हरियाणा के अंबाला में तैनात आईएएस अधिकारी विक्रम यादव ने धान और गेहूं की पराली को पूरी तरह से हटाने के लिए अर्थात पूर्ण रूप से उपयोग करने के लिए कई वैकल्पिक तरीकों का इस्तेमाल करके किसानों की मदद की है ।
अंबाला के आईएएस अधिकारी विक्रम यादव के वैकल्पिक तरीकों का इस्तेमाल करने से आज गांव में पराली जलने की संख्या 80% कम हो गई है ।
विक्रम यादव पूरे उत्तर भारत में पराली जलाने पर लगाम लगाने की कोशिश कर रहे हैं अर्थात जानकारी के लिए आप सभी को बता देंगे सेटेलाइट द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार ऐसा बताया गया है कि वर्ष 2021 में खेतों में आग लगने की घटनाएं पिछले 5 वर्षों के मुकाबले सबसे अधिक पंजाब और हरियाणा में हुई है ।
हालांकि कई लोगों के द्वारा किए गए प्रयास से किसी भी प्रकार का असर नहीं पड़ रहा है, अर्थात हरियाणा के अंबाला के आईएएस अधिकारी द्वारा लिखे गए एक लेख द्वारा पता चलता है कि एक गौरैया भी जंगल की आग को बुझा सकता है ।
इस दौरान जून 2021 में अंबाला के जिला कलेक्टर विक्रम यादव ने कुछ महीने में ही खेतों मैं जलाने वाली पराली पर प्रतिबंध लगाने के लिए तरीके और कई मिशनरी को सामने लेकर आए हैं।
अंबाला के जिला कलेक्टर विक्रम यादव के प्रयास इतने अधिक कगार रहे हैं कि , उनके कार्यों की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 की तुलना में वर्ष 2021 में पराली जलाने के मामले 80% तक कम हुए हैं , सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि विक्रम यादव ने अत्यधिक बल के बिना इस सफलता को हासिल किया है।
इस प्रकार हासिल की सफलता
बातचीत के दौरान विक्रम यादव बताते है कि हर किसान फसल का मौसम समाप्त होने के बाद गेहूं और धान से पराली को पूरी तरह से जला देते हैं। और यह प्रक्रिया किसानों के लिए जरूरी होती है क्योंकि उन्हें अगली फसल को बोने के लिए जो कि रवि की फसल है उसके लिए खेतों को पूरी तरह से साफ होना आवश्यक है।
विक्रम का कहना है कि पराली को जलाना यह सभी किसानों का पसंदीदा तरीका है क्योंकि इस दौरान एक रात में ही पूरी खेत की सफाई हो जाती है अर्थात दूसरे अन्य तरीकों के इस्तेमाल करने से 20 से 30 दिन लग जाते हैं जिससे रवि की फसल को बोने में समय लग जाता है ।
विक्रम यादव बताते हैं कि मैंने अपने कार्यभार संभालने के बाद इस मामले में हस्तक्षेप करने का फैसला कर लिया था, सैटेलाइट और मुद्दों के अनुसार खेतों में पराली जलाना पर्यावरण के लिए तो नुकसान देह तो है ही इसके साथ ही साथ इससे कई खेतों में आग भी लग जाती है, अंबाला राज्य के कृषि विभाग की जानकारियों द्वारा पता चला है कि वर्ष 2020 में इस स्थिति से जुड़े हुए 5885 मामले सामने आए थे।
इस दौरान विक्रम यादव ने हस्तक्षेप के साथ इस मुद्दे को सुलझाने का फैसला किया और इस दौरान उन्होंने सैटेलाइट इमेज के सभी गतिविधियां पर नजर रखा अन्यथा कई ऐसे क्षेत्रों को चुनाव जहां पर पराली जलाने से किस प्रकार की गतिविधियां हो रही है इस प्रक्रिया को जानने का प्रयास किया ।
इस दौरान वह इस मुद्दे पर पहुंचे कि ना केवल पराली जलाने से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है इसके साथ ही साथ कई लोगों के खेत भी चल जा रहे हैं अन्यथा उन्होंने इस पराली जलाने की क्रिया पर रोक लगाने के लिए कई अधिकारी और उप जिला कलेक्टर से मिलकर अंबाला जिले में अभियान और प्रशिक्षण की योजना को बनाया ।
इसके साथ ही साथ पराली जलाने के रोकथाम के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए स्कूल और कॉलेज के बच्चों के साथ मिलकर रैली की अन्यथा जगह-जगह पर पराली को जलाने की रोकथाम के बैनर भी लग गए ताकि लोगों को संदेश मिल सके ।
इस दौरान सारी जागरूकता और विजय कुमार के संघर्ष कारण धीरे-धीरे पराली जलाने के मामले लगातार घट रहे थे जानकारियों से पता चला है कि वर्ष 2020 में 15 सितंबर और 30 अक्टूबर के बीच में पराली जलाने के 705 मामले दर्ज हुए थे अन्यथा वर्ष 2021 में इसी समय में पराली जलाने के मामले घटकर 146 हो गए हैं।
धुरला गांव के एक किसान निर्मल सिंह का कहना है कि मैंने पराली को अच्छी कार्बनिक पदार्थों में बदलने के लिए किराए पर मशीनों को खरीदा इसके साथ ही साथ कटी हुई पराली को भी मिट्टी में मिला दिया , और यह छिड़काव के बाद सड़ गई इस दौरान ही खेतों की मिट्टी काफी नरम हो गई, अनुमान लगाया जा सकता है इस प्रक्रिया से उत्पादन में अधिकता होगी ।
निर्मल सिंह कहते हैं कि हम फसलों की जागरूकता के लिए प्रशासन द्वारा चलाए गए जागरूक कार्यक्रमों में भी हिस्सा लेते है वह कहते हैं कि मैंने महसूस किया है कि पराली को जलाने से पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है अन्यथा हवा बिल्कुल प्रदूषित हो जाती है।
इसके साथ ही साथ मैं इस बात को कह सकता हूं कि प्रशासन द्वारा उठाए इस कदम के कारण 90 प्रतिशत किसान जागरूक हो गए हैं और पराली जलाने के रोकथाम में आगे बढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं।
विक्रम यादव का कहना है कि हमें उम्मीद है कि इस प्रकार लगातार पराली जलाने के मामले में पूरी तरह से रोकथाम लग जाएगा, और सभी किसान प्रशासन मिलकर के एक नया मॉडल तैयार करेंगे।
लेखिका : अमरजीत कौर
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