आज की कहानी Goli Vada Pav की सफलता की, की कैसे दो दोस्तों ने मिलकर अपने Unique Idea पर काम किया और आशातीत सफलता पाई। हम मे से लगभग सभी लोगों को चाहे देश मे रहे या विदेश में, Indian Food खाना बहुत पसंद होता है। ज्यादातर लोग देसी नाश्ता और फास्ट फूड खाना पसंद करते हैं।
मालूम हो कि इस इंडस्ट्री में कई सारे लोग शामिल है। लेकिन इस क्षेत्र में आने वाली बाधाओं को तोड़ते हुए पूरे देश में भारतीय खाना परोसना और अपनी पहचान बनाना आसान बात नही है।
लेकिन Venkatesh Iyer और Shivdas Menon ने अपने Unique Idea से इस क्षेत्र में कारोबार खड़ा किया। आज उनका कारोबार 100 शहरों में फैला हुआ है।
Goli Vada Pav का इस तरह आया विचार (Getting Idea ) : –
Venkatesh Iyer बताते हैं कि एक दिन जब वह काम से लौट रहे थे, तब उन्होंने देखा कि वीटी स्टेशन के बाहर 40 फीट बड़ा मैकडोनाल्ड का एक बैनर लगा है। बैनर के नीचे बड़ा पाव का एक ठेला खड़ा था।
वह उसके पास जाते हैं और बड़ा पाव खरीदते हैं। बडा पाव और बर्गर कई तरह से एक जैसा ही होता है। लेकिन यह एक बहुत ही बड़ा ब्रांड था और अपने अपनी पहचान बनाने के लिए संघर्षरत था। तभी Venkatesh Iyer को लगा कि बड़ा पाव के कारोबार में सफलता हासिल की जा सकती है।
इस तरह हुई शुरुआत ( Starting Of Businness ) :-
वेंकटेश ने अपने इस आइडिया को लेकर लगभग 30 लाख रुपए निवेश करके अपना बिजनेस शुरू किया। इसके लिए उन्होंने अपने बिजनेस को नाम दिया “गोली”।
क्योंकि मुंबई एक ऐसा शहर जहाँ बड़ापाव बहुत पसंद किया जाता था। इसमे स्वाद स्थानीय था। गोली का पहली शॉप 2004 में कल्याण में उन्होंने खोलो और उसमें उन्हें सफलता मिली।
तब वेंकटेश और उनके दोस्त शिवदास ने उसकी फ्रेंचाइजी खोलने का विचार बनाया और बेहद कम समय में ही उन्होंने 15 आउटलेट खोल दिये।
वेंकटेश बताते हैं कि बडा पाव अमिताभ बच्चन के जैसे ही है जिसे कोई विशेष प्रचार की जरूरत ही नही पड़ती है। वह अपने नाम की वजह से ही अपने आप बिकता है।
वेंकटेश बताते हैं कि बड़ा पाव के लिए न तो प्लेट की जरूरत होती है, न ही किसी भी प्रकार के स्पून की। यह एक ऐसा फास्ट फूड है जो मुंबई का सबसे पसंदीदा नाश्ता भी है और इसके प्रचार-प्रसार की भी जरूरत नही होती है।
हालांकि शुरुआत में कंपनी को काफी नुकसान हुआ था उस समय कंपनी की सबसे बड़ी समस्या थी बड़ा पाव बर्बाद होने की क्योंकि बड़े पाव एक दिन से ज्यादा चलते नहीं थे।
साथ ही कुछ कर्मचारी बड़ा पाव चोरी भी कर लेते थे। इन सारी समस्याओं के चलते गोली को चलाने की परेशानी वेंकेटेश कक अपने शुरुआती बिजनेस में उठानी पड़ी।
बदलाव करके लाभ कमाया ( Make Changes for Profit ) :-
एक दोस्त ने सुझाव दिया तो व्यवसाय को बढ़ने में मदद मिली। वेंकेटेश और शिवदास ने मिलकर एक कम्पनी Vista से टाईअप कर लिया। यह एक भारतीय कंपनी है और एक साथ कई सारे फूड चेन के साथ काम करती है।
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उन्हें गोली की संकल्पना पसंद आई तो उन्होंने बैंक एंड पार्टनरशिप की पेशकश पेश कर दी। इस तरह गोली वड़ापाव Vista से और बिना किसी मदद के वड़ा मेटल डिक्टेटर और एक्स-रेज मशीन से गुजर कर बहुत ही उच्च क्वालिटी का वड़ा ग्राहकों तक आसानी से पहुंचने लगा।
सबसे खास बात यह थी कि भ्रष्टाचार से बने वड़ा पाव की Shelf Life लगभग 9 महीने होती है। इसलिए कोई भी भारतीय फास्ट फूड इसकी मानक को तोड़ ही नही पाया।
इस बदलाव के साथ ही इस पर ग्राहकों का विश्वास भी दिन-ब-दिन बढ़ता गया। Goli Vada Pav एक बड़े ब्रांड और कुक सर्विस रेस्टोरेंट के रूप में अपनी पहचान बहुत जल्दी बना लिया।
शाखा का विस्तार ( Branch Expansion ) :-
Goli Vada Pav से ही प्रभावित होकर चेन्नई के एक उद्योगपति ने साल 2011 में इसमें 21 करोड़ निवेश किया और इस तरह से उसे देश के अन्य हिस्सों में अपनी शाखाएं विस्तृत करने का मौका मिला।
आज Goli Vada Pav की शाखाएं देश के 15 राज्यों के लगभग 100 शहरों में फैली हुई है, जिसके 300 से भी ज्यादा आउटलेट है।
इस बदलाव के बाद कल्याण में एक अकेले शॉप का टर्नओवर आज लगभग 55 करोड़ का हो गया है। आज उनका कारोबार 100 शहरों में फैला हुआ है ।
Venkatesh Iyer and Shivdas Menon इसके लिए काफी मेहनत कर रहे हैं। उनका लक्ष्य है कि आने वाले समय में वे अपनी टर्नओवर को बढ़ाकर 200 करोड़ तक पहुंचा देने का है।