आज हम बात करने वाले हेमा सारदा की, वर्ष 2016 में हेमा ने एक हस्तशिल्प मेले से बांस के आभूषण को खरीदा, उनके इसे खरीदने का महत्व यह था कि वह देखना चाहती थी कि क्या इस आभूषण को तैयार करने में अपने हाथ आजमाए जा सकते हैं।
65 वर्ष के हेमा कहती है कि ‘ मैं दिल से एक कलाकार हूं और गहनों को परखने की नजर काफी अच्छी रखती हूं और यही कारण था कि मैंने बांस के पारंपरिक टुकड़े को एक आधुनिक रूप के साथ फिर से डिजाइन क्या और एक समारोह में पहना कई लोगों को यह डिजाइन पसंद आया और उन्होंने इसकी सहारना भी की’।
हेमा का मुंबई में स्थित डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) ब्रांड Bambouandbunch असम की आदिवासी समुदाय और कलाकारों के साथ मिलकर बांस के आभूषणों को नई रूप से डिजाइन करने का और उन्हें बेचने का कार्य करती है, हेमा बताती है कि उनके इस ब्रांड का महत्वपूर्ण मकसद भारत में शिल्पकला के महत्त्व को बढ़ाना है।
बांस है हरा सोना
हेमा कहती है कि भारत में सोना चांदी और अन्य धातुओं के आभूषण को खरीदा जाता है परंतु बांस के आभूषण को उतना महत्व नहीं दिया जाता है वह कहती हैं कि मुझे पौधों के बारे में अधिक जानकारी नहीं है परंतु बांस को हरा सोना कहा जाता है क्योंकि यह काफी उपयोगी होता है।
इस तरह हेमा कहती है कि यही कारण था कि मैं पहले सामग्री और कला को मिलाकर प्रयोग करना चाहती थी और इस दौरान में कमाई पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहती थी क्योंकि मेरा मानना था कि पूरी दुनिया इस अनूठी कला को जाने पहचाने और इसका उपयोग करें।
हेमा कहती है कि हमारे ब्रांड में कारीगर फेस्टिवल और कई महत्वपूर्ण समारोह के लिए कई महत्वपूर्ण डिजाइनओं को तैयार करते हैं। इस दौरान ही हेमा अपने कारीगरों के साथ दो समूह में काम करती है पहला गुजरात के गुणवत्ता बांस प्राप्त करती है उसके बाद आसाम के कारीगरों के पास इसे भेजती है।
इस दौरान धीरे-धीरे हेमा ने अपने प्रॉडक्ट्स को दुनिया के सामने लाने के लिए इसकी प्रदर्शनी लगानी शुरू की और इस दौरान वर्ड-ऑफ-माउथ ने बांस के डिजाइनर आभूषण की बिक्री को बढ़ाने में काफी अधिक सहायता की थी।
जानकारी के लिए आप सभी को बता दें हेमा के प्रोडक्ट्स की कीमत 500 से लेकर 7500 तक है। शुरुआत में हेमा ने अपने इस ब्रांड को 15 हजार की लागत में शुरू किया था परंतु आज इनका यह ब्रांड वार्षिक आसानी लाखों कमा लेती है।
हेमा कहती है कि अभी तक उतनी अधिक बिक्री नहीं हुई परंतु लोगों के बीच में इसके प्रति रुचि बढ़नी शुरू हो गई है, वह कहती है कि हम इन आभूषणों को इंस्टाग्राम के जरिए बेचने में प्रयोग करते हैं ।
क्योंकि इससे हमें पता चलता है कि हम कहां गलती कर रहे हैं अन्यथा ग्राहक हमारे पोस्ट को देख कर कीमत के बारे में पूछते तो है परंतु हम उन्हें सुनिश्चित कर देते हैं कि हम 2 कारीगरों से वाहन के द्वारा कार्य कराते हैं इसलिए कीमत तो थोड़ी सुनिश्चित होनी आवश्यक है।
हेमा कहती है कि मैंने 6 वर्षों से इस क्षेत्र में काम कर रही हूं मैंने कई अनुभव और चुनौतियों का सामना किया है एवं 65 वर्ष की उम्र में बाजार की जगह की तलाश करती है और इंस्टाग्राम जैसी गतिविधियों मैं अपने प्रॉडक्ट्स को बेचने के लिए संघर्ष भी करती है।
हेमा कहती है कि सबसे बड़ी बाधा का सामना तो उस वक्त करना पड़ता है जब बांस को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाना पड़ता है वहां के कारीगर अपनी सोच के मुताबिक आभूषण तैयार करके देते हैं और उसे डिजाइन करके देते हैं ।
क्योंकि आदिवासी क्षेत्र में कई लोगों को हमारी भाषा समझ में नहीं आती है इसके साथ ही साथ आदिवासी क्षेत्र से कुरियर की भी सुविधा नहीं है इसलिए हमें खुद से वहां से सामानों को जाना पड़ता है।
हेमा कहती है कि भले ही काम अभी थोड़ा कम है परंतु ठीक ठाक कमाई हो जाती है , हेमा कहती है कि भले ही अभी उतनी अधिक हमारे ब्रांड के प्रोडक्ट्स की बिक्री नहीं हो रही है परंतु आने वाले वक्त मैं हमें आशा है कि जिस प्रकार से लोगों के बीच बांस के आभूषणों को लेकर दिलचस्पी बढ़ रही है उसी प्रकार जल्द ही और अधिक मुनाफा मिलना शुरू हो जाएगा।