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शिक्षित लड़कियों की प्राथमिकता

शिक्षित लड़कियों की प्राथमिकता
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एक घटना प्रसंग मुझे अभी व पहले कितने व्यक्ति बोले मेरी लड़की या लड़की स्वयं बोली कि इतनी शिक्षा करी अच्छी-अच्छी डीग्री पायी क्या चूल्हा-चक्की घर-गृहस्थी के काम में ही लग जाएँ ?

क्यों नहीं हम शिक्षा अनुसार अपनी एक पहचान बनाएँ आदि – आदि । इस सन्दर्भ मैं मेरा उतर यह रहता की पहले अपने घर को दिल से अपनाओ , अपना विश्वास सबके दिल में जीतो और समय की माँग काल – भाव के अनुरूप अपना कार्य करो ।

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औरत शब्द में इतनी विषेशताए है इस अर्थ की सार्थकता कब नजर आती है , जब एक मकान घर बन जाता है और घर एक मंदिर बन जाता है। नारी धैर्य , ममता एवं अनेक सद्गुणों की खान होती है।

पुरुष एक परिवार को आलोकित करता है, वहीं नारी दो-दो परिवारों का दायित्व संभालती है। पुरुष काम करके थककर आया कह देते हैं, लेकिन महिला अनवरत 24 घण्टे, 365 दिन बिना किसी अवकाश हरदम अपने दायित्व का निर्वाह करती है।

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कहते है कि प्रतीकात्मक रूप में माँ दुर्गा के अनेक हाथ होते है उसी तरह सम्माननिया नारीशक्ति भी जीवन मे अनेक अहम भूमिकाओं का निर्वहन करती है ।

आज की महिला शक्ति एक बेटी, एक बहिन, माँ एक, एक पत्नी , एक कार्यकर्ता आदि जैसे अहम दायित्वों को समन्वय के साथ सफलता पूर्वक निभाती है।

वे घर, परिवार, समाज एवं अपने दोस्ती आदि का एक साथ कही भी , कैसा भी हो आदि – आदि कन्धे से कन्धा मिला साथ में कुशल निर्वहन कर सकने में सक्षम है ।

इस तरह शिक्षित लड़कियाँ परिवार को ऊँचाईयों पर पहुँचाती हैं और अपनी भावी पीढ़ी को योग्य बना उनके जीवन को सँवारती हैं ।

प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )

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