आज यह महिला किसान वैज्ञानिक खेती करके काफी अधिक मुनाफा तो कमा ही रही है साथ ही साथ कई महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत के रूप में उभर कर सामने आ रही है ।
जैसे की हम सभी जानते हैं कि आजकल सभी युवा खेती को मुनाफे का सौदा समझ रहे हैं अर्थात नौकरी छोड़कर खेती की ओर रुख कर रहे हैं अर्थात अब युवा खेती की नई तकनीकों का उपयोग करके कई रोजगार पैदा कर रहे हैं ।
कुछ इसी प्रकार की कश्मीर की एक महिला वैज्ञानिक खेती के प्रति एक ऐसा शौक जागा जिसके लिए उन्होंने अपनी पीएचडी की पढ़ाई छोड़कर खेती में हाथ आजमाने का निश्चय किया । अर्थात यह महिला वैज्ञानिक खेती करके काफी अधिक मुनाफा अर्जित कर रही हैं और कई महिलाओं को इस कार्य के प्रति प्रेरणा भी दे रही हैं ।
हम जिस महिला किसान की बात कर रहे हैं उसका नाम है इंशा रसूल , जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि यह महिला किसान मध्य कश्मीर के बडगाम गांव की रहने वाली है । इंशा अपनी शुरुआती पढ़ाई नजदीकी विद्यालय से ही पूरी की है परंतु इन्होंने अपनी पीएचडी की पढ़ाई कोरिया से की है परंतु इस दौरान उन्हें खेती के प्रति काफी अधिक लगाव महसूस हुआ इसलिए वह अपनी पीएचडी की पढ़ाई छोड़कर कश्मीर वापस आ गई थी ।
इंशा ने अपनी पीएचडी की पढ़ाई छोड़ने के बाद कश्मीर वापस लौट कर अपनी मेहनत और लगन से खेती करना शुरू किया और आज खेती में सफलता हासिल कर मुनाफा तो अर्जित कर ही रही है साथ ही साथ कई महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत भी बन गई है ।
जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि जैविक खेती में रुचि रखने वाली इंसा रसूल दक्षिण कोरिया के एक विश्वविद्यालय से मॉलिक्यूलर सिग्नलिंग की पढ़ाई कर रही थी परंतु आज इंशा रसूल के पास खुद का एक ब्रांड है जिसका नाम “फार्म टू फोर्क” है ।
इंशा अपने इस ब्रांड को सालों की कड़ी मेहनत के बाद बनाया है जब उन्होंने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट के ऊपर कार्य करना शुरू किया तब उनके पास साढें तीन एकड़ जमीन थी और इंसा का पूरा परिवार फलों और सब्जियों के लिए पूरी तरह से उसी जमीन पर निर्भर था ।
जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि इंशा ने जब अपने ड्रीम प्रोजेक्ट को बनाने की शुरुआत की तो इस दौरान उन्होंने सबसे पहले मजदूरों से संपर्क करना शुरू किया इसके बाद उन्होंने खाद और बुवाई के लिए बीजों को इकट्ठा किया इसके बाद खेती शुरू कर दी ।
पहले प्रयोग से हाथ लगी थी निराशा, परंतु नहीं मानी हार
जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि इंशा पेशे से एक वैज्ञानिक है , इस दौरान वह यह बात तो अवश्य जानती थी की खेती करने के लिए शोध करना काफी अधिक आवश्यक है इस दौरान वह मौसम में अलग-अलग किस्म के बीजों को लगाकर उन पर प्रयोग करती थी ।
इंशा बताती है कि उन्हें प्रयोग करने में 2 से 3 महीने लगे और इस दौरान जो भी फसल उत्पादित हुई थी उसमें से उतनी अधिक असफल भी हुई थी , इस दौरान उन्होंने इन परेशानियों का सामना किया कि कभी-कभी फसल सही से उगती नहीं थी और कभी-कभी खाद काम नहीं करता था ।
साथ ही साथ इंसा बताती है कि कई बार तो ऐसा होता था कि खेतों में अधिक पानी पड़ जाते या फिर गलत मौसम में गलत किस्म के बीज लग जाते थे अर्थात उनका यह प्रयोग लगभग छह महीनों तक चला परंतु फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और आज एक सफल किसान के रूप में कई महिलाओं को प्रेरित करने के लिए आगे भी आ रही हैं ।
स्टोबेरी की खेती से हुई थी प्रभावित
जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि इंशा रसूल बेंगलूर स्थित भारतीय वैज्ञानिक संस्था की एक पूर्व स्टूडेंट है , अर्थात इंसा कई जगहों में हरियाली फैलाने और तापमान को कम करने के लिए कई बार कार्य कर चुकी है , केवल इतना ही नहीं इंशा बेंगलुरु, दिल्ली, कश्मीर रहने के बाद दक्षिण कोरिया चली गई जहां का मौसम काफी अधिक सुहावना होता है ।
इंशा बताती है कि एक किसान परिवार से ताल्लुक रखती है , और एक दिन अपने बच्चों की शैक्षणिक गतिविधि के दौरान उन्हें स्ट्रॉबेरी फार्म देखने को मिला था और इस प्रकार उन्होंने स्ट्रौबरी फार्म से प्रेरित होकर खेती करने का निश्चय कर लिया जिसके लिए उनके पति ने भी उनका पूरा सहयोग किया ।
अब दूसरे किसानों को भी हो रहा है अधिक फायदा
इंशा रसूल बताती है कि पिछले साल उन्होंने करीब नवंबर दिसंबर के समय में 8 लाख से अधिक का मुनाफा कमाया है जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि इंशा ने फ्रेंच बींस, मटर इसके साथ ही साथ टमाटर एवं स्वीट कॉर्न की भी खेती की है ।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इंसा रसूल के ब्रांड फार्म टू फोर्क के तहत स्थानी किसानों के साथ जोड़कर अपने खेतों के उत्पाद और अन्य किसानों के खेतों के उत्पाद को ना केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी निर्यात करने का बीड़ा उठाया है जिससे सब्जियां अचार और मूल्य वर्धित उत्पाद बेचने के लिए किसानों का सहयोग किया है और इससे किसानों का मुनाफा भी काफी अधिक बढ़ रहा है ।