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मजबूरी में छूट गई थी पढ़ाई मिर्ची की खेती ने बना दिया करोड़पति

Gurbir Singh mirchi kisan ki kahani
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पंजाब के गुरमीत सिंह कुछ साल पहले तक खेती से दूर भागते थे। वह खेती नहीं करना चाहते थे। वह खेतों से बाहर अपने आजीविका का रास्ता तलाश रहे थे। लेकिन किस्मत उन्हें खेतों की पगडंडियों तक खींच लाई। दो दशक पहले मजबूरी में उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी और खेती अपनाना पड़ा। उनकी यही मजबूरी आज उनकी किस्मत चमका दी है।

खेती करना आज उनका जुनून सा बन गया है। वह हाइब्रिड मिर्च उगा कर बेचते हैं। जिससे उन्हें करोड़ों की कमाई हर साल हो रही है। पंजाब के अमृतसर के भोरसी के राजपूता गांव से ताल्लुक रखने वाले गुरबीर सिंह आज पारंपरिक खेती करने वाले करोड़पति किसान हैं।

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कम उम्र में उठ गया था पिता का साया

गुरबीर सिंह कहते हैं कि जो वह स्नातक की पढ़ाई कर रहे थे तभी उन्हें एक दिन अचानक से खबर मिली कि सड़क दुर्घटना में उनके पिता की मौत हो गई है। उस समय उनका परिवार बेहद कार्य में डूबा हुआ था। यह बात साल 2000 की थी। उस समय गुरमीत सिंह की उम्र मात्र 19 साल की थी।

गुरमीत अपने तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। इस वजह से परिवार संभालने और घर चलाने की जिम्मेदारी गुरवीर पर आ गई। आज गुरमीत से 41 साल के हैं। वह बताते हैं कि उस दुर्घटना ने उनके परिवार को झकझोर दिया था। मजबूरी में उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी। उस समय खेती करने के अलावा उनके पास कोई भी विकल्प मौजूद नहीं था।

गुरबीर सिंह बताते हैं कि उस समय मजबूरी में भले ही उन्होंने घर चलाने के लिए खेती को अपनाया था। लेकिन दो दशक बाद आज वह क्षेत्र में काफी तरक्की कर लिए हैं। खेती करना उनके लिए एक जुनून बन गया है।

वह प्रगतिशील कृषि तकनीकी का इस्तेमाल करते हैं और नित नई ऊंचाइयों पर पहुंच रहे हैं। आज गुरमीत से युवाओं के सामने एक उदाहरण के तौर पर पेश किए जाते हैं।

गुरमीत सिंह ने दिखा दिया कि अगर मेहनत और ईमानदारी से काम किया जाए तो कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है। खेती करना भी घाटे का सौदा नहीं होता है। आज गुरमीत सिंह एक सब्जी विक्रेता के तौर पर जाने जाते हैं और वह करोड़ों रुपए इस बिजनेस से कम आ रहे हैं।

हाइब्रिड तकनीक से मिली सफलता

गुरमीत सिंह बताते हैं कि जब उनके पिता की मृत्यु हुई थी तब इस सबसे उबरते हुए उनके परिवार ने ढाई एकड़ जमीन पर पारंपरिक तरीके से खेती करना जारी रखा। इस दौरान पंजाब कृषि विश्वविद्यालय से गुरमीत सिंह को जुड़ने का मौका मिलता है।

वह यूनिवर्सिटी से नई कृषि तकनीक सीखते हैं। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय नई कृषि तकनीकों के लिए लोकप्रिय है। किसानों को यह तकनीक सिखाते हैं।

गुरमीत सिंह बताते हैं कि मैं डॉक्टर नरेंद्र पाल सिंह से मुलाकात की। वह यूनिवर्सिटी में कृषि सलाहकार सेवा योजना का वह समय नेतृत्व कर रहे थे। उन्हीं से हाइब्रिड मिर्च के बारे में जानकारी हासिल की।

गुरमीत सिंह बताते हैं कि हाइब्रिड मिर्च ओं में कीड़े फंगस और अन्य दूसरी बीमारियों से ग्रसित होने का खतरा कम होता है। इनकी खुद की लंबी लाइफ होती है।

स्वाद भी बेहतर होता है और आमदनी भी अच्छी होती है। ऐसे में मार्केट में इनका उन्हें अच्छा पैसा मिल जाता है। गुरमीत सिंह उच्च गुणवत्ता वाली हाइब्रिड में तैयार करने में महारत हासिल कर लिए हैं।

ढाई एकड़ का खेत बन गया 25 एकड़

गुरमीत सिंह अपने खेतों में फूलगोभी, गोभी, टमाटर और अन्य दूसरी सब्जियां पारंपरिक खेती की तकनीक से ही करते हैं। साथ ही वह मिर्च की भी खेती करते हैं। इसके अलावा अब गुरमीत सिंह किसानों को बीज और पौधे बेचने के लिए एक नर्सरी की भी स्थापना कर ली है।

गुरमीत सिंह कहते हैं कि वह अपने नर्सरी में 18 एकड़ जमीन पर लगभग सभी सब्जियों के पौधे उग आते हैं। जिससे उन्हें करोड़ों का टर्नओवर होता है।

लगातार उत्पादन और गुणवत्ता बनाए रखने की वजह से उनकी आमदनी कई गुना बढ़ गई है। उन्हें बीजों की गुणवत्ता की पहचान है। उनके बीजों से किसानों को भी काफी फायदा होता है और इससे बाजार में उनकी साख बन गई है। लोग उनसे बीच खरीदते हैं और उनके ईमानदारी की सराहना भी करते हैं।

बिजनेस का हिस्सा है फायदा और नुकसान

गुरबीर सिंह कहते हैं कि चुनौती हर पेशे में होती है। बिजनेस में कभी फायदा होता है तो कभी नुकसान। उन्हें भी इस रास्ते से होकर गुजरना पड़ा था। लेकिन उन्होंने चुनौतियों का सामना किया। उन्होंने ईमानदारी से कड़ी मेहनत की और हर मुश्किल समय से बाहर निकल आये।

गुरमीत सिंह युवाओं से अपील करते हैं कि जो युवा गांव में रहते हैं वह पारंपरिक खेती को छोड़कर बेहतर नौकरी और आमदनी की तलाश में शहर की तरफ जो भाग रहे हैं न भागे।

खेती ही भारतीय अर्थव्यवस्था को संभाल कर रखे हुए हैं। खेती से मुंह मोड़ने बजाय इस क्षेत्र में भी अच्छा कैरियर बनाया जा सकता है।

 

लेखिका : अर्चना  यादव

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