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गुजरात का यह गांव है, पौधों के 1500 किस्मों का होलसेल मार्केट , 80% से अधिक लोग करते हैं यहां बिजनेस

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गुजरात के नवसारी जिले के दोलधा गांव के किसान लगातार नुकसान के कारण खेती छोड़ने पर मजबूर हो गए थे । परंतु आज यह गांव एक नर्सरी हब बन गया है जहां गुजरात महाराष्ट्र सहित कई अन्य राज्यों के लोग यहां से पौधों का आयात निर्यात करते हैं ।

जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि पहले गुजरात के नवसारी जिले के दोलधा गांव के रहने वाले अधिकतर लोग आदिवासी थे , इसके साथ ही साथ गांव में रहने वाला हर परिवार खेती से जुड़ा हुआ था ‌।

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परंतु खेती से अधिक मुनाफा ना होने के कारण अर्थात फसलों को बेचने के लिए शहरों में जाने की अनेक चुनौतियों का सामना करने से लोगों ने खेती को करना कम कर दिया था।

गांव के किसानों की हालत को देखते हुए गांव के एक शिक्षक अमृतभाई पटेल ने गांव के किसानों को एक ऐसे नर्सरी बिजनेस की राह दिखाई कि आज गांव के लोगों को कहीं जाना नहीं पड़ता है अन्यथा शहर के लोग गांव में आकर पौधे खरीद कर लेकर जाते हैं ।

अमृतभाई पटेल एक पर्यावरण प्रेमी थे और उन्होंने अपनी नौकरी करने के दौरान कुछ पौधों को बेचना शुरू किया था। अन्यथा धीरे-धीरे अमृता भाई का यह बिजनेस इतना अधिक बढ़ने लगा कि उन्होंने 2 साल के बाद अपनी नौकरी छोड़ कर अपना सारा समय दोलधा नर्सरी बिजनेस को शुरू करने में दे दिया।

उस वक्त गांव में एक भी नर्सरी नहीं थी। आज अमृता भाई कि यह नर्सरी उनकी बेटी बीना पटेल और उनके पति नरेंद्र ठाकुर मिलकर चलाते हैं।

बातचीत के दौरान बिना पटेल बताती हैं कि काफी समय पहले उनके पिता स्कूटर में कैक्टस और गुलाब के पौधे लाते थे और कलम विधि का उपयोग करके अन्य पौधों को उगाते थे ।

वह कहती हैं कि धीरे-धीरे यह काम इतना अधिक बढ़ गया कि आज हमें अपनी नर्सरी की देखभाल के लिए 20 से 25 मजदूरों को रखा है , और पिता द्वारा शुरू किए गए इस बिजनेस के द्वारा ही आज हमारा परिवार भी चल रहा है ।

गांव जुड़ा है नर्सरी बिजनेस से

अमृतभाई की नर्सरी को देखते हुए गांव के कई लोगों ने इन से प्रेरणा ली और खेती के साथ-साथ नर्सरी की भी शुरुआत की, साल 1997 तक दोलधा गांव में कई नर्सरी खुल गई है, अन्यथा गांव के लोगों को अमृता भाई ने नर्सरी चलाने की ट्रेनिंग भी दी थी ।

दोलधा गांव के सरपंच विजय पटेल का कहना है कि आज हमारे गांव में छोटी-बड़ी लगभग 200 से अधिक नर्सरी है , अन्यथा इसके साथ ही साथ गांव की 80% आबादी अब खेती को छोड़कर नर्सरी का काम ही करते हैं ।

गांव के सरपंच विजय पटेल ने कुछ साल पहले ही पारंपरिक खेती मैं मुनाफा ना होने के कारण खेती को छोड़कर नर्सरी चलाने की शुरुआत की थी ।

जानकारी के लिए आप सभी को बता दोलधा गांव में नर्सरी बिजनेस की इतनी अधिक कामयाबी और मुनाफे का कारण दोलधा गांव की मिट्टी है जो काफी अत्याधिक उपजाऊ है।

इसके साथ ही साथ यहां का वातावरण भी काफी अच्छा है और यह पौधे लगाने के लिए काफी सुविधाजनक भी है अन्यथा गांव  जंगल इलाके में होने के कारण यहां का जल काफी मीठा होता है।

और यही कारण है कि दोलधा गांव में पौधों को आसानी से उगाया जाता है और यही कारण है कि यहां अनोखे पौधों में को लोग काफी अधिक पसंद भी करते हैं ।

जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि इस गांव में पौधों के साथ-साथ लॉन की घास भी काफी अधिक बिकती है गांव के लोग गार्डन के लॉन की घास को मिट्टी में पैक करके बेचते हैं, ऑफिस और बड़े बड़े घरों वाले लोग इस घास को लग जाते हैं और इस घास की गांव वालों को काफी अच्छी कीमत भी मिलती है।

दोलधा गांव के पौधे ना केवल गुजरात महाराष्ट्र में बल्कि दिल्ली ,मुंबई, पुणे, मध्य प्रदेश सहित कई अन्य राज्यों में निर्यात होते हैं , सरपंच विजय पटेल का कहना है कि दोलधा गांव की नर्सरी को देखते हुए आस-पास के गांव भी आज नर्सरी बिजनेस की शुरुआत कर रहे हैं परंतु आज के समय में भी नर्सरी का होलसेल मार्केट दोलधा गांव बना हुआ है।

जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि दोलधा गांव में पौधों की 1500 से अधिक किस्में में मिलती है , विजय भाई का कहना है कि दोलधा गांव के लोगों ने खेती को छोड़कर आज नर्सरी बिजनेस की शुरुआत की है इसके कारण आज गांव का हर एक व्यक्ति समृद्ध हो गया है।

अन्यथा पहले जहां लोगों के पास साइकिल भी नहीं थे आज परिवार के पास हर प्रकार की सुख सुविधा मौजूद है, इसके साथ ही साथ दोलधा गांव की नर्सरी आज कई शहरों में हरियाली फैलाने का कार्य कर रही है ।

लेखिका : अमरजीत कौर

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