इस पाठशाला में फीस के बदले लेते हैं प्लास्टिक कचरा और बच्चों को Free में देते हैं खाना और किताबें

ADVERTISEMENT

पर्यावरण प्रदूषण की समस्या दिन-ब-दिन गंभीर बनती जा रही है। इसलिए लोग प्लास्टिक के खिलाफ तरह-तरह के जागरूकता अभियान चला रहे हैं।

लोग इसके लिए बाजारों में जाकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं। लेकिन नोएडा सेक्टर 63 में एक ऐसी पाठशाला है जहां पर प्लास्टिक की समस्या से निपटने के लिए अनोखे ढंग की पहल शुरू हुई है।

ADVERTISEMENT

यह पाठशाला रोजाना पाठशाला नाम से जानी जाती है। यह कोई सरकारी या निजी स्कूल नहीं है। इसे चैलेंजर्स ग्रुप द्वारा चलाया जा रहा है।

यह आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए शिक्षा का केंद्र बन गया है। यहां पर बच्चों से फीस नही ली जाती बल्कि फीस के बदले प्लास्टिक का कचरा लिया जा रहा है।

ADVERTISEMENT

बदले में उन्हें शिक्षा देने के साथ-साथ free में किताबें, स्टेशनरी और खाना दिया जाता है। बच्चे जब इस शिक्षा केंद्र में आते हैं तो वह इकट्ठा किए गए प्लास्टिक कचरे को डस्टबिन में डाल देते हैं।

इस अनोखी पहल की शुरुआत प्रिंस शर्मा नाम के व्यक्ति ने की है। वह इस अनोखे स्कूल के संस्थापक हैं और अपने काम के साथ एक सकारात्मक विचार को लेकर आगे बढ़ रहे हैं।

साफ सफाई के प्रति जागरूकता है उद्देश्य

चैलेंजर्स ग्रुप के संस्थापक प्रिंस शर्मा झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक कर रहे हैं। वह कहते हैं कि जो भी झोपड़ियों में रहने वाले लोग पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं से पूरी तरह अनजान है।

यहां पर रहने वाले गरीब परिवार के बच्चे हैं। इस पहल का उद्देश्य बच्चों को कम उम्र में ही साफ-सफाई और पर्यावरण के प्रति जागरूक करना है।

शुरुआत में बच्चे घर और रास्ते में पड़े प्लास्टिक को उठाने के लिए तैयार नहीं होते थे। लेकिन जब स्वच्छता के महत्व के बारे में समझाया गया तो वह इस मुहिम में शामिल होने लगे।

इस पाठशाला में आने वाले बच्चे शिक्षा के साथ किताबें मुफ्त में पाते हैं। बच्चों द्वारा इकट्ठा के लिए प्लास्टिक कचरे के बदले उन्हें फ्री में शिक्षा और अन्य सुविधाएं दी जा रही है।

असहाय बच्चों को दी शिक्षा

प्रिंस शर्मा बताते हैं कि रोजाना पाठशाला में आने वाले छात्र अपने घरों व रास्ते में पड़े प्लास्टिक की बोतलें, रैपर जैसे सूखे कूड़े एकत्रित करके लाते हैं और स्कूल के डस्टबिन में रख देते हैं।

प्रिंस बताते हैं कि करीब 8 साल से शहर की झुग्गी झोपड़ियों में बस्तियों में रहने वाले बालिकाओं की शिक्षा, सेहत और आर्थिक आत्मनिर्भरता को लेकर माता-पिता और लोग जागरूक हो रहे हैं और समानता की मुहिम से जुड़े हुए हैं।

वर्तमान समय में उनकी संस्था शहर के झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले 350 से भी अधिक बच्चों को चैलेंजर्स की पाठशाला नामक शिक्षा केंद्र से शिक्षा दे रही है।

चैलेंजर्स ग्रुप का पक्षियों के लिए काम

कुछ साल पहले तक लगभग हर घर में गौरैया दिखाई देती थी। लेकिन अब यह दिखाई नहीं देती है। भीषण गर्मी के चलते मनुष्य ही नहीं बल्कि बेजुबान पशु पक्षी भी परेशान हो रहे हैं।

ऐसे में समाज सेवी संस्था चैलेंजर्स ग्रुप द्वारा विलुप्त होने वाले प्रजातियों को पुनर्जीवित करने का एक अनूठा प्रयास किया जा रहा है।

इस प्रयास के तहत शहर के विभिन्न स्थानों, चौराहों पर चैलेंज ग्रुप द्वारा बनाए गए एक विशेष उपकरण को लगाया जा रहा है।

जिसमें बेसहारा परिंदों के लिए दाना पानी की व्यवस्था होती है। यह उपकरण बेस्ट टू बेस्ट का एक उदाहरण है।

प्रिंस शर्मा के इस अभियान को शुरू करने का एकमात्र उद्देश्य भीषण गर्मी में पक्षियों को दाना पानी उपलब्ध करवाना है जिससे वे गर्मियों में इधर-उधर न भटके।

उन्होंने शहरवासियों से अपील करते हुए कहा है कि सभी लोग मानवता का धर्म निभाएं और अपनी बालकनी और आसपास की जगहों पर पक्षियों के लिए दाना पानी की व्यवस्था करें।

यह भी पढ़ें :- पश्चिम बंगाल के एक गांव के लोगों ने सामूहिक प्रयास से बंजर पहाड़ पर Jungle उगा दिया

ADVERTISEMENT

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *