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इस व्यक्ति ने नौकरी छोड़ शुरू की अंगूर की खेती और देश में खड़ी की सबसे बड़ी वाइन कंपनी

इस व्यक्ति ने नौकरी छोड़ शुरू की अंगूर की खेती और देश में खड़ी की सबसे बड़ी वाइन कंपनी
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कोरोना वायरस महामारी की वजह से पर्यटन क्षेत्र बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। इसका सबसे ज्यादा असर नासिक में स्थित सुला वाइन यार्ड   ( Sula Wine Yard )  में भी देखने को मिला है। हम बता दें कि यह वह जगह है जहां भारत की सबसे बड़ी वाइन ब्रांड कंपनी है।

यह वाइन की मांग भारत में ही नहीं बल्कि विदेश में भी है। हजारों एकड़ में फैला सुला वाइन यार्ड लोगों को अपनी सुंदरता के चलते आकर्षित करता है।

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मुंबई से करीब 180 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नासिक में सुला वाइन यार्ड की शुरुआत 1950 में की गई थी। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल करने वाले राजीव सामंत ने इस वाइन यार्ड की शुरुआत नासिक में की थी।

उन्होंने अमेरिका के प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया है। साथ ही राजीव ने इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री भी ली है। पढ़ाई पूरी करने के बाद राजीव ने अमेरिका में एक बड़ी कम्पनी में नौकरी करना शुरू किए थे।

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हालांकि अमेरिका की भागमभाग जिंदगी उन्हें रास नहीं आई और वह वापस भारत लौटने का फैसला करते हैं और गांव की जिंदगी जीना चाहते हैं। राजीव के परिवार के पास नासिक में 20 एकड़ जमीन थी। इस जमीन में राजीव सामंत ने आम की खेती, गुलाब की खेती टीकवुड अंगूर की खेती की।

1966 में राजीव में पहली बार यह महसूस किया कि नासिक का मौसम और जलवायु वाइन वाले अंगूर की खेती के लिए एकदम परफेक्ट रहता है। जब वह वापस कैलिफोर्निया गए तो उनकी वहां पर मुलाकात एक मशहूर वाइन मेकर कैरी डैमस्की की से होती है।

कैरी डैमस्की राजीव को वाइन यार्ड शुरू करने में मदद करते हैं। राजीव उन्हें नासिक में मौसम की स्थितियों के बारे में बताते हैं और उन्हें वायन यार्ड शुरू करने के लिए मदद के लिए तैयार करते हैं।

राजीव ने अपने वाइन को ब्रांड नाम सुला दिया जो कि उन्होंने अपनी मां सुलभा के नाम पर रखा था। देखते ही देखने कुछ ही सालों में कंपनी का व्यापार तेजी से बढ़ता गया।

राजीव अंगूर की नई नई किस्मों की खेती नासिक में शुरू कर देते हैं। समय के साथ 20 एकड़ के क्षेत्र से शुरू हुआ वाइन यार्ड तेजी से 18000 एकड़ तक में फैल गया।

बता दें कि नासिक स्थित इस सुला वाइन यार्ड में रोजाना 8 से 9 हजार टन अंगूर को क्रैश करके वाइन बनाई जाती है। वाइन यार्ड के वाइन मेकर करुणा साहनी के अनुसार सुला वाइन वाइट और रेड दो तरह की वाइन बनाती है। सुला वाइन नासिक में अपनी एक अलग ही पहचान बना ली है।

सुला वाइन यार्ड में आने वाले पर्यटक न सिर्फ वाइन खरीदते हैं बल्कि वह यहां पर यह भी देख सकते हैं कि यह वाइन किस तरह से बनाई जाती है। यह पर्यटकों के लिए एक बेहतरीन जगह है।

यहां पर पर्यटकों को सुला वैन टेस्ट करने के लिए भी दी जाती है। सुला देश के 65 फीसदी वाइन मार्केट पर अपना कब्जा जमाए हुए हैं। इसके अलावा यह वाइन कई अन्य देशों में भी निर्यात की जाती है जिससे कंपनी को अच्छी खासी आमदनी होती है।

यह सब संभव हुआ दृढ़ इच्छाशक्ति और मेहनत के बदौलत। इसलिए कहा जाता है कि किसी भी चीज में यदि कोई व्यक्ति सफलता हासिल करना चाहता है तो उसमें जोश के साथ इच्छा शक्ति और मेहनत करने का जज्बा जरूर होना चाहिए।

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