सच ही कहा जाता है कि यदि आत्मविश्वास और हौसले का सही ढंग से इस्तेमाल किया जाए तो सफलता प्राप्त करना कोई नामुमकिन काम नही है।
एक तरफ जहां लॉक डाउन की वजह से लोगों की उम्मीदें टूटने लगी और लोग हौसला हारने लगा वही आज कुछ लोग जश्न मना रहे हैं। ऐसे ही एक उदाहरण है हिमाचल प्रदेश के सोनल जिले के रहने वाले युवा रवि शर्मा की।
बता दें कि हिमाचल प्रदेश का सोनल जिला चायल पर्यटन नगरी के रूप में विख्यात है। चायल नगरी पुष्प उत्पादन केंद्र के रूप में भी देश भर में जानी जाती है।
यहां पर कई सारे पुष्प उत्पादक हैं जो फूलों का कारोबार करते हैं। यहाँ पुष्प उत्पादक कई टन फूलों को उत्पादन करते हैं और उन्हें देश के अलग-अलग हिस्सों में भेजते हैं।
लॉकडाउन के चलते कई सारे लोगों ने फूलों की खेती को त्यागने का विचार किया। वही रवि शर्मा ने फूलों की खेती को त्यागने के बजाय इसमें और ज्यादा निवेश किया और यह उम्मीद की कि आने वाले समय में वह अपने कारोबार को संभाल लेंगे उनकी यह सोच सही साबित हुई।
इस बारे में रवि शर्मा बताते हैं कि जब उनकी फूलों की फसल तैयार हो गई थी तब अचानक से मार्च में देशभर में लॉक डाउन कर दिया गया, जिसकी वजह से उन्हें अपने कई टन फूल तोड़ कर गाय भैस को खिलाना पड़ गया था और उनकी कई महीने की मेहनत बेकार हो गई थी।
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इसी बीच जिले के कई सारे पुष्प उत्पादक ने इस व्यवसाय को छोड़ दिया खास करके जिन्होंने नई नई शुरुआत की थी उन्होंने फूलों की खेती से अपना मुंह फेर लिया था। उन लोगों को देखकर रवि शर्मा के मन में एक विचार आया और उन्होंने इस व्यापार को संभाले रखने की ठान ली।
रवि शर्मा बताते हैं कि जब देश भर में लॉक डाउन लागू था उस समय वह फूल के बीज विक्रेताओं से मिले और यह पता लगाने की कोशिश की कि किस वैरायटी के बीज सबसे कम बिके हैं।
इस दौरान उन्हें पता चला कि ब्रेसिका केल प्रजाति बीजों की बिक्री बेहद कम हुई है जबकि मार्केट में इस फूल की सबसे ज्यादा मांग है और इसकी कीमत भी अच्छी मिलती है।
इसके बाद उन्होंने 28000 बीज इस वैरायटी के मंगवा लिए और कई मीटर स्कवायर में इसका उत्पादन करना शुरू कर दिया। यह फसल सर्दियों के मौसम में तैयार हो जाती हैं।
इन दिनों फसल तैयार होने को है उन्होंने इसमें लगभग 5 लाख का निवेश इसमे किया था। आज अपनी फसल को देखकर उन्हें इससे अपने पिछले घाटे की भरपाई होने की पूरी उम्मीद है।
रवि शर्मा बताते हैं कि वैसे यह फूल सामान्य स्थितियों में प्रति स्टिक 15 रुपये में बिकता है लेकिन इस बार ₹50 प्रति स्टिक बिकने की उम्मीद है, क्योंकि पूरे देश में इस फूल का उत्पादन नही हुआ है ऐसे में इसकी मांग पूरे देश से होने वाली है। इससे उन्हें काफी मुनाफा भी होगा।
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रवि शर्मा बताते हैं कि दिल्ली में एशिया की सबसे बड़ी फूलों की मार्केट गाजीपुर में स्थित है जो कि पिछले 6 महीने से भी ज्यादा समय से बंद पड़ी थी लेकिन अब यह पूरी तरीके से खुल गई है।
उन्होंने इस मंडी में सितंबर से फूल भेजना शुरू कर दिया था लेकिन उन्हें अच्छा दाम नही मिल रहा था। लेकिन अब उन्होंने अपने माल को दिल्ली पहुंचाना शुरू कर दिया है। अचानक से उनकी मांग में बढ़ोतरी हो रही है।
वैष्णो देवी सहित देश के अन्य मंदिरों, शादियों और त्योहारी सीजन के बीच फूलों की मांग काफी तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि उन्होंने इसके लिए 32 स्वायर मीटर में पॉलीहाउस लगाया हुआ है।
इसके अलावा करीब 2000 स्क्वायर मीटर क्षेत्र खुला हुआ है। इस तरह से लगभग 5000 स्क्वायर मीटर में वह फूलों की खेती कर रहे हैं।
रवि शर्मा बताते हैं कि वह फूलों की खेती करके सालाना दस लाख तक आमदनी कर लेते हैं, साथ ही वह 5 से 10 लोगों को इसमें रोजगार भी देते हैं, जो फूलों के बगीचे में उनकी मदद करते हैं वह यह काम लगातार 10 सालों से करते आ रहे हैं।